किस्से और कहानियाँ
किस्से और कहानियाँ
"कुछ अधूरी कहानियाँ,और कुछ किस्से, बस इतनी सी तो है जिंदगी।" उसने गहरी साँस लेते हुए कहा।"अरे नही,गलत कह रही हो तुम! कुछ अधूरे किस्सों और कहानियों को पूरा करने का नाम ही तो जिंदगी है।"
वह कहने लगी"मुझे पहले ही पता था कि तुम यही बोलोगी।चलो,तुम इसी बात पर आज कोई किस्सा सुना दो।"
"अरे नही,आज तुम ही कोई नयी सी कहानी कहो।" वह इसरार करते हुए कहने लगी।थोड़ी देर चुप रहने के बाद वह बोलने लगी,"किरदार के साथ कहानी भी बदलती है या तुम यह भी कह सकती हो कि हर किरदार की नयी कहानी होती है या फिर नयी कहानी में नये किरदार या कभी पुराने किरदार की नयी कहानी।
कहानी में कुछ नए रिश्तों के आगाज़ के साथ नए पुराने रिश्तों का जमघट लगने लगता है।"
"क्या बात है तुम रिश्तों से ख़फ़ा लग रही हो?"अरे भई,रिश्तों से क्यों नाराजगी?"उसने एक गहरी साँस लेते हुए कहा।
वह जवाब में कहने लगी,"रिश्तों का क्या?वह तो समय के साथ बदलते रहते है और बदलते रिश्तों के साथ समय भी।हमे तो बस समय की परवाह करते हुए रिश्तों का खयाल रखना होता है और इसी से खूबसूरत कभी कोई कहानी बन जाती है या फिर कोई किस्सा......"
एक लंबा सा मौन पसर गया उन दोनों के बीच। शायद वे अपनी अपनी कोई कहानी और उन खट्टी मीठी यादों में खोना चाहती हो....या शायद उन क़िस्सों में ही जीना चाहती हो....