Sajida Akram

Tragedy

5.0  

Sajida Akram

Tragedy

कलयुगी बेटा

कलयुगी बेटा

6 mins
830


हम लोग जिस जगह रहते थे मल्टी स्टोरी बिल्डिंग थी। बहुत से फ्लैट थे हम लोग थर्ड फ्लोर पर थे। मै ज़्यादा नहीं निकलती थी इसलिए कम ही लोगों को पहचानती थी, मगर मेरी पड़ोसन बड़ी तेज़तर्राट थी उनको हर एक की पूरी जानकारी रहती थी, वो गासिप में भी इन वाल्व रहती थी। 

कभी मेरे पास बैठ जाती तो हर फ्लोर के फ्लैट में किसके यहाँ क्या हो रहा है, क्या चल रहा है सब सुना जाती, मैं अक्सर कहती क्या शर्मा भाभी क्यों करती हो इधरउधर की बातें बेकार में कोई झगड़ने नहीं लगें आपसे , एक दिन उसनें ग्यारहवें फ्लोर वाले 1104 फ्लैट वालों की बताया कि वो फ्लैट वाली रेलवे में नौकरी करती हैं और पति आंध्रप्रदेश में काम करता सरकारी नौकरी में है। माँ, बेटे यहाँ रहते हैं। भाभी मालूम सुना है उसका बेटा इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा है मगर उसके बेटे के चाल-चलन अच्छे नहीं है। 

मैंने कहा छोड़ो अपने को क्या, शर्मा भाभी बोली अरे नहीं सुब्बा लक्ष्मी बहुत अच्छी औरत हैं मेरी गार्डन में मुलाकात होती रहती है, वो बता रही थी के एक दो साल में रिटायर्ड हो जाउंगी तो पति के साथ रहने चली जाऊंगी, 

फिर कई दिनों तक हम भी बेटी के पास रहने चले गए। छह महीने में आए तो घर की साफ-सफाई में लग गई एक दो दिन में फुर्सत हुई तो शर्मा भाभी हाज़िर थी अपनी सूचनाओं का पुलिंदा लेकर, मेरे पति ने गेट खोला और अंदर आते हुए कमरे में बोले लो आ गई तुम्हारा बी.बी.सी.लन्दन सारे जमाने के समाचार मिर्च मसालों के साथ देने , मैंने हंसकर कहा ठीक हे ना थोड़ा उनका भी टाइम पास हो जाता है। मैं भी कहाँ निकलती हूँ बाहर मुझे ख़बरें मिल जाती है, मेरे पति इसे ख़बरें नहीं कहते चुगली करना कहते हैं। 

 भाभी जी ने आते ही बताया अरे सुरभि तुम्हें मालूम पड़ा यहाँ क्या-क्या हो गया मैंने कहा आपको तो पता हम बाहर थे क्या हुआ ज़रा खुल कर बताओं 

   फिर उन्होंने सुब्बा लक्ष्मी का बताया कई दिनों से दिख नही रही थी, हम सब बिल्डिंग वालों को लगा वो हैदराबाद चली गई है। बेटा अकेला दिखता था कभी-कभी एक लड़की दिखती थी। वो लड़का सब सोसाइटी के लोगों लगा लड़कियां ला रहा है आस-पास वालों ने शिकायत की सोसाइटी में तो वो लड़ने लगा कभी करीगरों को लाकर रात में काम कराता। 

कुछ दिनों बाद लड़की भी आना बंद हो गई, पुलिस आई तो राज़ खुला कि लड़की आती थी उसके माँ-बाप ने दिल्ली में रिपोर्ट दर्ज करी है कि हमारी बेटी

आरुषि दिल्ली में सर्विस करती थी उससे कुमार स्वामी ने फेसबुक पर दोस्ती की हम दोनों ने बहुत समझाया की ऐसे लड़के फ्राड होते तुम इस चक्कर में मत पड़ो मगर वो इस लड़के के प्यार में पड़ कर लिव इन रिलेशन में रहने लगी। यहाँ ट्रांसफर भी लेने वाली थी। अभी पांच महीने से फोन भी नहीं उठा रही है, जब भी फोन करते हैं, ये स्वामी ही फोन उठाता है और बस ये बताता है के वो कम्पनी की ओर से विदेश गई है। हमें तो डर है इसने हमारी बेटी के साथ कुछ गलत किया है बाहर जाती तो कभी तो फोन करती हमें, 

कुमार स्वामी उस लड़के के नाम से रिपोर्ट है,दिल्ली पुलिस गिरफ्तार करके ले गई जब पूछताछ हुई तो राज़ खुला है , वो पुलिस को खूब परेशान करता रहा कभी हैदराबाद का बताता ,पर वो पागल था कभी कहता मैंने अपने माँ और बाप दोनों को मार दिया पुलिस ने जब देखा कि ये तो कुछ न कुछ बकवास करें जा रहा है । फिर उसके जब खूब मारा तब वो सही बताने लगा, 

मेरी माँ मेरे साथ रहती थी वो मेरे खर्चे उठाने में खूब किचकिच करती थी, मेरे नशा करने पर और मेरे बड़ी-बड़ी गाड़ियों का शोक़ था तो मुझे कहती थी पहले कमा फिर ख़रीदना। मुझे उसकी रोका-टोकी पसंद नहीं थी एक दिन मैंने अपने ड्रग्स के लिए पैसे मांगे तो बहुत मचमच करने लगी। बस मैंने वहीं डाल दिया। गले में टेलीफोन के तार से गला घोंट दिया और मैने उसको विदेश में इलाज करने की झूठी कहानी गढ़ कर आफिस में माँ के अधिकारियों से मिला और अमेरिका में रहने वाली मौसी से पहले से बता कर रखा के मां को पेरलेसिस हो गया है माँ के अधिकरी बात करें तो आप कह देना हां वो अमेरिका में इलाज करा रही है, बोल नहीं पा रही है। बस इतना ही बताना है, मौसी ने पापा को फोन कर दिया कि सुब्बा लक्ष्मी को पेरलेसिस हो गया है कुमार स्वामी का फोन आया था 

बाप कुमार सुब्रमण्यम आ गया घबराया हुआ वो परेशान करने लगा बाप को क्या बताता एक दिन मैंने नशे के हालत में सब कुछ सही-सही बता दिया के मैंने माँ को मार कर यहीं घर में दफना दिया, वो गुस्से में आगबबूला हो गया पुलिस के पास जाने की धमकी देने लगा, मैंने उसे भी वैसे ही मार दिया, गाड़ी में रख कर हैदराबाद गया वहाँ घर में दो दिन रखा हैदराबाद में गार्डन में रात में गढ़ा खोद कर दफन कर दिया मेरे बाप को, कुमार स्वामी को पुलिस हिरासत में ड्रगस नहीं मिलने की वजह से पागल जैसा हो रहा था। 

पुलिस ने कोर्ट से रिमांड पर लेकर सब जगह से जहाँ-जहां बताया वहाँ से लाशें निकालवा कर फोरेंसिक जाचं के लिए भेजा। 

माँ की ओर से एन.ओ.सी. लेटर बनवा कर उसके सारे पैसे निकला लिए धीरे-धीरे जी.पी.एफ.प्रविडेंटफंड और भी बीमा के सब पैसे निकला लिए। और अपनी अयाशी में खर्च कर दिए। 

कुमार स्वामी के पिता तो पहले ही रिटायर्ड हो गया था उन से कुछ पैसे तो उसने ले लिए थे और जो एफ. डी थी उसका नामिनी सुब्रमण्यम ने अपनी पत्नी से सलाह मशवरा करके अपने इकलौता बेटे को बना दिया था । 

  पुलिस ने पूछा की दिल्ली वाली लड़की का क्या नाम था उसका क्या किया तूनें? दो मर्डर तो कर चुका है, वो लड़की कहाँ है। उसका नाम नीलिमा था वो मल्टी नेशनल कम्पनी में काम करती थी । मेरी फेसबुक पर दोस्ती हुई फिर वो यहाँ आने लगी कभी में दिल्ली चला जाता था। फिर हम लिव इन रिलेशन में रहने लगे में प्यार करता था । मेरे माँ और बाप के पैसे ख़त्म हो गए तो मैं उससे पैसे लेने लगा फिर हम दोनों में झगड़े होने लगे नीलिमा को मेरा ड्रग्स लेना पसंद नहीं था वो भी मेरी माँ की तरह ताने मारने लगी और मेरे से पीछा छुड़ाने लगी एक बार मैंने बहुत प्यार से उसे बुलाया मैं ड्रग्स छोड़ दूंगा तुम आ जाओ वो आ गई । बस मैंने उसे कैद कर लिया तीन महीने तक उसके सारे पैसे ये कह कर की मैं तुम्हें आज़ाद कर दूंगा अपने नाम ट्रांसफर करवाए । 

 एक दिन मौका देख कर उसको भी मार दिया धारदार चाकू से, पुलिस वालों ने पूछा उसकी लाश कहाँ है, कहता है मेरे घर में ही दफन है पुलिस वालों ने कहा वहाँ से तो तेरी माँ की ही लाश मिली है अरे नहीं मेरे बेडरूम में बेड के अंदर कम्बल और रजाई में लपेट कर पटक रखी है। 

 मैंने शर्मा भाभी जी से कहा क्या कलयुगी बेटा "है रोंगटे खड़े हो गए ये कहानी सुन कर। 


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