Ved Shukla

Crime

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Ved Shukla

Crime

किनारा भाग ५

किनारा भाग ५

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(यह कहानी का पांचवा भाग है ,पूर्व में प्रकाशित भागों को अवश्य पढ़ें ताकि कहानी को अच्छे से समझा जा सके।)

                   धन्यवाद।

Recap- पिछले अंक में आपने पढ़ा,कातिल की खोज में मनीषा,मैडम,और कलियां गांव तक गए ,लेकिन कातिल का लड़की होना (कजली के द्वारा पता करने पर),सुनने वालों को सकते में ले आया,मय कलियां समेत सभी लड़कियां थीं।

अब आगे :

आगे काम शक की सुई का है,जो कुछ हद तक तो मैडम के मन में मनीषा को लेकर थी।पर प्रीतम के पापा से जनाना सुनकर सभी एक एक सुई से ग्रसित हैं।मनीषा , मैडम , कलियां और धृति को लेकर आर्यभट्ट वापस उसी पेड़ तक आ गए , जहां गाड़ी और ड्राइवर को रोका था,जाते वक़्त आर्यभट्ट ने सभी के पैर छुए, कलियां की आंखें नम थीं,बाऊ जी भी आगे नहीं बोल पा रहे,जैसे तैसे दो तीन बोल हिम्मत के जुटा कर बोले,

"कछु नहीं बिटिया जो होएं का रहो वा हुई गयो,अब तुम, लाला आपन आपन खयाल रखी,हुई है वहीं जो राम रची राखा, बिट्टी चिन्ता मा सूखे ना, तोहरी अम्मा पठोनी बांधें रहीं, खोये के कछु बनाऐ के खाए,और सत्तू लाला के खिलाए, एक थैले में कलियां ने बाऊ जी से सामान ले लिया और डिग्गी में रख दिया।

"मारें वालें का पता दई हैं मालिक, है बिट्टी अपना खयाल करे।"

बेटी के पिता को बहुत चिंता थी, कलियां भी बाऊ जी की बातों से भावुक होने लगी।आर्यभट्ट ने ढाढस बंधा कर सबको विदा किया।

गाड़ी चल पड़ी कुछ दूर पहुंचते ही,मनीषा शुरू हो गई और तेज़ आवाज़ में गाड़ी के भीतर ही बडबडाने लगी,ये सब बकवास है,कोई कजली वजली नहीं होती,सब महज अंधविश्वास, लोगों को मूर्ख बनाने का फूल प्रूफ तरीका।मैडम को पिस्तौल वाली बात से मनीषा पर जो हल्का सा वहम था,प्रीतम के पापा से वो जड़ें पसार रहा है,वो सुन मनीषा को बड़े गौर से रही है,पर मन ,कहीं और सोच रहा है।

कजली झूठी नहीं है, कलियां ने कहा।और अगर जनाना कातिल है भी तो आप को कोई दिक्कत है,मर्द होता तो मानती का ? कलियां का विचित्र सवाल सुनकर मनीषा ,एकदम बात बदलकर बोली,ऐसा नहीं है ,मर्द होने से,मानती,पर वो मर्द नहीं है,अरे !कम ऑन कलियां,वो औरत ही है,और मनीषा शांत हो गई,क्युकी बस यही अभी होना चाहिए था।

सफर पूरा होते होते दोपहर हो गई। तभी ,मनीषा के फोन पर घंटी हुई,इंस्पेक्टर हरिओम त्रिपाठी ,बहुत देर से मैडम का नंबर मिला रहा था था,पर मैडम ने जबसे प्रीतम के पापा की बात सुनी थीं,मोबाइल बन्द कर लिया था,इसलिए त्रिपाठी ने मनीषा को फोन करना उचित समझा।

मनीषा - हैलो,मैडम मैं इंस्पेक्टर त्रिपाठी बात कर रहा हूं,एमडी मैडम (पापोरी) का कोई दूसरा नंबर है , अर्जेंट काम है ।

मैं अभी बात ही करवाए देती हूं ,कहकर मनीषा ने मैडम को फोन दे दिया,

मैडम - "हैलो , त्रिपाठी जी बताइए कातिल का कुछ पता चला,"

"नहीं मैडम उसने कहा,आपको थाने आना पड़ेगा,पुलिस को खोजबीन में सीसीटीवी फुटेज में आपकी गाड़ी पार्क होते दिखी,आप दोबारा उस पार्टी में 2 बजे के करीब वापस आईं थीं,और पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट के हिसाब से प्रिया का खून 3 बजे के आसपास हुआ है,और एक और अहम बात ,प्रिया के पास भी लाईसेंस हथियार था,लेकिन उसको चुराया गया।आप तुरंत इनफॉर्म करें"खराब आवाज़ की वजह से फोन लाउडस्पीकर पर था,सभी ने इंस्पेक्टर त्रिपाठी की बातें सुन ली,मैडम ने १ घण्टे में पहुंचने का आश्वासन दिया।अब मैडम की तरफ मनीषा और धृति के चेहरे एक साथ हजार सवाल बनकर देखने लगे।

किसी ने कुछ नहीं बोला ,गाड़ी चलती रही,और १ घण्टे से कम समय में एमडी मैडम के बंगले पर वापस पहुंच गई।

भवानी ने गेट खोला,सब अंदर आ गए।

बंगले के भीतर पहुंच कर ,


मनीषा एक्चुअली तुम मुझे गलत समझोगी, बट तुम्हें तो पता है ,जब प्रिया जिंदा थी तो मेरे और उसके बीच एक ऑफिस पॉलिटिक्स थी,वो हर संभव फ़िराक़ में रहती थी कि कभी भी मुझे नीचा दिखा सके,लेकिन ये सब तब था,जब वो जिंदा थी,और तुम भी उसकी नजदीकी दोस्त थीं,आज हम दोनों भी करीबी और गहरे दोस्त बन चुके हैं, मैं ये तो नहीं जानती कि तुम क्या सोचोगी,पर शायद उस इंस्पेक्टर की बात से तुम्हारे मन में यही सवाल होगा की धृति और मैं तुरंत **पार्टी से निकल आए थे ,फिर मैं दोबारा वहां कैसे और क्यों गई थी।(**पूरी कहानी जानने के लिए भाग एक (धृति) देखें।),देखो मनीषा,जीवन में कुछ बातें चुभती जरूर हैं,शायद खुद का मज़ाक और मज़ाक उड़ाने वाला,मुझे पार्टी से वापस आने के बाद 12 बजे करीब पार्टी का एक वीडियो मिला ,वीडियो में मेरी मीम बनाकर प्रिया और कुछ कंपनी के लोग मज़े उड़ा रहे थे,उस वीडियो को देखकर मुझे लगा कि शायद ये सही ना हो,पर कंपनी के एक बंदे ने और भी वीडियो भेजा,मुझे लगा कि प्रिया को समझा दूं की देखो प्रिया ,ये सब ठीक नहीं,किसी का यूं मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए,सच कहूं मुझे बहुत हर्ट हुआ था,और फिर मैंने दोबारा पार्टी में जाने का सोचा, मैं १:३० के करीब वापस गौतम फ्रेंडस वैली पहुंची,पर प्रिया इतने नशे में थीं कि उससे बात नहीं की जा सकती थी,तो मैं वापस आ गई,मेरा यकीन करो मैंने उसे नहीं मारा, मैं तो बस उससे बात करके उसे समझाना चाहती थी,पापोरी का गला रूआंसा हो गया, आंखें भीग गई ,वो फफक कर रो पड़ी।

एक साहसी इंसान कमजोर इतनी जल्दी नहीं होता,पर पापोरी,ऐसे सवाल से घिरी थी,जो शायद मनीषा की जगह कोई भी होता शक की नजर से ही सोचता,उसकी गीली आंखों में उसकी सफाई बोले जा रही थी,जिसे मनीषा और धृति ने देखा,धृति ने मैडम के आंसू पोंछे और उन्हे पानी पिलाया,धृति और मनीषा दोनों मैडम को चुप कराने लगीं,मनीषा ने पापोरी का कहा मान लिया,और कहने लगीं हां मुझे यकीन है ,की तुम झूठ नहीं बोल रहीं।

लेकिन आगे अब हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठ सकते।मैंने सोचा है कि आगे हम प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों की मदद लें, यहां पुलिस इतनी स्लो है की कातिल फिर किसी को निपटा जाएगा,और पुलिस पूछताछ बस करती रहेगी।मनीषा की बात सुनकर मैडम डिटेक्टिव की मदद लेने को हामी भर दी,एमडी मैडम को थाने जाना था ,इसलिए मनीषा भी अपने बंगले निकल गई,लेकिन जाने से पहले शाम को मिलने का कह गई,ताकि किसी अच्छे जासूस से संपर्क किया जा सके।

धीरे धीरे दिन बीतता गया।मैडम ने इंस्पेक्टर त्रिपाठी को भी वहीं सब समझाने की कोशिश की,और पार्टी का वीडियो दिखाया,पुलिस ने मैडम के स्टेटमेंट् लिए,उनका मोबाइल फॉरेंसिक जांच के लिए ले लिया गया,और उन्हें शहर ना छोड़ने को कहा गया।मैडम थाने का काम निपटा कर सीधे अपने बंगले पहुंची।

समय शाम के सात बजे -.

स्थान - पापोरी का घर


शाम को मिलने के वादे अनुसार मनीषा मैडम के बंगले आ गई , प्यास पानी की तलाश खुद करती है,और बढ़ जाए तो हलक रेगिस्तान भी बन सकता है।

शायद हालातों ने यही हाल कर दिया था कि किसी बड़े जासूस से बारीक इन्वेस्टिगेशन कराया जाना चाहिए ।

मनीषा सारी इंफॉर्मेशन जुटा कर अाई थी।शहर के भीतर थीं तो बहुत सारी डिटेक्टिव एजेंसियां लेकिन उनमें दो फेमस थीं,फ्लिक और एक सूर्या द डिटेक्टिव।आपसी सहमति के बाद फ्लिक के दफ्तर फोन लगाया गया।केस सॉल्व करने के 50 हज़ार रुपए बतौर पेशगी फ्लिक पहुंचा दिए गए,फ्लिक की तरफ से कोई ऋषि मैडम से मिलने वाले थे।1 घंटे बाद मिलना तय हुआ था।

एक घंटे बाद।


एक लंबा दुबला 30 साल का लड़का मैडम के बंगले के बाहर खड़ा था,खुद का परिचय देकर भवानी से अंदर जाने का कह रहा था,मैडम ने उन्हे अंदर आने के लिए भवानी से कहलाया।

"आयिये मिस्टर ऋषि ,हम लोग आप की प्रतीक्षा में थे।"

मैडम ,धृति और मनीषा के साथ साथ घर के अंदर वो डिटेक्टिव एकदम शांत खड़ा था,मैडम ने उन्हें बैठने को कहा,वो वहीं सोफे पर बैठ गया।

अब मैडम ने वो सब कह सुनाया जिसने उनकी नींदें उड़ा रखी थीं,वो बड़े गौर से सुनता रहा,और हाथ में एक पेन लेकर कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को नोट करता चला गया, कलियां तब तक चाय ले आयी ,सभी चाय पीने लगे।

डिटेक्टिव ने मैडम को एक नंबर दिया ,और मैडम ,मनीषा,धृति , इन सबके नंबर सेव करके अपने काम पर चला गया।मैडम थाने में भी सवाल जबाव कर के आयीं थी,और बहुत थक चुकीं थीं इसलिए वो सोना चाहती थीं,मनीषा कुछ देर रुकी और वापस चली गई,धृति अपने रूम में चली गई,और मैडम सोने चली गईं,रात के ९बज चुके थे।

थका शरीर कब सो गया खुद मैडम को भी नहीं पता सुबह उनकी आंख खुली,घड़ी देखी तो ८बज चुके थे,मैडम उठकर फटाफट तैयार हो गईं।१०बजे उनको ऑफिस निकलना था,धृति भी मैडम के साथ चली गई ।मैडम ने धृति को रास्ते में मिलने वाले कंपनी के ट्रेनिंग कैंपस में छोड़ दिया और खुद ऑफिस रवाना हो गईं।वैसे मैडम की जिंदगी बहुत अच्छी थी ,पर आजकल शनि की साढ़े साती उन पर चल रही थी।सब समय का कारनामा था।

खूनी कौन था,और कहां है, अभी भी रहस्य बना हुआ है,पर वो और भी खून करेगा,ये शायद मनीषा ,मैडम या धृति के साथ साथ खुद पुलिस भी नहीं बता सकती पर डर में सभी थे।


स्थान- मैडम का बंगला

समय लगभग 4 बजे।

कलियां घर में ही थी, कलियां के बाऊ जी मावा दिए थे,और कलियां चिरौंजी की बर्फी बनाने की सोच रही थी,भवानी को वो बर्फी बहुत पसंद थी,खाली बैठी कलियां ने बर्फी का सामान जुटाया और मगन हो कर बनाने लगी,काम में मस्त एक दम फिल्मी गाने गुनगुनाए जा रही थी,वो गानों की बहुत शौकीन तो थी हीवो गा रहीं थीं -

"तुझे अक्सा बीच घुमा दूं आ चलती क्या,चाचा की चाय पिला दूं आ चलती क्या",वो गाते गाते बड़ी रोमांटिक थी।

तभी अचानक पीछे से किसी ने उस पर हमला किया,उसके चेहरे पर कपड़ा लपेट दिया, कलियां ने हाथ चलाए,लेकिन उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था,कलियां के हाथ में गहरा जख्म हो गया,पूरी किचन में खून ही खून फैल गया, कलियां बेसुध होने लगी,कहते हैं अनुभव सिद्ध बना सकता है, कलियां किचन की खिलाड़ी थी,उसने बिना देखे अपने मन के आकलन से हांथ पैर चलाने शुरू किए,हत्यारे की गर्दन उसके हाथों में आ गई पर कलियां देख नहीं पा रही थी, गैस पर कड़ाही चढ़ी थी,जो बहुत गर्म थी,संघर्ष में कातिल कलियां के साहस से हारने वाला था ,पर वो जख्मी थी,जो शायद मुंह बंधा होने से कातिल के लिए बहुत आसान सा शिकार थी,लेकिन जीवन अपनी पूरी शक्ति लगाकर जूझ रहा था,पूरी किचन में बर्तन गिरने लगे,और जख्मी कलियां ने अपनी पूरी शक्ति से बड़ी कड़ाही को उलट दिया, सारा गरम तेल किचन के फर्श पर गिर पड़ा,इसी बीच कलियां को सफलता मिली,उसने मुंह में बंधा कपड़ा खोल लिया,लेकिन इसी बीच कातिल फरार हो गया, कलियां बच गई,पर वो तेल से जल गई,और उसे घाव थे जिनसे खून बहे जा रहा था, कलियां कैसे भी करके किचन से बाहर की तरफ आ गई,उसने बदहवास हालात में मैडम को फोन घुमाया,

मैडम - "हां कलियां,"

कलियां- "मा! ड!!'

मैडम - "हैलो कलियां क्या हुआ,'

कलियां-" मैडम घर आ जाइए, मैं शायद ना बच पाऊं,वो खूनी !!"

शायद वो वो बेहोश हो गई थी। मैडम ने हवा की गति से दूरी तय की,तुरंत कलियां को समीप के एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले गईं और इंस्पेक्टर त्रिपाठी को इनफॉर्म किया,वो भी हॉस्पिटल आ गए।भवानी किसी काम से गांव गया था,शाम तक जब वो लौटा बेचारा कलियां की हालत देखकर रोने लगा।

मनीषा भी खबर मिलते पहुंची,और धृति को भी मैडम ने बुला लिया।कातिल , कत्ल करते करते रह गया,शायद कलियां की हिम्मत से उसे भी डर था,लेकिन कातिल घर तक पहुंच गया।मैडम हादसे से बहुत घबरा गईं,मनीषा अकेले अपने घर नहीं जाना चाहती।

मैडम ने मनीषा को उनके घर रहने बुला लिया,धृति को भी बुरा लगा , कलियां सभी की प्रिय थी,पर कातिल अभी भी बाहर घूम रहा है।

क्रमश**(शेष अगले अंक में)


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