Ved Shukla

Abstract

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Ved Shukla

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किनारा भाग ३

किनारा भाग ३

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रीकैप.......

पिछले अंक में आपने गौतम वैली फ्रेंडस क्लब की पार्टी में मिले मनीषा, पापोरी ,धृति और प्रिया के बीच हुए घटनाक्रम को पढ़ा ,लेकिन पार्टी वाली रात प्रिया को मार दिया गया ,मैडम को जैसे ही खबर लगी,खबर की पड़ताल करने पापोरी जैसी थी वैसी ही घर से चल दी,

अब आगे।


सुबह से सबकी नींद उड़ी हुई है , क्यूकी इतनी जल्दी सब कैसे घट सकता था, शतरंज की शह और मात ,में प्रिया को मात मिली ,ठीक है,पर खिलाड़ी कौन था जिसे ये शतरंज पसंद है,आज पूरी कंपनी के लिए एक काला दिन है,जिस कंपनी का हाथ कटा हो उस कंपनी से पूछिए कि उसने क्या खोया!

प्रिया की जगह किसे मिलेगी या प्रिया किसकी जगह ले रही थी,इसमें सभी दिमाग क्यों लगाएं,कंपनी एक बड़ी जगह है ,लोग आते जाते रहते हैं ,कंपनी बनी रहती है,पर प्रिया कोई साधारण कर्मचारी नहीं थी।

सवाल आखिर सवाल होता है,मारने वाला कौन है, मरने वाला तो सभी को पता है।अभी भी सड़क पर गाड़ी में दौड़ रही एमडी मैडम ,खुद समझ नहीं पा रही की वो कहां जाएं ,पुलिस पूछताछ में जाने क्या होगा,कंपनी में एमडी मैडम और प्रिया दोनों गुटों की टकराहट का पुलिस को अगर जरा भी पता पड़ा तो

स्वाभाविक है , गेंहू के साथ घुन भी पिसेगा।इन सब विचारों में निर्मित तंत्रा,एक फोन की घंटी से टूटी, मनीषा मैडम को फोन कर रही है।

"हैलो मनीषा ,"

मनीषा- "पापोरी ,हम सब शक के घेरे में हैं ,जो भी कल रात पार्टी में थे,10 मिनट से मेरे घर आ जाओ।और अकेली आना,कातिल का अभी भी भी कोई सुराग नहीं मिला।मनीषा की आवाज़ में सहमा सा इंसान दिखा।"

"ओके ,"कहकर ,मैडम ने फोन काट दिया।

मैडम ने ड्राइवर से हनुमानगंज की तरफ चलने को कहा,मनीषा का घर वहीं था।मर्सडीज पूरी रफ्तार से दौड़ी,१० मिनट से थोड़ी पहले मनीषा के बंगले पर पहुंच गई।बंगले में एक बहुत बड़ा पार्क था,बंगला लगभग पापोरी के बंगले जैसा आधुनिक और आनुपातिक तौर पर उससे बड़ा था।मैडम को आया देख मनीषा ने दरवाज़े खुलवाए,मैडम ने ड्राइवर और गाड़ी छोड़कर ,मनीषा के घर में क़दम रखा।

"ये सब कैसे हुआ?" घबराई मैडम , मनीषा को उतना नहीं जानती थीं,पर जिंदगी में कुछ लम्हात बिना जान पहचान कुछ संबंध बना लेते हैं,जो जरूरत ही सही पर काम को पूरा करा लेते हैं,मनीषा और मैडम के बीच वहीं जुआ जुता हुआ है,हालांकि परेशानी में मनीषा भी है।मनीषा जिसे मनी भी बुलाते थे,सेम कॉम की मध्य भारत विंग हेड है,मनी ऑडिटिंग विंग , रिसर्च से इतर मॉडल सम्हालती है।

देखने में मनीषा जितनी आकर्षक और मादक है काम में उतनी शातिर और तेज़ ,मनीषा और प्रिया की आपसी दोस्ती भी सबसे उजागर है,शायद प्रिया से नजदीकी कभी मैडम और मनीषा को नजदीक नहीं लाई,पर अगर पुलिस के घेरे में मैडम को डर है,तो मनीषा पहले घेरे में आने वाली थी।मनीषा मूल रूप से रायपुर से थी ,जिसने फ्रांस से एडवांस मैनेजमेंट में पीएचडी की हुई थी,उम्र में एमडी मैडम के लगभग मनीषा इंदौर में कंपनी का काम देखती थी।प्रिया अक्सर मनीषा को अपना उतराधिकारी बताती और उसकी तारीफ करती,जो राहुल एमडी मैडम के लिए था वहीं मनीषा प्रिया के लिए थी, स्कूल प्रोजेक्ट के सुपर फंड मैनेजमेंट में मनीषा एक मुख्य चेहरा थी,पर आज वहीं मनीषा खुद में खोई सी या शायद एकदम नर्वस सी निढाल बुत है।

"ऐसे सन्नाटे में बैठने से कुछ नहीं होगा मनीषा"!मैडम ने मनीषा को स्थिर करने की कोशिश की,"तुम्हारी रस्तोगी से क्या बात हुई थी,मुझे पूरी बात बताओ,और मेरे पार्टी से निकल आने के बाद आखिर वहां क्या हुआ?अगर किसी पर भी शक हो,मुझे बेजिझक कहो।माना प्रिया और मैं दोस्त नहीं माने गए ,पर आज अगर हम दोनों अच्छे दोस्त बन सकें तो शायद मैं खुदको सुधार पाऊं,प्रिया की वजह से कभी मेरी तुम्हारी नजदीकी नहीं हुई,आज शायद हम दोस्त बन पाएं।"मैडम का पिघला दिल जो दिखाना चाहता था,मनीषा भी समझ रही थी।

सुबह से भूखी मैडम कैसे भी मनीषा के नजदीक आना चाहती थीं,मनीषा ने एक दम मुरझाए स्वर से बोलना शुरू किया।"तुम्हारे और धृति के गौतम वैली से निकलने के बाद प्रिया ने 2 घंटे तक शराब पी, मैं भी उसके साथ थी,करीब 1 घंटे में कोई 10 बार उसके नंबर पर कॉल किया,नशे में धुत्त प्रिया फोन मुझे पकड़ा दी,आखिर मैंने कॉल रिसीव किया,किसी जैकब नाम के बंदे का कॉल था जो मेन गेट पर खड़ा था,और प्रिया को बुला रहा था,मैंने प्रिया को बताया,प्रिया बाहर होकर अाई और फिर से पीने लगी।"

"वेट!!"

पापोरी ने मनीषा को बीच में ही टोक दिया," मनीषा क्या प्रिया खाली हाथ थी?"

"हां ," मनीषा ने कहा।

" ओके"मैडम बोली।

तभी अचानक मैडम के फोन की घंटी बजती है, कलियां का फोन था।

"हां बोलो कलियां क्या बात है?"

कलियां - "मैडम कोई हरिओम त्रिपाठी जी आपसे मिलना चाहते हैं,कहते हैं पुलिस में है और पूछताछ करना चाहते हैं।"

मैडम- "ओके ,तुम उन्हें बैठाओ , मैं अभी घर पहुंचती हूं।"और मैडम ने फोन बन्द कर दिया।अब मनीषा और मैडम दोनों सकते में आ चुकी थीं।

मैडम मनीषा को लेकर अपने घर की तरफ चल पड़ीं।बैठक में भवानी पहले से बैठा हुआ है,मैडम को आया देखकर वो उठ कर खड़ा हो जाता है।वो इन्स्पेक्टर था ,प्रिया के केस में पूछताछ करने आया था।

"आप ही मिस तालुकदार हैं?मैंहरिओम त्रिपाठी, सीनियर थाना इंचार्ज।" दोनों ने अभिवादन करके मुस्कुराया।मनीषा भी वहीं बैठ गई,कलियां चाय बनाने चली गई।और भवानी बाहर चला गया।

"मैडम आपको किसी पर शक है?" इंस्पेक्टर ने बड़े सहज ढंग से पूछा?

"नहीं "मैडम ने जवाब दिया।

"ओके। पर ,कल आप सबसे पहले वहां से निकली थीं,क्या ये सच है।" इंस्पेक्टर थोड़ा और पूछने लगा।

" हां ये सच है"मैडम से पहले मनीषा ने बोल दिया।

एक दम से इंस्पेक्टर हरिओम त्रिपाठी मनीषा को देखने लगा।

" आप?"

"मैंभी वहां थी, मैं और प्रिया दोस्त थे,हम सभी एक कंपनी का हिस्सा हैं।'

" ओह आई सी!'बस उसने इतना ही कहा,तब तक कलियां चाय ले आई।सभी चाय पीने लगे।मनीषा को इंस्पेक्टर फिर से देखने लगा,शायद कुछ बोलता,इससे पहले मनीषा खुद बोल बैठी मुझे भी किसी पर शक नहीं इंस्पेक्टर साहब।

" ओके"बस उसने इतना ही कहा। क्या आप कोई हथियार रखती हैं?इंस्पेक्टर ने मैडम से सवाल किया?

" हां रखती हूं?"

"कौन सा?" इंस्पेक्टर ने फिर पूछा

" बरेटा एम ९ पिस्टल।और लाइसेंस है मेरे पास।"

"अच्छा।"कहकर इंस्पेक्टर ने वहीं सवाल मनीषा से किया।

मनीषा सकपका गई।इंस्पेक्टर ने फिर से पूछा क्या आपके पास भी कोई हथियार है।

"हां है,बरेटा एम ९ पिस्टल।"

"ओ आई सी"(इंस्पेक्टर ने कहा।)

मैडम ने इंस्पेक्टर की बात को अधूरा छोड़कर कहा ,"क्या प्रिया की मौत गोली लगने से हुई।"'

इंस्पेक्टर बोला वो तो एफएसएल रिपोर्ट बता पाएगी मैडम,हमारा काम तो साधारण पूछताछ करना है,उसने आगे फिर कहा ,"वैसे नहीं ,उसकी मौत गोली लगने से नहीं हुई।"

उसकी बातें सुनकर दोनों ने राहत की सांस ली।तब तक धृति भी ट्रेनिंग कैंपस से वापस आ गई।धृति से इंस्पेक्टर कुछ पूछता इससे पहले ही ,मैडम ने उसका परिचय से दिया।इंस्पेक्टर ने एक दो पेपर पर मनीषा ,मैडम और कलियां ,के साइन कराए और चला गया।उस इंस्पेक्टर की बॉडी लैंग्वेज पे मनीषा ने तंज कसा कि इनसे कातिल का पता चलना मुश्किल है।

"खैर,चलो सब आसानी से हो गया मुझे दो बहुत ज्यादा डर था।'

" हां ,मुझे भी डर था कि कहीं ,खैर", मनीषा ने भी राहत भरी सांस ली।

दोपहर के तीन बज चुके थे,मैडम शॉवर लेने चली गईं,धृति और मनीषा ,आपस में बात करने लगे ,तब तक कलियां किचन में सभी के लिए खाना बनाने लगी।उसे गाना गाने का शौक था।वो बड़े प्यार से गा रही थी-

"बस्ती बस्ती पर्वत पर्वत गाता जाए बंजारा लेकर दिल का एक तारा,क़दम क़दम पर होनी बैठी अपना जाल बिठाए,,,,,,,,,"

इसके बाद सभी खाना खाकर आराम करने लगे।

मनीषा के फोन पर ,एक घंटी हुई। बात करते करते उसकी बांछे खिल गईं ,बस दस मिनट में उसने थैंक यूं सो मच कहकर फोन रख दिया।आखिर आज किस्मत का पहिया चल निकला,मनीषा को प्रिया की जगह मिल गई,कंपनी ने उसे एक नई जिम्मेवारी दे दी।जो किस्मत खुलने जैसी थी। मनीषा को अहसास हुआ शायद पापोरी बुरी नहीं है,उसने मैडम को बताया तो उन्होंने उसे खुश होकर उसे बधाइयां दी।आज मनीषा बॉस बन गई,मैडम को फिर रह जाना पड़ा,बातों बातों में ना जाने कब रात में ९ बज गए पता नहीं लगा। मनीषा अपने बंगले की तरफ हनुमानगंज निकल गई।मैडम और धृति अपने अपने कमरों में चले गए।मैडम को तभी एक नंबर से कॉल आया ,उन्हे किसी अरविंद नाम के आदमी ने फोन किया था।मैडम किसी अरविंद को नहीं जानती थीं,पर धृति के ट्रेनिंग कैंपस में धृति अरविंद दोस्त थे,अरविंद को मैडम से हेल्प चाहिए थी।मैडम अरविंद से मिलने धृति को लेकर मयूर गार्डन के पते पर मिलने पहुंची।

अरविंद भोपाल से चुना गया था,जो खुश नहीं था, क्युकी स्कूल की प्रिंसिपल वापस उसे बुला रही थी,और अभी उसे आगे सीखना था,धृति को लगा कि शायद कुछ मदद एक्सटेंशन में मिल सके,इसलिए ये मीटिंग थी।

"मैं कुछ करूंगी,"अरविंद की पूरी मदद का भरोसा दिला कर एमडी मैडम और धृति वापस अपने बंगले पर आ गए।समय लगभग ११:४६ होने को था।

तभी अचानक -मैडम के फोन पर घंटी हुई,फोन नंबर हरिओम त्रिपाठी का था। मैडम ने फोन रिसीव किया,फोन सुनकर उनके होश उड़ गए। कंपनी में मैडम के दाहिना हाथ कहे जाने वाले राहुल रस्तोगी का खून हो गया।कातिल ने वहीं हथियार चलाया था, बरेटा एम ९, इंस्पेक्टर ने मैडम को आगाह करने के लिए फोन किया था। मनीषा ने मैडम को फोन किया,

" हैलो -"मैडम वो रस्तोगी;"आगे मैडम की जबान सूख गई।

"मैडम वो रस्तोगी का खून हो गया।" मैडम ने मनीषा को तुरंत अपने बंगले आने को कहा ,और फोन काट दिया।पहले प्रिया,फिर रस्तोगी आगे कौन?

क्रमश***(शेष अगले अंक में)


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