किन्नर दीदी : रिहाई (4)
किन्नर दीदी : रिहाई (4)


दीनानाथ कांस्टेबल यादव के पीछे पीछे चलते हुए सबीना के लॉकअप के पास पहुँच गए । उन्हें देखकर किन्नर गीता जमीन पर लेटी सबीना को उठाते हुए बोली " अरे मास्टर जी ! लगता है आपका यजमान आया है ...क्या नाम है इनका ...एक बार आप खुद ही देख लो ना ।"
सबीना उठकर सलाखों से बाहर देखने लगी तो दीनानाथ को देखकर बोली " अरे दीनू भैया आप ? देख लो री सारी की सारी मैं ना कहती थी कि भगवान किसी ना किसी को जरूर भेजेगा । "
कांस्टेबल यादव हँसी उड़ाता हुआ बोला " अरे सेठ जी ये तो आपको लॉकअप की चाबी समझ रहे है । अरे ओ आराम से बैठ जाओ ये मिलने आये है थमने छुड़ाने ना आये है । "
फिर सलाखों के पास लाकर कांस्टेबल यादव बोला " लो जी सेठ जी ! दस मिनट्स का टाइम है जल्दी से मिल लो । "
दीनानाथ सलाखों के पास आकर बोला " सबीना बहन ये लोग कह रहे है ........"
" बकवास कर रहे है ये हरामी ठुल्ले, हम भला क्यों मारेंगे उन्हें । दीनू भैया हमने नही मारा " उसकी बात पूरी होती इससे पहले ही सबीना बीच में बोल पड़ी ।
दीनानाथ भरोसा जताते हुए बोला " मुझे तो पहले से ही पता है कि दूसरों को औलाद का आशीर्वाद देने वाली मेरी बहन किसी का खून कैसे कर सकती है ।कोई नही मैं बात करता हूँ इनसे । "
किन्नर गीता और रूस्तम दुख जताते हुए बोले " और नही तो क्या कमीनो को कीड़े पडेंगे ठूल्लो को हमारी गुरु को देखो कैसे मारा है बिना कसूर के । "
सबीना दीनानाथ के चेहरे की तरफ देखकर बोली "री छोड़ो सारी बाते, दीनू भैया आपकी आँखों में लगता है कुछ खुश खबरी छुपी है । हमको नही बताओगे क्या ? "
दीनानाथ थोड़ा सा स्माइल करता हुआ बोला "सबीना बहन वही खुश खबरी तो मैं सबसे पहले आप को सुनाना चाहता था इसी लिए गुरुकुल गया था पर वहॉं पता चला कि आपको पुलिस ने पकड़ रखा है । सोचा नही था कि ये खुश खबरी आपको इस हालात में सुनानी पड़ेगी । "
खबर सुनते ही सबीना और उसकी टोली की आँखे नम हो गई । सब ताली बजाकर (अक्सर जैसे किन्नर ताली बजाते है ) सबीना को मुबारकबाद देने लगे । सबीना आँखों से बाहर गिर रहे आँसुओं को रोक नही पा रही थी । आँसुओं को पोछते हुए ऊपर भगवान की तरफ देखकर बोली " ओह मेरे तिरुपति बालाजी ! हमेशा की तरह आपने मेरी सुन ली । अब मुझे फाँसी भी हो जाये तो कोई गम नही । "
किन्नर रूस्तम ताली बजाकर बोला " गुरु जी ! फाँसी हो आपके बैरी और दुश्मनों को अब तो पार्टी होगी । वैसे भी ये मोये ठुल्ले बिना क्राइम साबित हुए हमें 24 घन्टो से ज्यादा देर लॉकअप में नही रख सकते । इनको हमे बेल देनी ही होगी । सेठ जी बस आप हमारी बेल का अरेंजमेंट कर दो । "
दीनानाथ उन्हें दिलासा देते हुए बोले " हाँ हाँ क्यों नही । मैं अभी बात करता हूँ । "
" अरे भाई ! किसका केक कट रहा है, बड़ी जोर जोर तै ताली बज रही थी । " सबकी तालियों की आवाज सुनकर हाथ में दो कप चाय लेकर आते हुए हवलदार त्यागी ने कहा ।
फिर दो कप में से एक कप दीनानाथ को देते हुए हवलदार त्यागी बोले " लो सेठ जी चाय पीओ, अब तो पता चल गया सच्चाई आपको ? अब आप चाय पीओ और चलो अपनी जिंदगी और परिवार को संभालो इनको हम देख लेंगे । "
त्यागी के हाथों से चाय लेकर सबीना को देकर दीनानाथ बोला " लो सबीना बहन अभी इसी से मीठा मुँह कर लो । "
फिर कुछ पैसे जेब से निकाल कर हवलदार त्यागी के हाथों में रखकर उसके हाथ की मुठ्ठी भीच कर दीनानाथ बोले " त्यागी जी !
मैं इन सबकी बेल कराना चाहता हूँ,आप ये रखिये और इनकी बेल की जो भी प्रोसेस है आप कीजिये । "
हवलदार त्यागी थोड़ा सा गुस्सा और नाराजगी दिखाते हुए बोले " अरे सेठ जी ! एक अच्छे इंसान की तरह आपको चाय पूछ ली तो आप सिर पर ही चढ़ गए । और ऊपर से मुझे रिश्वत दे रहे हो । "
तभी कांस्टेबल यादव वहाँ आ गया और दीनानाथ का हाथ पकड़ कर बाहर ले जाता हुआ बोला " आपको पता है आप क्या कर रहे है ? आप बाहर आइए । त्यागी जी जैसे भगवान त्याग का दूसरा नाम है उनको आप रिश्वत दे रहे है । आपको पता है पूरे हरियाणा में अपनी ईमानदारी के लिए फेमस है हमारे त्यागी जी । "
दीनानाथ बोला " अरे यादव जी मैं तो ....."
कांस्टेबल यादव उन्हें चुप करते हुए बोला " अरे सेठ जी ! वो नही लेते, पर मैं लेता हूँ । दीजिए क्या देना है आपको । "
दीनानाथ यादव के चेहरे की तरफ देखकर बोले " जी ????"
तभी पीछे से हवलदार त्यागी भी आ गए, कांस्टेबल यादव ने एक रसीद बुक निकाल कर कहा " जी वी कुछ नही अब आप जी भर कर जितना देना चाहो रिश्वत दे सकते हों, बोलिये कितना अमाउंट भरूँ ? "
उधर हवलदार अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गए और दीनानाथ को अपने पास्ट के बारे में कुछ बताते हुए बोले " 1998 तक रिश्वत के लिए मैंने अपने बाप को भी नही छोड़ा, चाहे गरीब हो, मजबूर हो या कंगला । शायद उन्ही की बददुआ का असर था कि मेरा 11 साल का इकलौता लड़का करंट लगने से अपाहिज हो गया और हाई ब्लड शुगर के कारण पत्नी की एक किडनी खराब हो गई । जितना भी पैसा रिश्वत और बेईमानी से कमाया सब अब उनकी बीमारी में लग रहा है । 1999 में मैने एक NGO खोली है जो जरूरतमंद पुलिस वालों की फैमिली को सपोर्ट करती है । वैसे तो सरकार ने बहुत सारे बेनेफिट्स दे रखे है पर हमारी अतिरिक्त मदद उन्हें रिश्वत ना लेने के लिए प्रेरित करती है । "
फिर जमानत के पेपर आगे करते हुए हवलदार त्यागी दीनानाथ से बोले " खैर आप जमानत के कागजो पर sign कर दो और इन को ले जाओ । पर ध्यान रहे आप और इनमें से कोई भी केस सॉल्व होने तक शहर या देश से बाहर नही जा सकता । कोर्ट के बुलाने पर आपको हाज़िर होना पड़ेगा । "
सबीना और उसकी पूरी टोली दीनानाथ के पास आकर खड़े हो गए । सबीना हवलदार त्यागी के पास आकर बोली " त्यागी जी इस मुबारक ख़ुशख़बरी के लिए अपने नेक काम के लिए 5100 रुपये मेरी तरफ से लिख लो । "
दीनानाथ उन्हें रोकते हुए अपने थैले से चेक बुक निकाल कर एक चेक हवलदार त्यागी को देते हुए बोले " आप मेरी तरफ से 11000 रुपये की पर्ची काट दो । "
हवलदार त्यागी खुश होकर कांस्टेबल यादव से बोले " यादव जी सबके लिए चाय बोल दो, भई चाय तो बनती है ना । "
लेकिन दीनानाथ ने उन्हें चाय के लिए मना कर दिया ।
फिर सबीना और उसकी पूरी किन्नर टोली दीनानाथ के साथ पुलिस स्टेशन से बाहर निकलने लगे । सबीना रुकी और हवलदार त्यागी के पास आकर बोली " त्यागी जी मोनिका और बबलू दोनों ही जिस्म का धंधा करने के लिए मशहूर थे, हो सकता है कि उसी चक्कर में उनका खून हुआ हो । आप इस पॉइंट को लेकर भी खोजबीन करे । अपनी और मेरी पूरी मंडली की पूरी गारंटी मैं देती हूं। और ये सबीना की जुबान है साहेब । "
फिर हवलदार त्यागी ने सबीना से कहा " ठीक है हम इस पर भी विचार करेंगे, यादव जी क्राइम साइट के आस पास की सारी CCTV फूटेज निकलवा लो । और उस दूसरे किन्नर की स्टेटमेंट का क्या हुआ ?"
आगे की कहानी जारी रहेगी....
क्रमशः