कर्फ्यू का तेहरवां दिन
कर्फ्यू का तेहरवां दिन


मॉम सड़क कितनी सुनसान है किसी प्रकार की कोई हलचल नहीं है हां बेटा ऐसा लगता है कि जिंदगी थम गई है ना कोई हलचल है ना ही कोई शोर शराबा अब इन पौधों को यह देख लो ऐसा लगता है इन्होंने भी मुस्कुराना छोड़ दिया है।
पता नहीं यह जीव-जंतु पेड़-पौधे क्यों शांत है क्या इन पेड़ पौधों को भी कोरोनावायरस का डर है मॉम यह वायरस कब खत्म होगा बेटा यह तो मुझे नहीं मालूम बस कुछ भी सही इस वायरस ने तो सबकी पैरों में बेड़ियां डाल दी हैं अदृश्य रहने वाला यह वायरस पता नहीं कितनों की जान लेगा कितनी संख्या में लोग मर चुके हैं और पता नहीं कितनों को निगलेगा मुझे तो उन लोगों की बहुत चिंता होती है जो लोग आम जनता की सेवा में रात दिन लगे हुए हैं बस भगवान से एक ही प्रार्थना है कि उन सभी पर ईश्वर की कृपा बनी रहे और किसी प्रकार का कोई कष्ट ना हो।