किनारा भाग ४
किनारा भाग ४
यह कहानी का चतुर्थ भाग है, पूर्व में प्रकाशित तीनों भाग अवश्य पढ़ें ताकि कहानी को अच्छे ढंग से समझा जा सके।)
Recap - पिछले अंक में आपने पढ़ा कि कातिल की खोज में सीनियर इंस्पेक्टर त्रिपाठी, मैडम, मनीषा, और धृति से पूछताछ करता है, लेकिन प्रिया की हत्या अनसुलझी रहती है, वहीं दूसरी तरफ सेम कॉम प्रिया वाली जगह मनीषा को हेड बना देती है।मैडम के राइट हैंड कहे जाने वाले रस्तोगी का खून हो जाता है।
अब आगे:
रस्तोगी के खून का सुनकर भौचक मनीषा, आनन फानन मैडम के बंगले पर भागती है, इसी बीच मैडम भवानी को बुलाकर बंगला अच्छे से जांच कराती हैं, इंस्पेक्टर की बातों से मैडम घबरा गईं, उनके मन में एक ही शब्द था - बरेटा एम ९
नहीं, नहीं!!!मनीषा नहीं हो सकती, मैडम खुद को ही समझा रहीं थीं, इतने उच्च दर्जे की कुशल व्यक्तित्व आज ऐसे दो राहों पर खड़ी है जहां आगे कुंआ तो पीछे खाई है।
मैडम ने अपनी अलमारी की दराज से पिस्टल निकाल कर अपने बैग में रख ली, शायद मन में एक बार भी डर का इस्तकबाल हो जाए तो बसने सा लगता है, रस्तोगी मैडम को प्रिय था, अगर रस्तोगी निपट सकता है, तो क्या अगला नंबर मैडम हैं।
"मनीषा, मैडम और बरेटा एम ९"
मैडम !मैडम!!!!
विचारों में सो रही मैडम एकदम से भवानी की, आवाज़ से वर्तमान में आ गईं, ।
मैडम गेट पर मनीषा मैडम अाई हैं, क्या दरवाज़ा खोल दूं ?
हम्म, एक हल्के स्वर से मैडम ने भवानी को उत्तर दिया और वहीं बैठ गईं।
मनीषा दौड़ते हुए अंदर अाई।
सहसा मैडम को कुछ याद आया, मैडम ऊपर की ओर भागी और अपने पर्स को ले आईं।
मैडम को देखकर मनीषा की आंखे कुछ भीग गई, उसमे साहस का ना होना पहली बार मैडम को दिखा, पर चौकन्नी मैडम पर्स पास में ही रखे थीं, उन्हे एक शक पैदा हुआ था जो सीधा मनीषा पर था, पर वहीं दूसरी ओर बात दूसरे एंगल से उनपर भी लागू थी, वहीं पिस्टल बोर!
लेकिन इसी बीच धृति मैडम को समझाती है, शायद ये विधि का विधान था, आप हौसला रखिए, मनीषा भी बिल्कुल अस्थिर है।
प्रिया को खो चुकी मनीषा मैडम के इतने नजदीक आ गई जैसे दोनों बरसों पुरानी दोस्त हों, धृति इन सब में यूं फंस गई जैसे हरी भजन को आए थे और ओटन लगे कपास।
अब भला नियति को कौन समझ सकता है।
मैडम दिखाने की कोशिश पूरा कर रहीं हैं कि वो ठीक है लेकिन अंदर एक भूचाल उन्हे हिला रहा है, रस्तोगी और प्रिया को आखिर मारा किसने, और क्यों ?
मनीषा और मैडम इन्हीं सब पर बातें किए जा रहीं थीं।
मनीषा ने मारे डिप्रेशन पीने की मंशा तक जाहिर कर दी, वैसे मनीषा व्यसन नहीं करती थी, पर आज उसका पीने को जी चाहे था
ताकि कुछ समय खुद को भुला सके।
जैकब नाम के बंदे की गुत्थी सुलझ चुकी थी, वो ड्रग्स सप्लायर था, जो टेकरी पर रहता था, इन्स्पेक्टर हरिओम त्रिपाठी के नेतृत्व में गठित सीनियर सब इंस्पेक्टर गौरी शंकर और सहायक सब इन्स्पेक्टर मदन मुरारी की टीमों ने दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया।प्रिया को उस रात वोLSD देने आया था।
मुझे इंस्पेक्टर त्रिपाठी ने ये सारी बातें बताई।
मनीषा अब बात पूरी कर चुकी थी।
लेकिन पीने की लालसा और भी तीव्र थी, मनीषा अपने ड्राइवर को बुलाती है, और उससे व्हिस्की लाने को कहती है, मैडम के घर शराब नहीं हो सकती थी, क्यूंकि वो ये बात जानती थी कि पापोरी शराब नहीं पीती थी।
पर शायद वो ग़लत थी, मनीषा की हार्दिक अभिलाषा देख मैडम ने मनीषा को ड्राइवर को ना भेजने का कहा, और किचन से दो स्कॉच की बोतल ले आईं,
स्कॉच देखकर मनीषा को आश्चर्य हुआ, पर वो मेहमानों की आवभगत के लिए थीं।
पार्टी में नहीं पी सकी धृति भी आज सुरूर में डूबना चाहती थी, जो मनीषा के साथ गिलास बोतल लेकर बैठ गई।
दोनों मिलकर पीने लगीं।
धृति को पीता देख मैडम को थोड़ा अजीब लगा, पर धृति में ग्लैमर वाली लाइफ स्टाइल जीने का जिन्न शुरू से है, आज मनीषा को भी प्रिया की कमी सही अर्थों में महसूस हुई।
पापोरी, एक एक हो जाए!
मनीषा ने एक गिलास बढ़ाया, मैडम ने मना कर दिया।
सुरूर में आने लगी मनीषा, क्या यार बोलकर रह गई।
पर अब सब हल्का हो गया, कातिल और कत्ल की दहशत दोनों, स्कॉच की चुस्कियों में गायब हो गए।
धृति भी फुल टल्ली हो गई।
उसे उल्टियां होने लगीं, फिर भी उसने मनीषा के साथ पीना जारी रखा।
मैडम भी सहज महसूस करने लगीं।
बातों बातों में मैडम और मनीषा बस यही बातें कर रहीं थीं कि कैसे भी करके कातिल के बारे में कोई बता दे।
कलियां काफी देर से उनलोगो को इस प्रकार की चिंता में देखकर, अपना थोड़ा बहुत दिमाग लगाकर मैडम के पास जाकर कहने लगी, मैडम अगर आपको हत्यारे का पता करना है तो एक व्यक्ति आपकी मदद कर सकता है।
मैंने एक व्यक्ति के बारे में सुना है जो, सच्चाई बता देते हैं।
कौन ?हैं वो व्यक्ति कलियां ? कहां रहते हैं ?
एकदम से मनीषा बोल पड़ी, दारू पीकर मनीषा कुछ ज्यादा एक्टिव हो गई थी, जो मैडम से पहले उछल पड़ी।
मनीषा की बात सुनकर कलियां ने कहा "प्रीतम के पापा"!
प्रीतम के पापा, ये क्या बला है, मनीषा हंसने लगी।
ग्रामीण परिवेश से ताल्लुकात रखने वाली कलियां अपने विवेक का कोना थामे, उनके बारे में बताने लगती है।
प्रीतम के पापा, हैं तो साधारण इंसान लेकिन कजली से उन्हे दूध का दूध और पानी का पानी दिख जाता है, हमारे गांव के लड़के का किडनैप हुआ था, उसका पता वो ही बताए थे, फिर पुलिस भी वही पहुंच गई और किडनैपर से बच्चे को बचा लिया, अरे तुम काहे ना बोल रहे कछु, कलियां ने पास खड़े भवानी को इशारा किया।
भवानी बड़े संकोच से बोला, हां मैडम, कलि ठीक कह रही है, हम भी ये घटना सुने थे।
व्हाट रबिश!!!!!!
मनीषा ने इतने सड़े मुंह से कहा की बेचारी कलियां जो अपनी परेशान मैडम को दर्द से उबारने के लिए एक मदद लाई, उसकी हवा निकाल गई।
जिस किलर को क्राइम ब्रांच पुलिस, और हम लोग ढूंढ रहे हैं, उसका पता गांव के गंवार देने लगे!!
कबसे!
सुरूर में मनीषा कलियां की ही हंसी उड़ाने लगी, बेचारी रुआंसी हो गई।
धृति एक छोटे शहर से थी, उसे इन सब बातों का पता था, धृति ने कलियां की बातों का समर्थन किया और कजली के दावे की सच्चाई का।
पर आधुनिक मनीषा कुछ माने ना माने इन बातों को तो सुनने भी तैयार ना थी।
अब बारी पापोरी की है,
पापोरी शायद पेपर में कलियां वाली बात पढ़ चुकी थी, पर पुलिस किस प्रीतम के पापा की बताई जगह पहुंची थी, ये उसे भी नहीं पता था।पर अगर सच में प्रीतम के पापा देख सकते हैं तो उनसे पूछने में बुराई क्या, पापोरी आखिर क्या करती, प्रिया और रस्तोगी की तरह परलोक जाने से अच्छा रास्ता प्रीतम के पापा वाला दिखा।
मैडम ने कलियां से आगे पूछना शुरू किया की ये कहां मिलेंगे ?
मेरे गांव के बगल के गांव चना टौरिया में इनका घर है।
कलियां झमटु
ली गांव से थी, जो चना टौरिया से नजदीक था।
चना टौरिया की कुल दूरी १००किमी थी।
अब पापोरी का मन थोड़ा सा सोचने लगा, यदि सच में ऐसा कुछ है तो एक साथ दो लोगों की जान लेने वाले कातिल का पता लग जायेगा, जो सर दर्द बन गया था, पर रात की गहराई में 100 किमी का सफर, और वो भी तब जब एक और खून हुआ हो, मैडम का कलेजा धक धक करने लगा।शायद उनको बाहर जाना सेफ नहीं लगा, और एकबारगी उनको भी लगा कि क्या मैं कलियां की बातों में आ गई, पर खतरा तो अंदर भी रहने में था, मन की उत्सुक बेलें कोतुहल के अनगीनित सुमन खिलाने लगीं, और सबसे बड़ी बात मनीषा और धृति दोनों शराब में डूबी हुईं हैं, क्या करूं की उलझन पापोरी तालुकदार को लगातार दौड़ाए जा रहीं है।
तू नील समुन्दर है,
तू नील समुन्दर है,
मैं रथ का साहिल हूँ
मैं रथ का साहिल हूँ
आगोश में ले ले
मैं देर से प्यासी हूँ
एक सौदा रात का
एक कौड़ी चाँद की
चाहे तोह चूम ले
तू तोड़ी चाँद की
एक सौदा रात का!!!!!!
एक
कौड़ी चाँद की
चाहे तो चूम ले
तू तोड़ी चाँद की
एक चाँद की कश्तीमें !
मनीषा और धृति शराब के नशे में गुनगुनाने लगीं, दोनों को अब चढ़ चुकी थी, ऐसे में पापोरी को निर्णय भी लेना था, आखिर हारकर पापोरी का मन रजामंद हो।
पापोरी ने दोनों की ओर देखा,
दोनों गा रहीं थीं-
हो दिल के वरक पे है लिखा
जाने वफ़ा तेरा नाम
चलते चलते रुक जाओ
तोफिरहोवे मोहब्बत की शाम
झुमू झुमू तेरी बाँहोंमें झुमू
चुमू चुमू तेरे होठोंको चुमू
हे चाहत की देखो यार
मनमें बजी सितार
चाहत की देखो यार मन मेंबजी सितार
रग रग में छाया प्यार
मनमें बजी सितार
झूम उठा सारा यह जहां
रेछू लिया मेने आसमाँ रे
अरेरेरे में तो गयारे
दिल भी गया रे
अरेरेरे मैं तो गयारे
दिल भी गया रे
धृति!!!!!!मनीषा!!!!
दोनों अभी भी मशगूल थीं,
धृति,
अब धृति ने मैडम को देखा, कपड़े बदल लो, हम लोग कलियां के गांव निकल रहे हैं,
उसकी बात सुनकर मनीषा फिर बोली, पापोरी को बिना पिए चढ़ी है, और हाहाहा करके हंसने लगी।
नहीं मैं सीरियस हूं।
एक दम सीरियस, मैडम ने बात को दोहराया।
धृति कपड़े बदलने चली गई।
मनीषा, मैडम से वाद विवाद करने लगी कि उसे किसी अजली कजली का यकीन नहीं, अंदर रहने में ही भलाई है, पर मैडम ने मनीषा को मना लिया बस १००किमी की तो बात है और कातिल कौन है, इसका भी तो पता चलेगा, सहमत मनीषा अब तैयार थी, पर लड़खड़ा रही थी, धृति का हाल उससे से भी बुरा था पर वो उत्तेजित बहुत थी।
मैडम ने कलियां, मनीषा और धृति को साथ लिया और कलियां के गांव निकल पड़ीं, जाते समय भवानी को फुल चौकसी बरतने को कहा, और किसी को कुछ ना बताने का भी कहा, मैडम नहीं चाहती थीं ऐसे समय उनके बारे में किसी को पता लगे।
रात के 2 बजे मैडम को सफर करना उचित तो नहीं लगा पर कलियां का कहना था कि प्रीतम के पापा सुबह टाइम ही मिलते हैं, इसलिए मैडम ने ड्राइवर को जल्दी जल्दी चलाने को कहा।
वैसे तो सफर आसानी से ख़तम हो जाता वो भी 1 घंटे में पर रोड की खराबी, मर्सिडीज को अल्टो की गति प्रदान किए थी।
आखिर कुछ घंटों बाद -
कलियां का गांव आ गया, सुबह के ३:४०हो गए, मनीषा बेसुध गाड़ी में सो गई, धृति जागी हुई थी, कलियां और मैडम भी जागी हुई थीं।
मनीषा को उठाकर सभी कलियां के पिताजी आर्यभट के आंगन में बैठ गए, मनीषा वहां भी पसर गई और सो गई, धृति भी सो गई।
कलियां मायके से चौबे थी, और उसके पिताजी का नाम आर्यभट्ट था
आर्यभट्ट चौबे - का बात रही कलि , हम सब चिंता करत रहे, प्रीतम के पापा कजली की कहत रहे, लाला (जमाई)फोन किए रहे, आखिर का हो ?
कलियां ने संक्षेप में सारा घटनाक्रम अपने बाऊ जी से कह सुनाया।
अब आर्य भट्ट चौबे भी सकते में आ गए, कलियां उनकी अकेली बेटी थीं और साथ में उनका दामाद भवानी भी मैडम के बंगले पर रहता था।
कलियां की मा सबके लिए गरम गरम दूध ले आईं, कलियां की मा का नाम सद्दो था।
सबने दूध का आनंद लिया।
मैडम को बस सुबह की टकटकी लगी थी।
कुछ ही देर में सुबह भी हो गई।
सभी लोग कलियां के घर से पड़ोस के गांव चना टौरिया रवाना हो चले, जहां प्रीतम के पापा रहते थे।
प्रीतम के पापा पहले फौज में थे, बाद में ओझा बन गए और ग्रामीण स्तर पर लोगों की समस्याएं सुलझाने लगे, प्रीतम गांव का सरपंच था, इसी वजह से लोग उन्हे प्रीतम के पापा बुलाते थे, वो आदरणीय इंसान थे, ऐसा आर्यभट्ट चौबे ने मैडम और साथियों को बताया।
स्थान - ग्राम चना टौरिया।
आर्य भट्ट ने गाड़ी एक पेड़ के पास रुकवा ली, और सभी लोग पैदल चलने लगे, रास्ता काफी उबड़ खाबड़ था, कलियां को ग्रामीण जीवन अभ्यस्त था, लेकिन धृति, मनीषा, और मैडम इनकी हालत भयंकर कष्ट में थी।
चलते चलते एक दो कमरे का मकान मिला, मकान में सांकल थी, आर्यभट्ट ने सांकल बजाई, तभी एक लंबा चौड़ा किसान बाहर आया, आर्यभट्ट को आया देख उसने खाट बिछा दी, सभी उसमे बैठ गए।
कीर्तन में का टाइम शेष है, मनफूले।
शायद उस किसान का नाम रहा होगा, जिसने खाट बिछाई थी।
इन मैडम साहब को एक काम रहो,
कीर्तन तो होए रहो चौबे, किसान ने कहा और हंस दिया।
अजीब से माहौल में मनीषा और धृति को बड़ा बुरा सा महसूस होने लगा, मैडम कैसे भी करके खुद को काबू किए थीं।
आर्यभट्ट ने सभी को चलने को कहा, इस बार आगे आगे वो किसान चल रहा था, और उसके पीछे आर्यभट्ट, फिर धृति, फिर मैडम फिर मनीषा और कलियां।
कुछ और पगडंडियों को पार करके सभी लोग एक बहुत पुराने से बरगद के पेड़ के पास आ गए, पेड़ पर बहुत सारे धागे बंधे थे और झंडे भी थे।
सामने एक बुजुर्ग बड़े ध्यान में डूबे से दिखे।
आर्यभट्ट ने उनके पैर छुए और कान में सारी बात कह दी।
आर्यभट्ट की बात सुनकर वो और गहरे ध्यान में चले गए।
कजली लगाकर देखने लगे, सब उन्हे देख रहे थे, वो सत्य देख रहे थे, मैडम, मनीषा और धृति इनकी धड़कन बढ़ी हुई थी।
जनाना, ये किसी जनाना ने किया।
मैडम के तोते उड़ गए, और कुछ तोते मनीषा के भी उड़ गए।
सवाल ये है कि, मनीषा, मैडम, धृति और कलियां ये सभी लड़कियां थीं।
कजली अगर सच बोलती है, तो फिर कौन है ?जो कत्ल कर रहा है ?
अब मामला और भी गहरा गया।
मैडम, कुछ भी नहीं समझ पा रहीं थीं।
जनाना थी कातिल, मर्द नहीं, प्रीतम के पापा ने आंखें खोल कर कहा।
मनीषा अब पागल सी हो गई, और मैडम भी आत्मबल खो बैठी, धृति कलियां को देखने लगी क्यूँकि वो भी एक लड़की थी, और कलियां आर्यभट्ट को देखे जा रही थी।
क्रमशः* (शेष अगले अंक में)*