Ved Shukla

Abstract

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Ved Shukla

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किनारा भाग७

किनारा भाग७

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(यह कहानी का सातवां भाग है ,पूर्व में प्रकाशित भागों को अवश्य पढ़ें ताकि कहानी को अच्छे से समझा जा सके।)

                         धन्यवाद।

रीकैप - पिछले भाग में आपने पढ़ा कि डिटेक्टिव ऋषि के बताए प्लान पर अमल करने के लिए,एमडी मैडम,धृति को लेकर मनीषा के बंगले पर रुकने का प्लान बनाती हैं,ऋषि को इंफॉर्मेशन थी कि मनीषा का संबंध किसी यलो बैग से है जिसके साथ ,उसे प्रिया की हत्या से ठीक कुछ समय पहले एक कर्मचारी ने देखा था ,जो गौतम फ्रेंडस वैली में काम करती थी,मनीषा शक के दायरे में थी,इन्हीं सब कारणों से,मैडम को सबूत जुटाने के लिए उसके बंगले तक आना पड़ा ।

अब आगे:

सबूत जुटाकर वापस बेडरूम की तरफ लौट रही मैडम की नज़रें सामने देखकर भौचक्की रह जाती हैं,सामने उन्हे कुछ ही दूर मनीषा बैठी दिख रही है,उनके पास वो येलो हैंड बैग है,जिसे उन्होंने बड़ी सफाई से अपने गाउन में रख छुपाया था,और उन्होंने जेब में पड़ी अपनी पिस्टल को टटोलना शुरू किया,थोड़ा सा झुकी और और झुके हुए ही ऊपर की तरफ चलना शुरू की,बड़ी जद्दोजहद के बाद अपने कमरे पर पहुंच पाईं,जल्दी से उन्होंने वो यलो हैंड बैग अपने बैग में डाला और धृति के बगल से नीचे की तरफ फेंक दिया,जो बेड की ओट में चला गया और दिखाई नहीं दे रहा था,मैडम को खतरा अब और भी बढ़ा हुआ दिखा क्युकी जो काम सावधानी से करना था ,उसमे हल्की सी चूक हो गई,मनीषा वहीं मिल गई ,अब शंका मैडम को थी,की कहीं मनीषा ने उन्हे देखा तो नहीं,यदि देख लिया तो फिर ऋषि और मैडम के प्लान की कलई खुल गई,या फिर मैडम खुद एक दलदल में फंसती जा रही हैं,ऐसे ही अनगिनत सवाल रह रह कर पापोरी के लिए सरदर्द बने हुए हैं,लेकिन रात अभी भी बची हुई थी,मैडम को डर था कि अगर वो सो गईं तो जरूर कोई अनहोनी घट सकती है,इसलिए उन्होंने रात बिना सोए काटने का निश्चय किया, गाउन से पिस्टल बाहर निकाल कर अनलॉक करके अच्छी तरह चेक किया और अपने बगल से रख ली,कुछ देर में किसी के चलने का शोर सुनाई दिया,मनीषा वापस ऊपर आ गई थी,जो अपने रूम में चली गई,धृति तो बेहोश सी सो रहीं थीं,पर मैडम के लिए सारी रात अभी भी बची थी,पर मैडम का मन खुश भी बहुत था कहीं,क्युकी यलो बैग उनके हाथ आ चुका था,जो प्रिया के मर्डर का एक अहम सबूत है और मनीषा को बेनकाब करने की उनकी और ऋषि की प्लानिंग लगभग सफल भी हो गई।

अब बस उनका ऋषि से मिलना जरूरी है।ताकि अगला स्टेप लिया जा सके।बस एक ही शंका थी,नीचे मनीषा ने पापोरी को देखा ना हो।जो पापोरी को है कहीं ना कहीं।

सुबह के चार बज गए,धृति जाग गई,रात भर से जाग रही मैडम ने सोचा आधे घंटे सो लेती हूं,अब तो धृति भी जाग ही रही है,मैडम कुछ देर आराम करने लेट गईं,दोबारा उनकी आंखें खुली तो देखा चारों तरफ दिन निकला हुआ था,मैडम की घबराहट बढ़ गई उन्होंने झट से घड़ी की तरफ देखा,और थैंक गॉड! सात ही बजा है।कहने लगीं।

धृति शायद नहा रही थी,रूम में मैडम अकेली थीं,मैडम ने तुरंत रूम को अंदर से लॉक किया और बिस्तर की ओट में नीचे साइड रखा यलो बैग जो अभी भी वहीं था,निकाल कर अपने बैग में डाला ,अपनी पिस्टल भी रख ली ,और अब दुबारा डोर अनलॉक करके,बिल्कुल दबे पांव नीचे तक उतरी और सारा सामान अपनी गाड़ी की डिग्गी में डाल दिया और गाड़ी अच्छे से लॉक कर दी ।

अब मैडम ने राहत की सांस ली।बस अब ऋषि से मिलना जरूरी हो रहा है।पर मैडम को पहले कुछ देर बाद ऑफिस पहुंचना है और कलियां को भी देखने जाना है,शायद मैडम ऋषि से दोपहर तक ही मिल सकें।

मैडम अब वापस ऊपर की तरफ आ गईं,उनकी नज़रें बराबर मनीषा के कमरे पर थीं,पर मनीषा भी शायद बाथरूम में थी,और ऑफिस के लिए तैयार हो रही है।कुछ देर में मैडम भी तैयार हो गईं।मैडम और मनीषा की रात की बात पर कोई बात नहीं हुई,मैडम अब आश्वस्त थीं कि शायद मनीषा ने रात में उन्हे नहीं देखा,लेकिन कलियां का स्वस्थ होना अभी भी पहली प्राथमिकता थी,मनीषा अगर कातिल है तो एक ना एक दिन सलाखों के पीछे पहुंच ही जाएगी।पर विशाल हृदय की स्वामिनी मैडम कलियां के लिए चिंतित थीं।मैडम धृति और मनीषा तैयार होकर डॉक्टर सडाना के क्लीनिक निकल पड़ी।


समय - नौ बजे सुबह।

स्थान - डॉक्टर सडाना क्लीनिक।

हॉस्पिटल में सब ठीक था, कलियां की स्थिति शनै शनै उत्थान की ओर अग्रसर थी,भवानी वहां पहले से था,और पुलिस भी पूरी मुस्तैद थी।कुछ देर में डॉक्टर साहब भी आ गए,मैडम ने उनसे कलियां की छुट्टी के विषय में चर्चा की,डॉक्टर साहब ने दो दिन और लग जाएं संभव है, क्युकी घाव अभी पूरी तरह सही नहीं हुए,और खून ज्यादा बहने से पेशेंट कमजोर है।

"ओके डॉक्टर" मैडम ने उनसे कहा और कलियां से बात करने लगीं, कलियां को भी अच्छा लग रहा था,मनीषा,धृति और सभी लोगो का साथ उसके साथ हुए हादसे को भुला पाने में उसकी मदद कर रहा था।कुछ देर समय बिताकर ,तीनों लोग वहां से निकल आए,मैडम के साथ धृति ,और मनीषा,तीनों को अपने अपने ऑफिस भी इनफॉर्म करना था।मैडम ने रास्ते में धृति को ट्रेनिंग कैंपस छोड़ दिया,और ऑफिस पहुंच गईं।ऑफिस पहुंचकर रात वाली घटनाओं को बताने के लिए डिटेक्टिव ऋषि को फोन लगाया।

मैडम-" हैलो ! ऋषि मुझे वो बैग मिल गया मैंने सम्हाल कर उसे गाड़ी की डिग्गी में रख लिया,रात को कुछ और भी अजीब हुआ है,जो मैं तुम्हे बताना चाहती हूं।"

ऋषि-" वेल डन !! हा हा!!आपने कमाल कर दिया।ऋषि आगे बोला,जी मुझे सुनने में दिलचस्पी होगी,आप एक बजे उसी रेस्त्रां में चली आएं।" मैडम ने ओके कह कर फोन रख दिया और राहत भरी सांस ली।पिछ्ले कुछ दिनों के टैंस माहौल में एक ऋषि मैडम को कुछ ठीक लगा था जो कहीं ना कहीं उनके दिल के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है।पर अभी सही समय किसी और चीज की खोज में है,खुद मैडम और ऋषि को ये बात शायद मालूम थी।

मैडम ने समय देखा ,अभी ग्यारह बजे थे ,मैडम ऑफिस का कुछ काम करने लगीं।कुछ देर में लंच हुआ। मैडम ने ड्राइवर को फाइव मून चौराहा चलने को कहा।


समय - १बजे दोपहर।

स्थान - फाइव मून चौराहा(एक फैमिली रेस्तरां)

इस बार मैडम शायद पहले पहुंच गई ,ऋषि वहां नहीं था,लेकिन पांच दस मिनट में वो आ गया,लेट होने की वजह ट्रैफिक में फंसना बताया,मैडम ने इट्स ओके कह दिया।

ऋषि- "तो अब बताइए आखिर प्लान कामयाब हुआ या कोई अड़चन पैदा हुई?"

मैडम - "यस ,हुआ",मैडम ने खुशी भरी निगाह से ऋषि को देखा,मैडम को ऋषि अच्छा सा लगने लगा।धीरे धीरे मैडम ने एक एक बात रात की ऋषि से कह डाली,ऋषि का डिटेक्टिव दिमाग आगे की भी रूपरेखा बनाने में बिजी था,और पापोरी को भी बड़े गौर से सुन रहा था।डिटेक्टिव ऋषि के मल्टीटास्किंग स्वभाव से मैडम बहुत प्रभावित हुईं।मैडम ने वो बैग ऋषि के सुपुर्द कर दिया।

"और कुछ नहीं मिला?"ऋषि ने फिर से पूछा।

शायद मिल भी जाता,पर मनीषा को बाहर गार्डन की बेंच पर बैठा देख , मैं शायद घबरा गई और आगे तलाशी नहीं लेनी उचित समझी,मुझे पोल खुलने का डर था।

"ओह!!,"

ऋषि अब कुछ गंभीर हो गया,उसने ऑलराइट कहा।बैग ऋषि ने खोल कर नहीं देखा,बस रख लिया।

ऋषि - "आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की?"

मैडम- "बस दिल ने इजाजत नहीं दी।"

शायद ऋषि के दिल में भी मैडम की आहट थी,पर झिझक भी अभी दस्तक लिए थी।

"और आपने?"अगर मैं पूछ सकती?मैडम ने कहा।

"कोई आपकी तरह नहीं मिला",ऋषि ने मैडम की तरफ प्रेम भरी निगाहों से देखा,तभी वेटर दो कोल्ड कॉफी लेकर आया।

मैडम खामोशी से पीने लगी।लेकिन अभी भी कातिल कब्जे में नहीं आया,पर अगर इस बैग में कुछ मिल जाए तो वो हमें सही सबूत दे सकता है,जोमनीषा को जेल भेजने के लिए काफी होगा।ऋषि की बातों में अब पूरा कॉन्फिडेंस था।एक पिस्टल और एलएसडी है बैग में।

" वाउ!" ऋषि की आंखों में चमक आ गई।

"मनीषा की तो किस्मत फूट गई,पिस्टल पर फिंगरप्रिंट जरूर होंगे मैं आज ही चेक करूंगा, आई एम वेरी प्राउड आफ यू!"

उसने मैडम की तारीफ की। मैडम मुस्कुरा दी।

"तो आगे मुझे क्या करना है? मैं और एक दो दिन मनीषा के घर रुक कर सबूत ढूंढू या?"

"यस!"

"वहीं मैं भी चाहता था,पर सतर्क रह कर,शेर की गुफा और कातिल ,इनमें रहम नहीं ,होता, सावधानी हटी और दुर्घटना घटी,ऋषि ने मैडम को आगाह किया।"मैडम ने थैंक यूं ऋषि कहा।

तभी ऋषि की चौकन्नी निगाहों ने कुछ देखा,बाहर कोई बड़ी देर से उसकी तरफ देखे जा रहा था, रेस्तरां का मेन डोर कांच का बना था जिसके बाहर दिख जाता था,ऋषि को बाहर की तरफ देखने पर मैडम भी बाहर देखने लगीं।मनीषा बाहर थी,उन दोनों को फॉलो किया जा रहा था,शायद अब ऋषि का शक सही था, खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे की कहावत चरितार्थ थी।मैडम और ऋषि साथ में देखकर मनीषा कुछ देर में बाहर के बाहर ही चली गई।पर मैडम को उसी के बंगले जाना था,ऋषि भी थोड़ा असहज हो गया,उसे पीछा किए जाने की जरा भी उम्मीद नहीं थी।थोड़ी देर बाद मैडम और डिटेक्टिव ऋषि भी जाने लगे ,ऋषि ने बैग अपने पास रख लिया जिसकी उसे जांच करना थी,और मैडम से तलाशी लेते वक़्त सावधान रहने को फिर कहा,कुछ हांथ लगते ही इनफॉर्म करना,ऐसा भी वो जाते जाते बोला।मैडम अजीब सी विडंबना का सामना कर रहीं थीं।पर कातिल तक पहुंचना और खुद को भी बचाना उनकी प्राथमिकता है।डम रेस्त्रां से कलियां को देखने वापस क्लीनिक की तरफ चल दी।

कलियां को देखकर वो वापस मनीषा के घर आ गईं,रास्ते में धृति को भी उन्होंने पिक कर लिया,कुछ देर में मनीषा भी आ गई।मैडम के लिए अब एक कुरुक्षेत्र निर्मित था,जो उनके विवेक की परीक्षा लेना चाहता है,पर वो अब तैयार थीं क्यूंकि डर कर किसी परीक्षा को उत्तीर्ण नहीं कर सकते।धीरे धीरे शाम रात में बदलने लगी।मैडम इंतज़ार में थीं कि कब धृति और मनीषा सोएं और वो अपनी तहकीकात को अंजाम दें।रात के ग्यारह बज गए,सभी खाना खाकर सोने अा गए।

मैडम ने ने आज पहले मनीषा को पुख्ता करना उचित समझा,अच्छी तरह से देखा कि वो पूरी तरह सो चुकी है,फिर ही वो नीचे उतरी, बड़ी सफाई से एक एक अलमारी के समान को तलाश किया,लगभग दो घंटे की जद्दोजहद के बाद उन्हे दो बुलेट मिली जो चली हुई थीं,उन्होंने बड़ी सावधानी से उन्हे अपने गाउन में छिपाया और दबे पांव ऊपर की तरफ आ गईं।

कमरे में आकर उन्होंने राहत की सांस ली ,आखिर ऋषि का दिमागी प्लान सक्सेस हुआ,मैडम बस अब सुबह का इंतज़ार कर रही हैं कि ऋषि को सबूत दिखा सकें,और असली कातिल सबके सामने हो,मैडम ने टाइम देखा२बजकर३०मिनट हो गया था,मैडम ने बड़ी सतर्कता से खुदको जगाए रखा,क्यूंकि ऋषि ने उनसे कहा था,शेर की गुफा और कातिल से रहम की उम्मीद ही नहीं होती है।लेकिन सुबह की नींद ने उन्हे झुका दिया, लगभग 4 बजे करीब उनकी आंख लग गई।

सुबह धृति मैडम को जगा रही थी।मैडम ने घड़ी देखी तो आठ बज रहे हैं,मैडम ने फटाफट खुद को रेडी किया और न्यूज पेपर देखकर उनकी आंखें घूम गईं।

टाइम्स ऑफ इंडिया(हैडिंग)

मशहूर डिटेक्टिव एजेंसी फ्लिक के सीनियर और मोस्ट ब्रिलियंट डिटेक्टिव ऋषि की हत्या,कातिल का कोई सुराग नहीं।पढ़कर पापोरी की आंखों में आंसू आ गए।

क्रमशः*(शेष अगले अंक में)**


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