Sudershan Khanna

Abstract

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Sudershan Khanna

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कोरोना और तनाव

कोरोना और तनाव

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इस विशेष समय में कोरोना वायरस के चलते जो देश काफी पहले लाकडाउन कर चुके हैं वहां पर डाइवोर्स रेट बहुत बढ़ गया है तथा वहां पर मदिरा की खपत बहुत बढ़ गई है। सामान्यतः ऐसे में चिंतित हो जाना, तनाव में आ जाना स्वाभाविक है। यह सोच कर उदासी में चले जाना कि बंद करके बिठा दिया है। जिन लोगों को भागदौड़ की आदत है, जो लोग बाहर घूमते रहे हैं और लगातार काम करते रहे हैं तो कुछ दिन तक तो उनका यह सोचना ठीक था कि जैसेे कोई बड़ा शानदार अवकाश मिला है। लेकिन इसके बाद यह तय था कि छटपटाहट होगी और बेचैनी आयेगी। 

मेरा मानना है कि इस समय को प्रयोग करने के सकारात्मक ढंग भी हैं और नकारात्मक भी। नकारात्मक की बात पहले करते हैं। एक प्राथमिक सूचना जो पूरी दुनिया को दी जा रही है कि सामाजिक दूरी बनाए रखें, पृथकवास में रहें, विशेष आयु वर्ग के बच्चे और प्रौढ़ व्यक्ति बाहर न निकलें। बाहर निकलने पर मास्क पहनें और लगातार हाथ साफ करते रहें। मीडिया पर इतनी जानकारी लेने के बाद आप इसके अनुसार जीवन शैली बनाएं। इतना ही काफी है। परन्तु यदि आप नकारात्मकता में डूबना चाहते हैं तो सारा दिन समाचार देखते रहिए कि कहां क्या हो रहा है, कितने कोरोना पाजिटिव हो गए हैं, कितने मर गए और लाॅकडाउन कितने दिन चलेगा। अब यह आपकी पसन्द है। माना कि यह स्थिति अभी हमारे नियन्त्रण से बाहर है तो फिर हम क्या करें? हमारा नियन्त्रण इस पर तो है कि हम लाॅकडाउन के नियमों का पालन करें। पर तनावग्रस्त होकर न रह जायें। इसके सकारात्मक ढंग भी हैं जिन्हें अपना कर हम तनावमुक्त रह सकते हैं। 

एक घंटा कम से कम हम अपने शारीरिक व्यायाम को दें। बहुत सारे लोग हैं जो तथाकथित समय की कमी की वजह से या व्यायाम नहीं करते या ये उनके लिए खूबसूरत बहाना होता है, उनके लिये ये अवसर है कि एक घंटा व्यायाम कर सकते हैं। अगर आपके पास घर में सैर करने या जागिंग के लिए पर्याप्त जगह नहीं है तो यूट्यूब पर उपलब्ध कुछ गतिविधियां कर सकते हैं। आप डांस कर सकते हो, जु़म्बा कर सकते हो, कुछ भी कर सकते हो। मतलब यह कि एक घंटा रचनात्मक तौर पर अगर स्वयं को देते हो तो ऐसा करके हम रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं जिसे हम व्यस्त शैली में नहीं कर पा रहे थे। नियमित रूप से करने पर इतने समय के अन्दर आपको काफी फर्क नज़र आयेगा। 

इसके बाद एक घंटा मन की स्थिति पर देना चाहिए। शारीरिक व्यायाम की आवश्यकता तो पूरी हो गई। पर मन की आवश्यकता पूरी करने के लिए, उलझन के लिए, मेरा मानना है कि हमें कोई एक ऐसी गतिविधि पकड़नी चाहिए जिसका हमें जीवन में लाभ हो। कोई नया स्किल सैट होना चाहिए। मूल बात यह है कि जो भी कुछ नया सीखना है उसके लिए एक घंटा देना है। उदाहरण के तौर पर किसी को कभी खाने बनाने का शौक रहा है तो इन दिनों रोज कुछ नया सीखिए। किसी को नई भाषा सीखने का शौक है तो उसे पूरा किया जा सकता है। आॅनलाइन ये इन्टरनैट पर उपलब्ध होते हैं। किसी को लगता है कि शादी जैसे समारोहों में वह डांस करने में अच्छा नहीं है। तो वह इस समय का प्रयोग कर सकता है। किसी को गाना अच्छा लगता है तो उसके लिए भी यह उपयुक्त समय है। मतलब यह है कि कुछ नया सीख जाने के बाद आपकी मनोस्थिति बिल्कुल भिन्न होगी। आपमें आत्मविश्वास जगेगा। स्वयं को भी अच्छा लगेगा।

तीसरा घंटा मेरे हिसाब से बहुत जरूरी है उन लोगों के लिए जिन लोगों ने कभी प्रयोग नहीं किया। यह अपनी आत्मा के लिए देना है, भावनाओं के लिए देना है। इस समय हम भावनाओं के ज्वर में बह रहे हैं, कुछ डरे हैं, कुछ गुस्से में है, कुछ को अलग परेशानी है। यदि आप चाहे तो योग कर सकते हैं। उस एक घंटे में आप मैडिटेशन कर सकते हैं, प्राणायाम, अनुलोम विलोम का सकते हैं। यदि यह आपकी रुचि के अनुसार नहीं हैं तो सत्संग करो, या जिस भी गुरू को आप पूजते हों उनसे संबंधित सत्संग देखो, या आप भजन करो, सुनो, एक घंटा इस चीज के लिए चाहिए। सब कुछ क्योंकि यूट्यूब पर उपलब्ध है, जो कुछ आप सीखना चाहते तो हो तो कोई आपको किसी का साथ नहीं चाहिए कि आप एक घंटे का बैठ कर अगर श्रवण ध्यान कर लो, किसी गुरू के ज्ञान पर आधारित कार्यक्रम ही सुन लो। यह आपके एक सुरक्षा तंत्र की तरह काम करता है । आप धन कमाने के लिए बाहर नहीं निकल सकते आप बहुत परेशान हो रहे हैं, तनाव में हैं। आत्मिक शांति बनाए रखने के लिए यह सब कर सकते हो।

ये तो हो गए तीन घंटे अपने लिए। इसके बाद हमें परिवार को भी समय देना है। हम में से ज्यादातर लोग काम धंधे में इतने व्यस्त रहते हैं कि हम अपने परिवार की अनदेखी कर जाते हैं। यह एक अवसर है। हम सारा दिन घर बैठे हैं। पत्नी के साथ बैठे हैं, बच्चों के साथ बैठे हैं, मां-बाप के साथ बैठे हैं, भाई बहनों के साथ बैठे हैं, अपनी आयु वर्ग के सदस्यों के साथ बैठे हैं। एक घंटा परिवार के साथ रहें। आप घर के कामों में हाथ बंटाकर भी एक घंटा समय दे सकते हो। इस वक्त क्योंकि घर के अंदर सहायक नहीं हैं तो चाहे आप घर के जो भी काम हैं कपड़े धोना, बर्तन मांजना, खाना बनाना, साफ सफाई रखना इन चीजों के अंदर आपको हाथ बंटाना चाहिए और इसके अलावा चाहे आप घर के लोगों के साथ बैठ कर कोई बोर्ड गेम खेलो, अंताक्षरी खेलो, ताश खेलो, या कोई गाने सुनो बैठ कर। आइडिया यह है कि परिवार के साथ उत्तम समय बिताओ।  

इस तरह हमारे चार घंटे व्यतीत हो गए। अब है पांचवां जो ज्यादातर लोग अनुभव कर रहे होंगे। यह एक किस्म से व्यापार के लिए या नौकरी के लिए। इसमें दो किस्म के लोग हैं। एक जिनका अपना व्यापार है और जो घर में बैठे हैं। तो बन्धु कोरोना वायरस लोगों को मारे या न मारे एक बात तो तय है कि अर्थव्यवस्था को तो गंभीर परिणाम भुगतने हैं। कुछ साल पीछे जाने वाले हैं सभी लोग। अर्थात् आने वाले समय में आप जो भी व्यापार कर रहे हो, जो भी काम कर रहे हो उसमें बहुत सारे लोग टूट जायेंगे, बहुत सारे व्यापार खत्म हो जायेंगे। लेकिन व्यापार के अंदर जिस गति के साथ जितना व्यापार कर रहे थे, उतना ही अगर आप प्राप्त करना चाहते हो तो यह बहुत मुश्किल होने वाला है। जिन लोगों का व्यापार छूटेगा वो आपका व्यापार छीनने आयेंगे। अतः इस समय का सदुपयोग करते हुए आप आने वाले समय के लिए तैयारी करो। आपका जो भी काम है उस काम में अगर आपको कोई अपना स्किल सैट बेहतर करना है, करो। कुछ भी इम्प्रूव करना है करो। 

व्यापार में एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है कि लोगों से, अपने ग्राहकों से संबंध बनाये रखो। एक एक करके सबको फोन करो, बात करो। माना अब नहीं है वो ग्राहक, लेकिन जो वर्तमान ग्राहक हैं, उनसे बात करो, या जो ग्राहक बाजार में हैं लेकिन आपसे व्यापार नहीं करते, आप उन लोगों से बात करो, उनका हालचाल पूछो, उनके साथ संबंध जोड़ो। इस वक़्त जैसे आप खाली बैठे हो वैसे वो लोग भी खाली बैठे हैं। किसी से ऐसे वक्त में मानवीय आधार पर लोगों की जानकारी लेना कि उनका परिवार ठीक है अगर आप किसी को जानते आये हो। लेकिन इस वक़्त व्यापार की दृष्टि से भी ये बहुत जरूरी है। हो सकता है यह स्वार्थीपन लगे, लेकिन यह बहुत जरूरी है। आप इस बात के लिए तैयार रहो कि आपके संबंध बेहतर हों, आपका स्किल सैट बेहतर हो ताकि जब समय पूरी तरह से खुल जाये तो ये जो अंतिम अवसर है आप इसे भुना सको। ये काम के लिए जरूरी है।

इसी तरह जो लोग नौकरीपेशा हैं उन लोगों को यह ख्याल हो सकता है कि भैया सवेतन छुट्टियां मिली हुई हैं और हम तो अपने घर में बैठे हैं, मस्त समय है, इस वक़्त काम करने की जरूरत नहीं। तो बन्धु जब वो व्यापार दिक्कत में आयेंगे, जहां आप काम करके वेतन कमा रहे हो, तो उस पर भी मार पड़ेगी। लोगों की नौकरियां भी जायेंगी और वेतन भी। बेरोजगारी बढ़ेगी। अच्छा यह है कि इस बात को ध्यान रखते हुए कि अपने सर्वाइवल के लिए, अपने परिवार के सर्वाइवल के लिए, आप रचनात्मक बनें। अपनी नौकरी के अनुसार नई नई बातें सीखें जिससे आपकी जरूरत महसूस हो। आपको कुछ नया सीखना और कुछ करना है। और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना है। 

एक घंटा इसको देने के बाद और एक घंटा जो है वो आपको समाज को देना चाहिए। मतलब यह है कि अगर आप समाज के लिए कुछ कर सकते हो तो बहुत अच्छी बात है। अगर आप समाज के लिए कुछ नहीं कर पा रहे क्योंकि लाकडाउन है तो फिर आपका जो मित्र वर्ग है वो भी समाज के दायरे में आता है। उनसे बात करें। पुराने मित्रों से आप बात कर सकते हो, जिनके साथ बात करने के लिए आपके पास समय नहीं होता था, बात नहीं कर पाते थे, आप बात कर सकते हो, हालचाल पूछ सकते हो। यह भी सुनिश्चित करें कि कोरोना के बारे में छोड़ के बातें करने वाला काम हो। 

तो ये लगभग 6 घंटे का हिसाब किताब दिन का हो गया। और अगर आप इसके अलावा और कुछ भी करना चाहोगे, जैसे अखबार पड़ना, टीवी देखना और फुरसत का समय लगाओगे तो पाओगे कि पूरे दिन के लिए हिसाब किताब है। और क्या नहीं करना है, न्यूज देखना बंद कर दो, वाट्सएप्प के ऊपर कोरोना संबंधी चीजें इधर से उधर करना बिल्कुल बंद कर देना चाहिए क्योंकि वह अर्थहीन है। वही की वही बातें सर्कुलेट हो रही हैं जो सब तरफ सर्कुलेट हो रही हैं। आपको इस पर समय लगाना है तो लगाओ फिर यह आपकी पसन्द होगी। मेरे विचार में ठीक नहीं है।

इस प्रकार से हम स्वयं को व्यवस्थित कर कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त रह सकते हैं।


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