पति का बटुआ

पति का बटुआ

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आफिस से आते ही सोफे पर बैग रख अभय ने सुधा से कहा " मैंने तुम्हें दो हजार रूपये दिये थे आज खर्चे के लिए चलो उनका हिसाब दो "। सुधा भी किसी आज्ञाकारी पत्नी की तरह पाई-पाई का हिसाब देती चली गयी। 

खर्चे में हमेशा की तरह पाँच सौ रूपये की बचत की थी उसने। लगा आज तो अभय उसकी इस बचत की आदत की तारीफ करेगा पर हमेशा की तरह बचे पैसे उससे ले पाकेट में डाल उसका पर्स खाली कर वो फ्रेश होने के लिए चला गया। 

पैंट में पति के भरे बटुए को देख रही थी वो ! वैसे तो उसके इस व्यवहार की आदी थी सुधा पर फिर भी अपना खाली पर्स देख आज फिर से आंखों से आंसू छलक आये। तभी उसकी नजर अपने घर के सामने सड़क पर के उस भिखारी पर गयी जो रोज की तरह भीख मांग बिल्ली के बच्चे को दूध पिला रहा था।

आज उसे फिर से वो भिखारी खुद से ज्यादा अमीर लग रहा था।


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