Pallavi Goel

Inspirational

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लाॅकडाउन में क्या करें ?

लाॅकडाउन में क्या करें ?

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कोरोना वायरस के कारण लंबे समय तक चलने वाले लॉक डाउन ने हमें ना चाहते हुए भी घरों में रहने के लिए विवश कियाप है ।मेरे विचारों में कार्यों की कुछ ऐसी सूची है जिसे समय की कमी या व्यस्तता उनको करने में बाधक बनती रही है। आज सबसे सही समय है कि हम उसमें से एक या दो चुनकर उसे अपने जीवन में उसे उतारे। हममें से कई ऐसे लोग हैं जो ऐसा कर भी रहे हैं।

1.घर को चलाने वाले सभी सहायक हाथ मजबूरीवश अपने घरों में कैद है। ऐसे समय में दैनिक दिनचर्या में सभी सदस्यों की समान भागीदारी रखने से कार्य शीघ्रता से निपट जाएगा और घर के सभी सदस्यों क्वॉलिटी टाइम साथ में बिता पाएंगे ।साथ ही हम अपने कैद सहायक हाथों को जिंदा रखने के लिए उनकी तनखा भी सहजता व उदारता के साथ दे पाएंगे।

2. अपने किसी कलात्मक अभिवृत्ति या रुचि को निखारने के लिए भी यह उत्तम समय है- जैसे पेंटिंग, गायन ,वादन ,बागवानी । हम इनका संग्रह भी तैयार कर सकते हैं। जो सुखद स्मृति के रूप में सदैव हमारे साथ जुड़कर रहेगा ।

3.परिवार के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताने के लिए एकसाथ व्यायाम करना,कुछ खेल खेलना जैसे- लूडो ,सांप -सीढ़ी, आइस -पाइस ,आँखों पर पट्टी बांधकर छूना ,पीठ पर घोड़े की सवारी, तकिए से चुहल बाजी। कुछ समय के लिए हमें मोबाइल से दूर भी रखेगा और परिवार के हर सदस्य का स्पर्श, उनसे नजरें मिलाना ,साथ मिलकर ठहाके लगाना हमें जीवंत भी रखेगा ।

4.इस समय परिवार के साथ मिल बैठने छोटे बड़े हर किसी के अनुभव जीवन प्रसंगों को सुनने से एक दूसरे के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी व रिश्ते और अधिक मजबूत होंगे। सभी को पारिवारिक यादों को बांटना व संजोना अच्छा लगेगा ।

5.यह समय मातृभाषा के परवरिश का काल भी बन सकता है।अपनी मातृभाषा में मनपसंद पुस्तक पढ़ना ,फिल्म देखना इसी में बात करने से भाषा पर पकड़ अच्छी बनेगी। जो आत्मीयता का सृजन करेगी।

6.डायरी के पन्नों में प्रकृति परिवर्तन, पारिवारिक संबंध विशिष्ट वर्ग की कर्मठता जैसे विषयों को स्थान देना जो भविष्य में मानवता के प्रति हमारे विश्वास को जगाए रखेगी।

7. पुराना संकलन देखना जैसे एल्बम, टिकट संग्रह ,पुराने पत्रों के बंडल पढ़ना अतीत को ताजा कर देगा ।

8.आज मीडिया के दौर में हम आन-लाइन आकर कुछ समय के अपने एकल परिवारों को संयुक्त बना सकते हैं ।

9.मानवीय मूल्यों को जीवित रखते हुए हम गुप्तदान , श्रमदान करके राष्ट्र संबल भी बन सकते हैं ।

जो आज वर्तमान है कल अतीत के रुप में हमारे जीवन पृष्ठों में जुड़ जाएगा ।अपने इस पन्ने को यदि बोरियत काल के अपेक्षा रचनात्मक काल में तब्दील कर सकें तो हमारी जीत होगी।

 मेरे दिमाग में जो कार्यों की सूची थी वह मैंने आपके साथ बाँटी है। यदि आपके पास भी ऐसे सुझाव हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में जोड़ते जाइए। क्या पता आपका एक सुझाव किसी के अतीत की पुस्तक में एक सुनहरा पन्ना और जोड़ दे।


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