अबार्शन

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मुबारक हो आप फिर से माँ बनने वाली हैं । चेहरे पर खुशी के बजाय उदासी ने घर बना लिया । 

"क्या हुआ नीलू खुश नहीं तुम..?"

आँख भर आयी ,बिना कुछ कहे कार में जा बैठी । खुशी की जगह उदासी संग जा रही थी घर । 

संजीव मुझे नहीं चाहिए ये बच्चा बोलते ही सिसक पड़ी ।मैं अबार्शन करवाना चाहती हूँ !


मैं जानता हूँ नीलू ,पर क्या पता इसबार चमत्कार हो जाये इसलिए समय का इंतजार करो।" तब तक घर आ गया ।

कार से उतर फिर नीलू बोली "कहीं फिर से ......."


फिर आँखों में आँसू व निराशा छा गयी । ईश्वर पर विश्वास रखो वो जरूर हमारी सुनेंगे इस बार । चलो और सारी चिन्तायें छोड़ दो । हर तरह से ख्याल रखता उसका पर वो बेमन से अपना व गर्भ के प्रति लापरवाही करती । सब देख कर भी क्या करता संजीव गर्भ गिराने के पक्ष में न था । खैर समय आया नीलू ने एक सुंदर बच्चे को जन्म दिया जब होश में आयी तो नर्स से पूछा क्या हुआ तो नर्स ने कहा मुबारक आपको बेटी हुई हैं विस्मित सी हो देखनी लगी !

 "नहीं ऐसा नहीं हो सकता ,मैं नहीं मानती ,मुझे बेटी ह़ो ही नहीं सकती ।" अर्धनिंद्रा में वो बैचेन हो उठी डाक्टर्स आये सबने समझाया पर वो न मानी तब संजीव ने आ जब कहा नीलू "हमें बेटी हुई है ,तुम्हारी मुराद पूरी कर दी ईशवर ने "और बोलते ही उसे आगोश में ले लिया तब जाकर वो मानी । डाक्टर ने होश में आते ही जब बच्ची को गोद में दिया तो फूट फूट रोने लगी नीलू व अविश्वास से नन्ही जान को निहारने लगी मानो कोई चमत्कार हो । पर संजीव पंडितों ने तो कहा था मेरे भाग्य में बेटी ही नहीं तभी तो मैं अपना ख्याल नहीं रख रही थी व गर्भ गिराना चाहती थी ।

 मैं जानता हूँ पर नीलू , पर ईश्वर पंडितों की भविष्यवाणी से ज्यादा लोगों के दिल देखते हैं तभी तो माँ स्वंय पधारी हैं तुम्हारे गोद में अब तो मुस्कुरा दो। तभी सोनू दौड़ता आया अपनी दादी के साथ व छोटी सी परी को देख माँ से शिकायत करने लगा, "माँ भाई क्यों न लाई बहन क्यों लाई? ये मेरे सारे खिलौने छीन लेगी ।"

उसकी इस मासूम शिकायत पर कमरे में हँसी गूंज गयी । संजीव मंत्रमुग्ध सा नीलू को देख रहा था जो अरसे बाद खुल कर हँसी थी । 




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