कर्म
कर्म
"न उम्र का लिहाज किया और न ही रिश्ते का"
घर में झगड़ा ये तो रोज की ही कहानी थी। पर आज तो मानो बुढ़े रामलाल जी और नीना देवी पर वज्र पात ही हो गया जब उन्हें पता चला कि धोखे से उनके एकलौते बेटे और बहू ने प्रापर्टी पर साइन ले सबकुछ अपने नाम कर लिया हैं। बेशर्मी की हद तो तब पार हो गयी जब उनके बेटे बहू ने धक्के मार कर उन्हें घर से बाहर निकाल दिया।
सुनसान सड़क पर दोनों बुजुर्ग पति-पत्नी असहाय से खड़े थे उन अनजान राहों पर चलने के लिए।
"जिस पर चलने के लिए कभी उन्होंने अपने माता-पिता को विवश क़िया था " .
