कोरोना हारेगा
कोरोना हारेगा
रमईया एक छोटे से गांव का किसान था। कम आबादी होने के कारण उसके गांव में कोई स्कूल नहीं था। उसकी एक प्यारी सी बेटी थी चंचला, जो शहर में अपनी नानी के साथ रहती थी। वो कक्षा सात में पढ़ती थी। एक दिन अचानक उसे खबर मिली, कि उसकी बेटी चंचला वापस गांव आ रही है और इसका कारण कोरोना वायरस है, जिसके कारण उसका स्कूल बंद हो गया है। परीक्षाएं स्थगित हो गई है।
इस खबर को सुनकर वो बहुत खुश हुआ, लेकिन जब उसे पता लगा कि कोरोना वायरस के कारण उसके स्कूल में छुट्टी हो गई है, तो यह बात उसके कुछ समझ में नहीं आई। एक बात और भी बड़ी विचित्र थी कि इधर कुछ दिनों से उसके खेत से होकर रोजाना जो रेलगाड़ियां गुजरती थी, उन रेलगाड़ियों का भी गुजरना बंद हो गया था। सिर्फ इतना ही नहीं, कई दिनों से कोई यात्री बस भी उसने सड़क पर नहीं देखी थी। पर क्यों..? यह बात उसकी समझ से परे थी!
फिर इस बारे में मोबाइल से जब उसने चंचला से बात की, तो उसने बताया कि बापू, यह सब कोरोना वायरस की करामात है। और ये वायरस इतना खतरनाक है, कि इसी के कारण ट्रेनों और बसों को भी बंद कर दिया गया है।
रमईया ने कहा, "बेटी, मेरे को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है, कि ये कैसा कोरोना वायरस है, जिसके कारण ट्रेनें भी बंद है। बसें भी बन्द हैं। मेरी पूरी जिंदगी में ऐसा कभी नहीं हुआ, जबकि हमारे गांव से कोई पैसेंजर ट्रेन न गुजरी हो। या बस न गुजरी हों।
तब चंचला ने कहा, "बापू, सिर्फ ट्रेन और बस ही नहीं अब तो हवाई जहाज का उड़ना भी बंद है। और बापू, मैं जब आऊंगी तब बताऊंगी आपको इस कोरोना वायरस के बारे में। आप आज शाम को मेरा इंतजार करना।"
"मगर बेटी जब ट्रेन भी बंद है और बस भी बंद है तो तू आएगी कैसे..?"
तब चंचला ने कहा, "बापू, सिर्फ 5 किलोमीटर ही तो है मेरा गांव शहर से। मैं अपने पप्पू मामा के साथ साइकिल पर आ जाऊंगी।"
रमईया ने कहा, "ठीक है बेटी। मैं तेरा इंतजार करूंगा।"
और शाम को जैसे ही चंचला पप्पू मामा के साथ गांव आई और रमईया ने अपनी बेटी को गोद मे लेना चाहा, वो चार कदम पीछे हटते हुए बोली-"ना ना बापू। पहले मेरे को साबुन से हाथ धोना है। और आप थोड़ा दूर ही रहो मेरे से, क्योंकि अगर यह कोरोना वायरस हमारे शरीर में घुस गया, तो ये हमारी जान भी ले सकता है। और बापू, अभी इसकी कोई दवा भी नहीं बनी है।"
"अरे बेटी, ये कैसी बात तो कह रही है तू..? और ये कैसा वायरस है कि मैं तुझे अपने गले से भी नहीं लगा सकता. !"
"बापू, पहले आप ये बताओ मेरे को, कि हमारे गांव में इधर कुछ दिनों पहले क्या कभी कोई शहर से यहां आया है..?"
"नहीं बेटी, लेकिन एक दिन एक गाड़ी वाला इस गांव से होकर ज़रूर गुजरा था। उसकी गाड़ी कुछ खराब हो गई थी, तो दो चार घंटे तक वो यहीं था। इस बीच हमने उसे पानी पिलाया और खाना भी खिलाया और उसके बाद जब उसकी गाड़ी ठीक हो गई, तब वो चला गया।"
"यह ठीक नहीं हुआ बापू । पर इस बारे में हम बाद में बातें करेंगे। पहले मैं साबुन से अपना हाथ धो लूं और आप भी अपना हाथ धो लें और फ्रेश हो लें, उसके बाद इत्मिनान से हम बातें करेंगे।"
"ठीक है बेटी।" बापू ने कहा
फिर कोई आधे घंटे बाद फ्रेश होकर चंचला ने अपने कपड़े बदल लिए और बापू भी नहा धोकर धुले हुए वस्त्र पहन कर जब उसके पास आए तब चंचला ने बापू से कहा, "बापू यह कोरोना वायरस ऐसा वायरस है, जो आंखों से दिखता नहीं, लेकिन अगर किसी को कोरोना रोग है, तो उसके खांसने से, छींकने से या उसको छूने से यह वायरस हमारे शरीर में आ जाता है। और यह इतना खतरनाक है बापू कि अगर ये वायरस हमारे शरीर में चला गया, तो इससे हमारी मौत भी हो सकती है, क्योंकि अभी तक इसकी कोई भी दवा नहीं ब
नी है। और सिर्फ इतना ही नहीं बापू, अगर किसी को कोरोना है और उसने अपने हाथ से किसी चीज को छुआ है और उसी चीज को हम भी छू लेंगे, तब भी हमें कोरोना हो सकता है। जैसे रुपया पैसा, बर्तन आदि.।"
"अब उस दिन जो व्यक्ति कार से यहां आया था, आपको क्या मालूम कि उसे कोरोना था या नहीं था..! और मान लीजिए उसे कोरोना रहा हो, तब तो आपको भी खतरा है न..? क्योंकि आप उसके समीप गए थे और आपने उसे भोजन पानी भी दिया था !"
"और बापू, कोरोना का लक्षण तुरंत नहीं पता लगता, बल्कि पांच छह दिन में, और कभी कभी तो तेरह चौदह दिनों के बाद इसका पता लगता है। और इसकी मुख्य पहचान है खांसी, बुखार और सांसों में तकलीफ..!"
"बापू, आपको तो खांसी, बुखार या सांस लेने में कोई तक़लीफ़ तो नहीं है न..?"
"नही बेटी। मेरे को ऐसी कोई तक़लीफ़ नहीं है। लेकिन जैसा कि तूने बताया इस कोरोना के बारे में, यह तो बहुत ही खतरनाक है बेटी..!"
"हां बापू, यह वायरस वास्तव में बहुत ही खतरनाक है। और ईश्वर का लाख-लाख शुक्रिया बापू, कि आप बच गए। मगर आगे से इस बात का बिल्कुल ध्यान रहे, कि किसी भी अजनबी से दूरी बनाकर रखें। उसके करीब ना जाए। और बाहर से जब भी आए, तो हाथ को अच्छी तरह से साबुन से धो लें और अपने हाथ से मुंह नाक और आँख का स्पर्श न करें।"
"मगर बेटी, यह तो गांव है। यहां कहां कोई कोरोना का मरीज है, जो बार बार हाथ धोने की जरूरत पड़े।"
"आपका कहना सही है बापू, फिर भी गांव में कौन किससे कहां मिलता है , क्या मालूम..? अगर शहर से कोई चिट्ठी पत्री आती है और उसमें कोरोना वायरस हो, तो उस चिट्ठी को छूने से भी हमें कोरोना हो सकता है। इसीलिए हमें सावधानी तो बरतनी ही होगी।"
"सही कहा तूने बेटी। पर एक बात अभी भी, नहीं समझ में आई, कि इस कोरोना के कारण स्कूल, कॉलेज क्यो बंद हो गए? रेल, बस और हवाई जहाज क्यों बंद हो गए..?"
"बापू, अभी मैंने बताया न, कि जिसे कोरोना है, अगर उसने कोई भी चीज़ छुआ, और उसी चीज़ को हमने भी छू लिया, तो हमें भी कोरोना हो सकता है। अब मान लीजिये कि कोई कोरोना का मरीज ट्रेन में बैठा हो, तो उसके साथ मे बैठने वाले को भी तो कोरोना हो जाएगा न..? और इतना ही नहीं, वो जिस जिस चीज़ को छुएगा, उन चीजों को छूने वाले हर यात्री को कोरोना हो जाएगा। इस प्रकार सिर्फ एक कोरोना का रोगी सैकड़ों लोगों को कोरोना का रोगी बना सकता है। और फिर उन सैकड़ों रोगियों के संपर्क में आने वाले हजारों लोग रोगी हो जाएंगे। फिर उन हज़ारों रोगियों के सम्पर्क में आकर लाखों लोग रोगी हो जाएंगे..! बापू, ये एक ऐसी चेन है, जिसको शुरू में ही अगर तोड़ा न गया, तो आगे चलकर इन रोगियों का आंकड़ा लाखों और करोड़ों में भी पहुंच सकता है..! और यही कारण है, कि आज रेल, बस, हवाई जहाज़ आदि सब बन्द हैं, और कोरोना के मरीज को आइसोलेट कर कर दिया जाता है। मतलब उसको बिल्कुल एकांत में रहना पड़ता है।"
"लेकिन ये भी सच है बापू, कि अगर कोई मरीज कुछ दिनों तक बिल्कुल अलग रहे, सफाई से रहे, ताज़ा भोजन, फल सब्ज़ियां , जूस ले और सबसे दूरी बना कर रखे, तो बिना किसी दवा इलाज के भी वो पूरी तरह से ठीक हो जाता है और उसके कारण कोई और बीमार नहीं पड़ता। और बापू, अभी सिर्फ यही एक तरीका है इस बीमारी से लड़ने का, जब तक कोई सटीक इलाज इसका नहीं मिल जाता।"
"बहुत अच्छी बात बताई तुमने बिटिया। हम आज और अभी इस बात का संकल्प लेते हैं कि हम सदा सतर्क रहेंगे और किसी भी अनजान आदमी से दूरी बना कर रखेंगे और सफाई से साबुन से हाथ धोकर ही भोजन पानी ग्रहण करेंगे और इस कोरोना को अपने देश से भगा कर ही रहेंगे।
कोरोना हारेगा और ज़रूर हारेगा...!