किन्नर दीदी : उलझन (5)
किन्नर दीदी : उलझन (5)


दीनानाथ ने सबकी बेल करा दी उसके बाद वो घर आ गए और सबीना अपनी टोली के साथ गुरुकुल यानी अपने घर चली गई । सब फिर से अपनी रूटीन की जिंदगी जीने लगे ।
अब दमयंती के घर काम वाली चंदा काम करने आने लगी क्योंकि दीनानाथ दमयंती को लेकर कोई रिस्क नही लेना चाहते थे । दमयंती के खाने पीने और आराम का पूरा ध्यान रखा जा रहा था । जिसको निर्मला (निम्मो ) और कमलेश (कम्मो) पचा नही पा रही थी । वो काम के बाद रोजाना चंदा को पकड़ती और दमयंती के बारे में पूछती ।
कभी चंदा को साड़ी देती तो कभी कोई दूसरा लालच । एक दिन चंदा ने बता दिया कि कुछ महीनों में ही उसकी मालकिन दमयंती माँ बन जाएगी । ऐसा सुनते ही निर्मला और कमलेश दोनों की छाती पर साँप से लौट गए । लेकिन भगवान के निर्णय के सामने इंसान भला क्या कर सकता है ।उधर मौत से झूज रही किन्नर मोनिका की स्टेटेनेंट बाहर आ गई । जिसमें उसने बबलू और खुद पर जान लेवा हमला करने का दोषी सबीना को ठहराया । किन्नर मोनिका की स्टाटमेंट ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी ।
हर कोई बात तो कर रहा था पर सदा हँसने हँसाने वाली सबीना ने ये किया होगा उस पर सबको सन्देह था । सबको लग रहा था कि उसे फँसाया जा रहा है । उधर अखबार में ये भी आया कि सबीना अपने घर अपने गुरुकुल से गायब है । आसपास के इलाकों में सबीना को पकड़ने के लिए दबिश भी की जा रही थी । सभी से पूछ ताछ की जा रही थी । दीनानाथ को भी थाने बुलाकर पूछ ताछ की गई । लेकिन सबीना के बारे में ना गुरुकुल में किसी को पता था ना ही बाहर किसी को ।
3 दिनों के बाद अखबार में फिर एक खबर आई कि किन्नर सबीना ने थाने जाकर आत्मसमर्पण कर दिया । पूरा गुरुकुल और लोगो की भीड़ उमड़ गई थाने में ।भीड़ में से निकल कर दीनानाथ थाने के अंदर गए उन्हें देखकर हवलदार त्यागी गुस्से में आ कर दीनानाथ से बोले " मैने कहा था सेठ जी कि आप गंदगी में हाथ मत डालो , आपके विश्वास के परकच्छे उड़ा दिए और आपकी भावनाओं की धज्जियां उड़ा दी इन हिजड़ो ने । "
दीनानाथ हाथ जोड़कर बोले " हाँ ! शायद मैं ही गलत था । अगर आप परमिशन दे तो क्या मैं उससे आखिरी बार मिल लूं ? "
हवलदार त्यागी दुख में गर्दन हिला कर बोले " कुछ नही हो सकता आप जैसे लोगो का , कल कोर्ट में पेशी है उसकी , उसके बाद आप उससे तिहाड़ जेल में ही मिल पाएंगे । आप नेक दिल इंसान है आपके लिए इतना तो कर ही सकता हूँ , जाइए मिल लीजिए एक बार । पर इस बार मैं आपकी ज्यादा मदद नही कर पाऊंगा । "
दीनानाथ हाथ जोड कर त्यागी को शुक्रिया किया और सबीना से मिलने के लिए उसकी सेल की तरफ चल दिया । वहाँ सलाखों के पास खड़ी किन्नर सबीना दीनानाथ को देखकर पिंजरे में बंद पंछी की तरह झटपटाने लगी । दीनानाथ सलाखों के पास खड़ी सबीना का रूप देखकर भौचक्का रह गया । लंबा चौड़ा शरीर , कला रंग उस पर सिर के सारे बाल मुंडवाए हुए देखते ही काल का दूसरा रूप लग रही थी ।
सबीना ने रोते हुए कहा " मुझे पता था
मेरा भाई मेरा दीनू आएगा । भाभी नही आई ....? कैसी है वो..... ? और उनकी डिलीवरी कब है .....? "
दीनानाथ उसे देखते ही बोला " ये क्या हाल बना रखा है सबीना बहन ? आपने ऐसा क्यों किया ? "
इतना सुनते ही सबीना रोते हुए बोली " मुझे लगता था कि चाहे सारी दुनियाँ मुझे खूनी माने पर मेरा दीनू मेरा भाई मुझ पर जरूर भरोसा करेगा । पर कोई नही साहेब हम हिजड़ो के भरोसे और भावनाएं तो आये दिन टूटते रहते है कोई नई बात नही है । आपका कसूर नही है । आप जाइये और भाभी को मेरा प्रणाम बोलना उनका ख्याल रखना । "
" जाने के लिए नही आया था मैं यहाँ , सच जानने के लिए आया था । और अगर तुमने कुछ नही किया तो यूँ अचानक गायब नही होती और यूँ रूप भी नही बदलती । " दीनानाथ ने थोड़ी सी ऊँची आवाज में कहा ।
सबीना रोते रोते पागलों की तरह हँसने लगी ।
फिर हंसते हुए बोली " गायब हो गई ????, रूप बदल लिया ??? नही रे ....."
फिर रोते हुए बोली " कहीं गायब नही हुई अपनी भाभी की गोद भर जाने के लिए तिरुपति बाला जी से मुराद माँगी थी , मुराद पूरी हो गई इसीलिए उनका शुक्रिया अदा करने गई थी । अपने बाल मुंडवाकर उन्हें भेंट चढ़ा कर , रूप या भेस नही भरा मैने । अखबार में पढ़ा तो पता चला कि मेरा नाम बबलू के खून में लिया गया है तब ताई (किन्नर प्रेजिडेंट और मुम्बई की किन्नर डॉन ) के कहने पर मैने खुद सरेंडर किया है । "
फिर आँसू पोछते हुए सबीना ने कहा " अरे पर मैं आपको क्यों बता रहीं हूँ ? माफ करना सेठ गलती हो गई । "
दीनानाथ उसे समझाते हुए बोले " देखो बहन मेरा मकसद आपका दिल दुखाने का नही था । पर जो लोग कह रहे है मैंने वही तुमसे पूछा है । मुझे पता है तुम बेकसूर हो । "
" मैं कसूरवार हूँ या बेकसूर ये तो मेरा खुदा जानता है , अब वही मेरा फैसला करेगा । आप जाइये सेठ जी । " किन्नर सबीना का एक एक शब्द उसके सीने के दर्द को बयाँ कर रहा था ।
दीनानाथ उसे समझाते हुए बोले " बहन आप ऐसे परायो की तरह बात मत करो अपने दीनू भाई से । मैं तुम्हे कातिल मानता तो कभी यहॉं मिलने नही आता । खैर अपना ख्याल रखना मैं देखता हूँ बात करके । "
फिर दीनानाथ थाने से चले गए ।
अगले दिन अखबार में फिर से खबर आई कि किन्नर मोनिका जो हॉस्पिटल में सीरियस चल रही थी उसकी भी मौत हो गई है । अब किन्नर सबीना को डबल मर्डर केस से बचाना नामुमकिन था । क्योंकि किन्नर मोनिका ने मरने से 3 दिन पहले ही सबीना का नाम लिया था और बबलू और उस पर कातिलाना हमला करने का कसूरवार ठहराया था । सबीना का केस बिल्कुल शीशे की तरह साफ था । केवल फॉर्मेलिटी मात्र बाकी थी । केस की सुनवाई 10 दिन बाद की दी गई थी और दोनों पक्षो को अपने अपने पक्ष को रखने का और वकील का इंतजाम करने का टाइम भी दिया गया ।
क्या होगा सबीना का ? क्या कोई फरिश्ता उसे बचा पायेगा ? रिश्तों की अनोखी दास्तान " किन्नर दीदी " जारी रहेगी अगले पार्ट में ।