STORYMIRROR

Writer Sanjay kaushik

Drama Tragedy

3  

Writer Sanjay kaushik

Drama Tragedy

किन्नर दीदी : Good News (2)

किन्नर दीदी : Good News (2)

5 mins
274


जब से किन्नर टोली का कदम दीनानाथ के घर में पड़े उनके घर में एक ना दिखाई देने वाली एक आलौकिक दिव्य शक्ति का अहसास दीनानाथ और उसकी पत्नी दमयंती कर रहे थे। दीनानाथ जो कि खाने के मसालों का व्यापार करते थे उस व्यापार में भी कई गुना तरक्की हो गई और घर पर भी ऐसा लगने लगा कि उनकी 15 वर्षों की तपस्या का फल भी उन्हें प्राप्त होने वाला है।

दो तीन महीने सकारात्मक सोच , भगवान पर विश्वास और भक्ति से परिपूर्ण होकर गुजर रहे थे।  

एक रात दमयंती का जी मिचलाया और रात को उसे उल्टियां होने लगी ,

दीनानाथ दमयंती को कभी नींबू की शिकंजी का पूछ रहा था तो कभी डॉक्टर के पास ले जाने की बात कर रहा था।

निर्मला जिसका स्वभाव चुगलखोरी और मज़े लेने वाला था चुपके से उठकर दमयंती के घर में ताँका झाँकी करने लगी क्योंकि उसका घर बिल्कुल दमयंती के घर के साथ में ही था।

गर्भवती होने की अवस्था में जो जो लक्षण होते है वो दमयंती के साथ भी होने शुरू हो चुके थे। शायद दीनानाथ इस बात से बेखबर था इस लिए उसे दमयंती की ज्यादा चिंता हो रही थी।

दमयंती ने शर्माते हुए और नज़र नीचे करके स्माइल करते हुए कहा " आप मेरी चिंता मत करो, लगता है भगवान ने हम दोनों की तपस्या और किन्नर दीदी का आशीर्वाद दोनों कबूल कर लिए है। अब चिंता का नहीं खुश होने का समय आ गया है। "

दीनानाथ जो कि पानी का गिलास हाथ में लेकर खड़ा हुआ था , उसके हाथ से पानी का गिलास छूट गया , आँखों में आँसू लेकर भाव विभोर हो कर पास में रखी कुर्सी पर बैठ गया। कभी ऊपर देखकर भगवान का शुक्रिया कर रहा था कभी दमयंती की आँखों में आये खुशी के आँसुओं को देख रहा था।

फिर दमयंती को गले लगा कर बोला " दमयंती भगवान ने इस घर के चिराग को देकर हमारे जीवन को हरा भरा कर दिया है , अब जिंदगी में भगवान से कुछ नहीं चाहिए। "

जी हाँ भगवान ने दमयंती की झोली उस आशीर्वाद से भी भर दी जिससे वंचित होने पर उसे समाज की औरतों से तरह तरह के ताने सुनने को मिलते थे और किसी भी गोद भराई की रसम पर उसे बाँझ समझ कर अक्सर छोड़ दिया जाता था, और उसे अभागी समझ कर कभी शामिल नही किया जाता था । लेकिन इस बार दीनानाथ और दमयंती दोनों ने ही ये सोच रखा था कि ये खबर सबसे पहले किन्नर दीदी सबीना को ही बताएंगे।

 दीनानाथ ने दमयंती को कहा कि सुबह होने पर वो उनके गुरुकुल (सबीना का घर ) जा कर उन्हें खुद ये खबर देकर आएंगे। 

उधर निर्मला की काफी कोशिश के बाद भी वो ठीक से कुछ सुन नही पा रही थी कि दमयंती के घर में क्या चल रहा है। लेकिन सुबह तक उसे भी नींद नही आ रही थी।

सुबह हुई तो दमयंती नहा धो कर सबसे पहले मंदिर गई ताकि भगवान का धन्यवाद कर सके। सुशीला जो दमयंती की सबसे अच्छी सहेली थी वो भी दमयंती के साथ ही गई थी। उधर दमयंती को जैसे ही निर्मला ने मंदिर जाते देखा चालाक लोमड़ी की तरह जिस हाल में थी उसी में तुरन्त चुपके से दमयंती के पीछे पीछे मंदिर के लिए निकल गई।

मंदि

र में पहले से ही औरतों की काफी भीड़ थी। इससे अच्छा मौका भला निर्मला कैसे छोड़ती। निर्मला ने व्यंग कसते हुए दमयंती से पूछा " अरे दमयंती बहन रात को आपके घर से जोर जोर से उल्टियाँ करने की आवाजें आ रही थी, मैं इनको (अपने पति को ) कह रही थी कि जरूर कुछ उल्टा सीधा खा लिया होगा ...... सब ठीक तो है बहन ? क्या है ना कि ये उम्र ही ऐसी है थोड़ा सा गलत खाते ही सब गड़बड़ हो जाता है। "

दमयंती ने कहा " बहन मैं तो ठीक हूँ , मुझे लगता है आपकी तबीयत ठीक नहीं है। "

निर्मला पूरे विश्वास के साथ बोली " ये लो मुझे क्या होना है , मैं तो बिल्कुल भली चंगी हूँ। "

दमयंती हँसते हुए बोली " तो फिर आप हाथ में पूजा की थाली की जगह झूठे खाने की थाली क्यों लेकर आई हो ? लगता आप रात भर सो नहीं पाई हो। "

इतना सुनते ही वहाँ खड़ी सारी औरते जोर जोर से खिलखिलाकर हँसने लगी। तभी सुशीला भी निर्मला पर व्यंग कसते हुए बोली " अरे दमयंती बहन क्या करे इनकी उम्र ही ऐसी है , इस उम्र में आकर मेमोरी कम हो ही जाती है। "

निर्मला का मजाक उड़ते देख कमलेश आगे आई और बोली " ये लो किसी का हाल चाल पूछना भी गुनाह है क्या ? निर्मला बहन ने इनका हाल ही तो पूछा है। खैर चलो निम्मो (निर्मला ) बहन घर चलते है। "

बहाने से कमलेश निर्मला को घर की तरफ ले जाने लगी और रास्ते में एक साइड में जाकर निर्मला से कहने लगी " क्या निम्मो बहन सबके सामने क्यों अपनी और मेरी बेइज्जती कराती हो ??? क्या हुआ है कल रात को ?? "

निर्मला चुपके से चुगलखोरों की तरह धीरे से कमलेश के कान में कहती है " कम्मो कुछ तो गड़बड़ है , कल रात को दमयंती उल्टियाँ कर रही थी और पूरी रात इनके घर से आवाजें आ रही थी। मैं तो पूरी रात सो भी नहीं पाई।"

कमलेश उसे सांत्वना देते हुए बोली " अरे कुछ उल्टा सीधा खा लिया होगा ........ लेकिन अगर कुछ और बात हुई तो ???"

निर्मला बोली " कम्मो ऐसी बात मत कर ..... अगर कुछ ऐसा वैसा हुआ तो फिर ..... दमयंती की खिंचाई कैसे करेंगे। "

यही बाते करती हुई दोनों अपने अपने घर चली गई।

उधर दीनानाथ सबीना को खुश खबरी देने के लिए लोगो से पूछते हुए गुरुकुल जो कि सबीना का घर और ठिकाना था वहाँ पहुँचा। लेकिन वहॉं एक कम उम्र के किन्नर के इलावा और कोई भी नहीं था।

दीनानाथ ने उससे पूछा " क्या सबीना बहन यही रहती है ??? "

वो किन्नर बोला " हाँ , पर अभी वो यहॉं नही है। उन्हें और बाकी सभी को पुलिस पकड़ कर ले गई है। "

दीनानाथ चिंता जताते हुए बोले" पुलिस पकड़ कर ले गई ...? कहाँ है पुलिस स्टेशन ?? "

वो किन्नर बोला " नही पता " इतना कह कर वो रोने लगा।

दीनानाथ बोले " अरे रो मत बेटा उन्हें कुछ नही होगा। "

इतना कह कर दीनानाथ पुलिस स्टेशन को तलाशते हुए लोगों से पूछ पूछ कर पुलिस स्टेशन पहुँच गये।

क्या होने वाला है आगे ? सबीना को पुलिस ने क्यों पकड़ा ? क्या दीनानाथ छुड़ा पायेगा सबीना को ?

क्रमशः



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama