सीता की अग्नि परीक्षा कब तक

सीता की अग्नि परीक्षा कब तक

1 min
395



दरवाजा खोलते ही फिर से बदन पर चोटों के निशान देख गुस्से और चिन्ता से नौकरानी मीरा पर सारे काम भूल लगभग चीखती नीना बोली ।


 किस मिट्टी की बनी है री मीरा तू ? 


इतनी मार बरदाश्त कैसे करती है तू ? और क्यों ? रोज मारता है तुझे । तेरे ही कमाये पैसों को छीन शराब पीता है । पत्नी का सुख तक नहीं देता तुझे जाने कितनी जगह मूंह मारता फिरता रहता है । अरे पगली छोड़ क्यों नहीं देती ऐसे आदमी को जो नाम भर को तेरा पति है । शादी जैसे पवित्र बंधन को बस तू ही निभा रही है । आखिर बचा ही क्या है इस रिश्तें में जिसे तू निभाये जा रही है वो भी इतने दुख झेलकर ।


अब तक मूक मीरा जो चुपचाप मालकिन की डांट सुन रही थी । नीना के चुप होते ही बोली , बचा है न मेमसाब इस रिश्तें में अब भी कुछ बचा है । 


मीरा की बातों से चौंकती नीना बोली । क्या बचा है री पगली ?


मेमसाहब अब भी बची है "आस" कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा और मेरा मरद बदल जायेगा ।


उसकी बातों से नीना सोचने लगी आखिर कब तक सीता अग्नि परीक्षा देती रहेगी !




Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy