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Writer Sanjay kaushik

Tragedy Crime Thriller

3  

Writer Sanjay kaushik

Tragedy Crime Thriller

किन्नर दीदी : फाँसी (6)

किन्नर दीदी : फाँसी (6)

6 mins
267


सबीना के केस से ना केवल कोर्ट में बल्कि आम पब्लिक के बीच भी काफी रूचि थी। हर कोई सबीना के मुँह से सुनना चाहता था कि उसने बबलू और मोनिका को क्यों मारा। उधर सबीना के पूरे गुरुकुल में मायूसी और मातम छाया हुआ था , वहॉं कोई भी ये नहीं मानने के लिए तैयार नहीं था कि असली कातिल सबीना ही है। सब कह रहे थे कि सबीना बेकसूर है।

पहली तारीख पर पूरे कोर्ट में कहीं भी पैर रखने की जगह नहीं थी। मीडिया और पब्लिक से पूरा कोर्ट खचाखच भरा था।

दूसरी पार्टी ( बबलू और मोनिका ) की तरफ से शहर का सबसे बेहतर और दिग्गज वकील नवीन जिंदल जिसके साथ दो बॉडीगार्ड और 3 असिस्टेंट थे वो जब  अपनी ब्लैक और चमचमाती BMW कार से उतरा तो दरवाजा उसके सीनियर असिस्टेंट मयूर खन्ना ने खोला। जैसे ही कार का दरवाजा खुला नवीन जिंदल के बॉडी गार्ड जल्दी से कार से उतर कर उसके दरवाजे के पास आकर खड़े हो गए। पूरी मीडिया की टीम नवीन जिंदल से सवाल पूछने के लिए उनकी तरफ दौड़े।

सभी सवाल पूछ रहे थे नवीन जिंदल के बॉडी गार्ड भीड़ को उनसे दूर कर रहे थे। नवीन जिंदल ने हाथ ऊपर उठाकर सबको शांत होने का इशारा करते हुए कहा " अगर आप एक एक करके सवाल करोगे तो सबके लिए ठीक रहेगा , क्योंकि आप सभी के सवाल एक ही जैसे होंगे , आपके सवाल भी कम है और मेरे पास टाइम भी कम है। "

रिपोर्टर की टीम में से एक रिपोटर ने उनसे सवाल करते हुए पूछा " जिंदल साहेब सब जानते है कि आप आज तक एक भी केस नही हारे, इस केस के बारे में आपका क्या मानना है ? "

नवीन जिंदल के चेहरे पर एक अलग आत्म विश्वास झलका उसने सीना फूला कर जवाब देते हुए कहा "

देखो मैं कोई भगवान तो नही हूँ बस जैसे एक काबिल गोताखोर गहराई में जाकर समुन्दर से मोती ढूंढ लाता है , ठीक वैसे ही मैं केस की गहराई में जाकर सच ढूंढ लाता हूँ और फिर आपने तो सुना ही होगा कि " सच की हमेशा जीत होती है। "

फिर दूसरे रिपोर्टर ने नवीन जिंदल से पूछा " sir आपने इस केस के बारे में नहीं बताया। क्या और केसेस की तरह ये भी आपकी जीत की लिस्ट में जुड़ेगा ? "

नवीन जिंदल ने हँसते हुए कहा " आपने शायद ध्यान से सुना नहीं कि मैंने अभी कहा था कि सच की हमेशा जीत होती है। फिर इस केस में तो कुछ है ही नहीं, मुल्जिम ने अपना गुनाह खुद कबूल किया है , मरने से पहले मोनिका का सबीना के खिलाफ ब्यान और सबीना का रूप बदल कर भागने की कोशिश सब काफी है सबीना को उसकी सही जगह पहुँचाने के लिए। केस क्लियर है आज ही उसकी किस्मत का फैसला हो जाएगा , मेरा दावा है आप लोगों को दोबारा परेशान नही होना पड़ेगा, आप सभी को थंक्स । "

रिपोर्टर्स पूछते रहे पर advocate जिंदल अपने attitude और अपनी टीम के साथ फिर कोर्ट के लिए रवाना हो गए।

जज कर आने से पहले ही कोर्ट खचाखच भरा हुआ था। Advocate जिंदल पूरे रॉब के साथ अपनी चेयर पर विराजमान थे। उसके असिस्टेंट उसके चारों तरफ खड़े हुए थे। विपक्ष के वकील का कुछ अता पता ही नहीं था क्योंकि उसकी चेयर अभी तक खाली पड़ी थी ।

Advocate जिंदल ने पहले पुलिस की गिरफ्त में कटघरे के पास खड़ी सबीना को देखा फिर उसकी पैरवी करने वाले वकील की खाली पड़ी कुर्सी की तरफ देखा फिर घमंड और व्यंग्यात्मक हँ

सी हँस कर अपने असिस्टेंट को कुछ इंस्ट्रक्शन देने लगा।

तभी  मजिस्ट्रेट रोशनी मेहरा की एंट्री होती है। मैं आपको बता दूं कि जैसे advocate जिंदल कभी कोई केस हारा नहीं वैसे ही मजिस्ट्रेट रोशनी मेहरा का रिकॉर्ड था कि उसकी अदालत में कभी किसी बेगुनाह को सजा नहीं हुई।

जज को देखकर सभी खड़े हो गए। सबको बैठने का इशारा करते हुए मजिस्ट्रेट रोशनी मेहरा ने उसकी टेबल पर रखी फ़ाइल देखी और केस नंबर 96372 किन्नर सबीना Vs किन्नर मोनिका एंड बबलू के केस की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया।

लेकिन सबीना के वकील की जगह खाली देखकर सबीना को कटघरे में खड़ा होने का आदेश देकर मजिस्ट्रेट रोशनी ने उससे पूछा " आपका वकील कौन है ? क्या उसे आज के केस का टाइम नहीं पता ? या तुम्हारा कोई वकील है ही नहीं ? बताओ अगर वकील नहीं है तो अदालत आपके लिए वकील मोहिया कराएगी।"

किन्नर सबीना घबराते हुए बोली " जी मैडम वो..... मैं कह रही थी कि....." इससे पहले सबीना कुछ कह पाती भीड़ के सन्नाटे को चीरती एक आवाज आई

" वकील है मैलोर्ड, वकील है।"

ये कोई और नहीं सेठ दीनानाथ थे जो अपने साथ एक वकील लेकर आये हुए थे। ये ऐसे वकील थे जिनकी फीस सुनकर ही अच्छे अच्छो कर पसीने छूट जाते थे पर बेसहारा और जरूरतमन्द लोगों के केस अगर इनका मूड करे तो ये मुफ्त में ही भी लड़ लेते थे। उन्हें कोर्ट में देखने मात्र से जिंदल साहेब के माथे पर पसीना आ गया। क्योंकि advocate जिंदल को अगर कोई हराने का जज़्बा रखता था तो वो advocate आदित्य शर्मा ही थे जो " पंडित जी " के नाम से प्रसिद्ध थे।

Advocate जिंदल पसीना पोछते हुए धीरे से अपने असिस्टेंट से बोले " ये पंडित कहाँ से आ गया यहाँ ? "

खुसर फुसर करके जिंदल के सारे असिस्टेंट एडवोकेट शर्मा की तरफ देखने लगे।

Advocate शर्मा ने सारे डाक्यूमेंट्स जज तक पहुंचाए और अपनी सीट पर बैठ गए। दीनानाथ भी सबीना की तरफ स्माइल करके उसे आंखों से दिलासा देने का इशारा करके एडवोकेट शर्मा के पीछे वाली सीट पर बैठ गए जहाँ सुनवाई देखने आए बाकी लोग बैठे थे।

एडवोकेट शर्मा की फ़ाइल पढ़कर मजिस्ट्रेट रोशनी मेहरा ने केस की सुनवाई शुरू करने का आदेश देते हुए एडवोकेट जिंदल से कहा " एडवोकेट जिंदल ! आप ने अभियुक्त सबीना पर डबल मर्डर का केस किया है , आपके पास कोई सबूत है इस बात का ? "

बड़े अदब और विश्वास के साथ एडवोकेट जिंदल खड़े हुए और किन्नर सबीना की तरफ देखकर बोले " मैलोर्ड ! कटघरे में खड़ी अभियुक्त देखने में जितनी भोली है असलियत में उतनी ही शातिर है , इसने ना केवल अपने पूरे किन्नर समाज के नाम पर कलंक लगाया है बल्कि इंसानियत को भी झकझोर के रख दिया। किन्नर बबलू और मोनिका दोनों के बेरहमी से मारने की बात इसने खुद कबूली है और इसका सबूत है इसका ये इकबालनामा। मैं अदालत से दर्खास्त करूंगा कि इसे फाँसी की सजा ही दी जाए ताकि कल को कोई भी ऐसा जुर्म करने से पहले 100 बार सोचे। "

सबीना का इकबालनामा मजिस्ट्रेट को देते हुए एडवोकेट जिंदल ने एडवोकेट शर्मा की तरफ देखा और व्यंग भरी स्माइल करके अपनी सीट पर बैठ गए। "

क्रमशः



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