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Vimla Jain

Abstract Children Stories Inspirational

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Vimla Jain

Abstract Children Stories Inspirational

कलात्मक मजूस (लकड़ी की पेटी)

कलात्मक मजूस (लकड़ी की पेटी)

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यह कहानी है एक ऐसे परिवार की जहां दादी बच्चे पोते पोती भरा पूरा परिवार सब जने साथ रहते थे।

 सारे बच्चे रोज रात को अपनी दादी मां से कहानियां सुनते थे। उस घर में एक कलात्मक मजूस थी, जो हमेशा तहखाने में रहती थी। उस पेटी में कई राज छिपे थे जो परिवार के सब बच्चों को कुछ खजाने का अंदेशा देते हुए ललचाते रहते थे। हमेशा घर में सबको ऐसा लगता इसके अंदर कुछ ना कुछ खजाना भरा हुआ है बहुत सारा सोना है बहुत पैसा है जो हमारी माताजी हमेशा हमसे छुपाए रखते हैं कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा ताकि हमको इसका राज पता लग जाए मगर कैसे सब बहुत सोच विचार कर रहे थे और बहुत सोच विचार करने के बाद में उन्होंने बच्चों को मोहरा बनाने का सोचा और हमेशा हमेशा की तरह घर के सारे लोगों का ध्यान होने से सबका एकजुट होना स्वाभाविक था और उन्होंने बच्चों को बोला कि इसके अंदर कोई खजाना गड़ा हुआ है।

 बड़े तो बड़े बच्चे भी उसे बड़े चाव से उसके बारे में जानना चाहते थे।

मगर दादी कभी किसी को कुछ नहीं बताती थी।

 ऐसे ही एक दिन की बात है की बड़ोने सोचा अगर इस मजूस का राज जानने के लिए बच्चों को उकसाया जाए,तो दादी उनको मना नहीं कर पाएंगे ऐसे ही उन्होंने करा।

 और एक दिन सारे बच्चे दादी को घेर कर बैठे हैं।

उनसे तरह-तरह की कहानियां सुन रहे हैं।

और उनके साथ में खेल कर रहे हैं।

तभी उसमें से एक छोटी गुड़िया गुड्डी उठकर दादी को बोलती है दादी दादी आपने अपने गले में डोरी में यह चाबी क्यों लटका रखी है। मुझे तो दो यह चाबी किसकी है।

यह चाबी दादी बोलती है यह मेरे किस्मत की चाबी है। मैं किसी को भी नहीं दूंगी भले कुछ भी हो जाए।

वह बच्ची मचल जाती है।

क्योंकि वे अपनी मां की सिखाई हुई थी।उसकी मां ने उसको सिखा कर भेजा था कि आज इस चाबी का राज जरूर जान लेना।जिद करके भी ले लेना।

उसकी देखा देखी सभी बच्चे दादी से चाबी मांगने लगे ,और बोलने लगे चाबी यह किसकी चाबी है हमको बताओ।

दादी ने बच्चों को एक कहानी सुनाई।

उस कहानी में उन्होंने बताया कि यह चाबी मेरे पास एक बहुत बड़ा खजाना है। जो मुझे तुम्हारे पापा की दादी से मिला था।

एक बहुत बड़ी सुंदर जिस को लकड़ी की बड़ी पेटी है।

मजूस बोलते हैं बहुत सुंदर कलाकारी कर रखी है उसकी है। 

उसको तहखाने में छुपा के रखा है।

बच्चे बोले हमने तो कभी यह खजाना देखा ही नहीं।

दादी बोली यह खजाना तुमको मेरे मरने के बाद ही मिलेगा।जब तक मैं हूं तब तक यह खजाने पर तुम नहीं पहुंच सकते।

ना उसको देख सकते हो।

सब बच्चों ने अपने अपने मां बाप को यह बात बताई।

उस दिन से उनकी सेवा में और ज्यादा बढ़ोतरी हो गई।जहां उनको एक चीज चाहिए थी वहां उनके तीनों बेटे तीन चीजें लाके हाजिर करते। 

और उन का बहुत ध्यान रखते और उनका हर आज्ञा का पालन करते।

मां समझ गई कि सभी खजाने का कमाल है। सबको ऐसा था ,कि उस लकड़ी की मजूस में बहुत खजाना है, और दादी के जाने के बाद में हमको मिलेगा।

कालांतर में जब वे स्वर्गवासी हो गई, तो उनके तीनों बेटे आपस में उनकी संपत्ति को लेकर लड़ने लगे कि उसमें जो वस्तु निकलेगी  उसमें से इतना हिस्सा मेरा होगा इतना मेरा मैंने ज्यादा ध्यान रखा, मैंने ज्यादा ध्यान रखा है ऐसे करके।

फिर बच्चे बोले पहले खोल कर तो देख लो उसमें है क्या।

उसको फिर बराबर बराबर बांट लेंगे।

सब लोग एकदम मान गए ,और उस मजूस को तहखाने में से बाहर लाया गया।

दादी के गले में से चाबी को निकाला गया और ताला खोला गया।

ताला खोलते ही सबके होश उड़ गए क्योंकि उसके अंदर फटे पुराने कपड़े भरे हुए थे।

साथ में एक चिट्ठी लिखी थी। 

प्यारे बच्चों

कि अगर मैं तुमको बता देती कि मेरे पास कुछ नहीं है तो क्या तुम मेरी सेवा करते।

यह ताले का कमाल है कि बंद ताले में क्या है तुमको पता नहीं लगा।

और मेरी जिंदगी आसानी से कट गई।

मेरे बच्चों कभी भी लालच के अंदर आकर किसी की सेवा ना करो। दिल से सेवा करो। जिस तरह मैंने तुम्हारा दिल से ध्यान रखा था। उस तरह तुम को भी मेरा दिल से ध्यान रखना चाहिए था कि तुम्हारी मां थी।

जब संपत्ति का पता लगा तभी तुमने मेरे पीछे अपना तन मन धन लुटाया।

उससे पहले तुमने मुझे हर तरह से परेशान किया। यही मेरा खजाना है।

और यह मेरा आशीर्वाद है कि तुम हमेशा खुश रहो और दिल से लालच निकाल दो तो आगे यह बच्चे भी तुम्हारी सेवा करेंगे।

तो देखा ताला चाबी का कमाल

ताले में बंद कुछ भी हो किसी को पता नहीं लगता है।

इसी तरह बंद मुट्ठी लाख की खुले तो खाक की सही कहावत है ना।


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