किन्नर दीदी : अनोखा रिश्ता (3)
किन्नर दीदी : अनोखा रिश्ता (3)


पुलिस स्टेशन में बंद सबीना और उसकी पूरी टीम सकते में थी क्योंकि उनकी बेल कराने वाला उन्हें ऑसि पास कोई नज़र आ रहा था। और पुलिस ने उन्हें अचानक उठाया तो उससे वो किसी को कांटेक्ट भी नही कर पा रहे थे और ना ही किसी को उनके बारे में ख़बर थी। चिंता जताते हुए एक किन्नर जिसका नाम रूस्तम था सबीना से बोला " गुरु जी ! मैं तो कहती हूँ आप जमुना ताई ( आल इंडिया किन्नर एसोसिएशन के चीफ और मुम्बई में किन्नर डॉन ) को कॉल कर लो इन ठुलो की वर्दी दो मिनट्स में उतर जाएगी , जले बिना किसी कसूर के हमें उठा लाये।और पीट पीट कर हमारा बुरा हाल कर दिया वो अलग।"
सबीना रूस्तम को डांटते हुए बोली " अरे रूस्तम तू चुप कर इस छोटे से काम के लिए ताई को परेशान करूंगी क्या ?? "
फिर अपने स्वभाव अनुसार दोनों हाथों से ताली बजा कर पुलिस वालों की तरफ देखकर सबीना बोली " इन ठूल्लो के लिए तो सबीना ही काफी है। तुम चिंता मत करो मेरा खुदा इतना बेरहम नही है किसी इंसान के रूप में किसी न किसी को तो भेजेगा हमारे लिए। कमीने ठूल्लो ने फोन भी नहीं छोड़ा हमारे पास नहीं तो यहॉं लाइन लगा देती मैं। "
किन्नर गीता सुबक कर और दोनों हाथ पीट कर बोली " कीड़े पड़े इन हरामी ठूल्लो को आपका पूरा मुँह सुजा दिया सालों ने हम अपनी मार तो सह ले पर आपकी ये हालात नहीं देखी जाती। "
उधर दीनानाथ लोगों से पूछते हुए "आज़ाद नगर पुलिस स्टेशन " पहुँच गए। शरीफ इंसान ने चाहे कुछ क्राइम किया हो या नही पर पुलिस जैसे डिपार्टमेंट में कदम रखते हुए वो एक बार हिचकिचाता जरूर है। वही हिचकिचाहट दीनानाथ को भी हो रही थी। खैर उसने खुद को संभालते हुए कड़े मन से पुलिस स्टेशन के अंदर कदम रखा।
दीनानाथ ने जैसे ही कदम अंदर रखा सबीना जो कि अपनी टोली के साथ बैठी थी किसी पॉजिटिव एनर्जी के अहसास को महसूस करती हुई सलाखों के पास आकर बाहर की तरफ देखने लगी। उसके साथ साथ बाकी किन्नर भी उसके साथ खड़े हो गए , उनमें से एक नए पूछा " मास्टर जी क्या हुआ ? "
सबीना ने अपने अहसास को बताते हुए कहा " मुझे लगा जैसे कोई भगवान का दूत हमारी मदद के लिए आया है।"
किन्नर गीता बोली " गुरु जी इस मतलबी दुनिया में हम किन्नरों के सहारा कोई किन्नर ही हो सकता है किसी और से मदद की उम्मीद करना बेकार है। "
दीनानाथ पुलिस स्टेशन के अंदर आये तो ड्यूटी अफसर (D. O. ) हवलदार रणवीर त्यागी ने उनसे पूछा " हाँ भाई ! यहॉं आ जा मेरे पास "
फिर कुर्सी की तरफ इशारा कर के बैठने का इशारा करके उसने दीनानाथ से कहा " बोल भाई क्या काम है ?"
दीनानाथ कुर्सी पर बैठकर थूक निगलते बोला " जी ...वो . पानी ...पानी मिलेगा। "
हवलदार त्यागी ने पुलिस स्टेशन के लॉन में लगी पानी की टंकी की तरफ इशारा करते हुए कहा " वो पानी की टंकी है वहाँ जाकर खूब छिक कर पानी पी लो , और
हाँ भाई ध्यान रखना जोर से बन्द मत करना नल को वो फ्री हो गया तो पूरे दिन पानी निकलता रहेगा। "
दीनानाथ ने पानी पिया और नल बन्द करने लगा तो काफी कोशिश करने के बाद भी वो बन्द नहीं हो पा रहा था। उसे देखकर वो हवलदार त्यागी आया और बोला " सेठ जी रहने दो आप से नहीं होगा। क्रिमिनल और इस पुलिस स्टेशन का ये नल हम पुलिस वाले ही ठीक कर सकते है। "
फिर हवलदार त्यागी ने उस नल को बंद कर दिया और दीनानाथ को अपने साथ आने का इशारा करते हुए वो आगे आगे चलकर अपनी सीट पर बैठ गया। पीछे पीछे चलते हुए दीनानाथ कभी उस बन्द नल को देख रहे थे कभी हवलदार त्यागी को।
हवलदार त्यागी दीनानाथ की हालत को देखकर बोला " सेठ जी लगता है आप पहली बार पुलिस स्टेशन आये हो ? पर चिंता ना करो पूरे गुडगाँव में हमारे आज़ाद नगर पुलिस स्टेशन का नाम है। यहाँ सबको आज़ादी है खुल कर बोलने की। आपकी पूरी मदद की जाएगी। बोलिये अपनी समस्या बताइए ? "
दीनानाथ हिम्मत जुटा कर बोले " जी सर ! सबीना बहन आपके ही थाने में बंद है ना ? "
पैन हाथ में लेकर कंप्लेंट रजिस्टर में कुछ लिखने को तैयार और रजिस्टर की तरफ देख रहे त्यागी ने दीनानाथ की तरफ देखा और बोला " वाह ! भई सेठ जी आप तो छुपे रूस्तम निकले। मैं तो आपको शरीफ समझ रहा था। पर आप तो पूरे गुरु घंटाल निकले। "
दीनानाथ हिचकिचाते हुए बोले " जी किस जुर्म में बंद है वो ? "
" मर्डर किया है जी आपकी बहन सबीना और उसकी टोली ने।" त्यागी ने दीनानाथ को जवाब देते हुए कहा।
दीनानाथ ने त्यागी से फिर पूछा " मर्डर ?? नहीं सबीना बहन ऐसा नहीं कर सकती। किसका मर्डर किया है उन्होंने ?"
" अरे भाई यादव जी मैंने इनको सेठ कह दिया तो ये खुद को जज ही समझने लगे और तो और फैसला भी सुना दिया। " हवलदार त्यागी ने कांस्टेबल मनोज यादव की तरफ देखकर से दीनानाथ पर कमेंट मारते हुए कहा।
फिर त्यागी दीनानाथ की तरफ देखकर बोला " जनाब सबीना और इसकी मंडली ने दूसरे ग्रुप के हिजड़े बबलू और मोनिका पर जानलेवा हमला किया जिसमें बबलू मर चुका है और मोनिका अपनी आखिरी साँसे गिन रही है ।
मोनिका की स्टेटमेंट ही सबीना की जिंदगी और मौत का फैसला करेगी। "
दीनानाथ ने त्यागी से कहा " त्यागी जी क्या मैं सबीना से मिल सकता हूँ ??? "
त्यागी दीनानाथ को समझाते हुए बोला " सेठ जी आप शरीफ इंसान लग रहे हो , क्यों खुद को गंदगी में घसीट रहे हो। इन हिजड़ो में अपने अपने इलाकों को लेकर झगड़ा और खून खराबा होना आम बात है। पर आप कहते हो तो मिल लो एक बार।" फिर कांस्टेबल यादव को आदेश देते हुए त्यागी बोला " यादव जी मिला दो सेठ जी को एक बार इन्हें भी तो दिखे उनका असली रूप। "
दीनानाथ खड़े हुए और जल्दी से कांस्टेबल यादव के पीछे पीछे सबीना की सेल की तरफ चल दिये।
क्रमशः