Ved Shukla

Crime Thriller

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Ved Shukla

Crime Thriller

किनारा भाग ८

किनारा भाग ८

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यह कहानी का आठवां भाग है पूर्व में प्रकाशित भागों को अवश्य पढ़ें ताकि कहानी को अच्छे से समझा जा सके।

                      

Recap-अब तक आपने पढ़ा कि तलाशी में कुछ बुलेट्स मैडम को मनीषा के घर मिलती हैं,एक तरफ शक की सीधी सुई,मनीषा के इर्द गिर्द मंडरा रही है,वहीं दूसरी तरफ डिटेक्टिव ऋषि की हत्या होने की खबर मैडम को मिलती है,हालात एक अग्नि परीक्षा को बना चुके हैं,रिश्तों की महक फिजा में घुलने से पहले कोहराम आ गया, पापोरी और उसकी सूझबूझ एक झटके में ऋषि के चले जाने से समाप्त प्राय सी दिख रही है।

अब आगे:

खबर पढ़कर ,खुद को पापोरी नहीं सम्हाल सकी,आखिर वो भी एक इंसान है,और जज्बात उसमें भी हैं,उसके रोशनदान से प्रकाश आने से पहले प्रलय का अनुभव आ गया वो सूरज ही डूब गया जिससे रोशनी आनी थी,प्रेम के गुंजित स्वरों की सरगम अधूरी सी छूट गई,एक तीस साल का अकेलापन जब हल्का सा होने लगा था,तभी अनहोनी हो गई,ऋषि चला गया,चाह कर भी पापोरी स्वीकार नहीं कर पा रही,की वो कली मुरझा गई,जिसमें उसके दिल की जमीन थी,वो जीतते हुए भी नहीं जीत पाई,समय ने उसे हरा दिया।

उसकी आंखों में खून उतर आया,और आंखें लाल हो गईं,मनीषा , यू बिच!!अगर ये तेरा किया है ,तो मैं तुझे जान से मार दूंगी,ओह !!ऋषि!!!!

वो प्रेम की पीड़ा में कराह उठी।ऐसी जिंदगी में एक ऋषि सहारा बन कर आया था ,ईश्वर का मैंने ऐसा क्या बुरा किया जो उसने मेरे ऋषि को ही छीन लिया,लानत है मेरे जीवन पर,मैडम का दिमाग एक प्रतिशोध रूपी राहु का ग्रास बन चुका था, उनपर क्रोध ने अपना आधिपत्य जमा लिया,वो उठी और ऊपर की तरफ चल दी,बेडरूम से अपना पर्स ले आईं, पिस्तौल निकाली,लॉक खोला,और मन ही मन बोलीं आज तेरा खेल ख़त्म मनीषा,मैडम मनीषा को ही ऋषि की मौत का जिम्मेवार मान बैठी और अब उनका मन जस्टिस चौधरी बन गया जो शायद एकाकी प्यार का प्रतिशोध कुछ ज्यादा या कुछ कम सा है किन्तु मनीषा की संदिग्ध गतिविधियों में उत्पन्न भ्रम उन्हें एक ना चाहते हुए फैसले की तरफ धकेल चुका है ,जो अब उन्होंने कर लिया,वो बस अब सही मौका देख रही हैं जो मनीषा को परलोक भेज सके,तभी,बाहर ड्यूटी कर रहे दोनों कॉन्स्टेबल में से एक कॉन्स्टेबल, मेन डोर खोलकर अंदर आया,और आवाज़ देने लगा,मैडम उसी तरफ थीं,जो आवाज़ सुनकर ठिठक सी गई, क्योंकि वो लगातार अपने में खोई थीं, श्यामकुंवर ने एक पैकेट मैडम को दे दिया जो कुछ देर पहले एक डिलीवरी बॉय देकर गया था,लेने वाले की जगह मैडम का नाम ले रहा था।

मैडम पैकेट लेकर अपने रूम में आ गईं,मनीषा उस वक़्त नहा रही थी,मैडम सोच में पड़ गईं आखिर उन्होंने कोई पार्सल नहीं ऑर्डर किया,कहीं ये ग़लत पते पर तो नहीं आ गया,पर देने वाले ने मेरा ही नाम क्यों लिया,सभी सवालों के जवाब लिए वो पैकेट मैडम के हाथों में था,अब खोलने के अलावा कोई दूसरा ऑप्शन उनके पास भी नहीं है,इसलिए मैडम ने उसे खोला,उसमे एक कार्ड था,कार्ड मैडम ने अन्फॉल्ड किया,

कार्ड पर लिखा था -

"मुझे पता है तुम क्या ढूंढ रही हो ?नीचे एक नंबर था।

नंबर- 91•••••••••1

अाई लव यू

फ्रॉम- एल्विस।"

मैडम को तो जैसे मन की मुराद मिल गई,आखिर कातिल की खोज ही तो थीं ,जो मन के हर हिस्से से उनके हालिया जीवन को डस रही थी,एक जहर जैसे धीरे धीरे उनके चेतन मन में मायूसी और उठापटक को बना रही थी,लेकिन ? लेकिन ये एल्विस है कौन?कहीं ये कोई जाल नहीं है ?अगर चालाक मनीषा का कोई खेल हुआ?तो!

तो शायद ऋषि की तरह मुझे भी अपनी जान से हाथ धोना पड़े,मैडम ने एक बार और तसल्ली से पूरा पैकेट देखा,उसमे एक गुलाब था,लाल गुलाब।

मैडम को समझ नहीं आ रहा कि क्या करें,ऋषि भी चला गया जो अक्सर ऐसे मामलों में उन्हे कुछ परामर्श से सकता था,और उनका प्रतिशोध जो अभी भी जिंदा है,जो शायद मनीषा को मार कर ठंडा हो।परएल्विस ,की हकीकत को जानना जरूरी हो गया है,क्यूंकि उसे ये मालूम है कि कातिल की तलाश में मैडम हैं,और अगर ये खुद कातिल है तो फिर मैडम को खुद भगवान के सहारे की जरूरत है।

मनीषा और धृति शायद तैयार हो कर ब्रेकफास्ट करने बैठ गईं,धृति ने मैडम को आवाज़ दी,मैडम ने उसे खाने को कहा,और आने से मना कर दिया,एल्विस का लेटर उन्हे परेशान कर चुका है,एक बहुत बड़ा भंवर उनमें लय नहीं कर पा रहा,आखिर वो कैसे पता लगाएं।कुछ देर में धृति ने फिर मैडम को आवाज़ दी,मैडम समझ गईं की शायद उसे ट्रेनिंग कैंपस निकलना है,मैडम ही रोज़ उसे अपने साथ ले जाती थीं।मैडम ने सरदर्द का बहाना किया और धृति को गाड़ी से जाने को कहा,वो कहने लगीं की आज ऑफिस थोड़ी लेट जाएंगी तुम निकल जाओ,ड्राइवर धृति को छोड़ कर वापिस आ गया,और मनीषा भी ऑफिस निकल गई तैयार होकर।

मैडम को अब सोचने के लिए एकांत मिल गया,पर रह रह कर ऋषि,जो उनकी आखिरी उम्मीद था,उन्हे याद आने लगा,और अब ये एल्विस,जो शायद कोई जाल हो।आखिर मन मार कर मैडम ने कार्ड पर लिखा नंबर मिलाया।नंबर पर रिंग हुई।पर फोन काट दिया गया,मैडम ने रीडायल किया ।फोन नंबर अब बन्द आने लगा।मैडम ने एक मेसेज उसी नंबर पर सैंड किया,ताकि जब कभी वो नंबर चालू हो, मैसेज की डिलीवर रिपोर्ट से उन्हे पता लग जाए,और तैयार होने लगी,उन्हे कलियां से मिलने हॉस्पिटल जाना है।कुछ देर में वो तैयार होकर कलियां को देखने निकल पड़ी।


स्थान- डॉक्टर सडाना क्लीनिक।

कलियां को आज जनरल वार्ड में शिफ्ट हुआ देख मैडम ,भी खुश हुईं,आखिर अाई सी यू से वो बाहर आ चुकी है,उसकी सुधरती स्थिति उसके जीवन की मधुर सुगंध को बिखेरने वाली धुरी है,जो भवानी और मैडम के इर्द गिर्द ही सिमट जाती है,आखिर बहादुर कलियां पूरे जी जान से हत्यारे से भिड़ गई,और एक कलियां ही थी जिसे कातिल भी अधूरा मार कर भाग खड़ा हुआ।

मैडम ने डॉक्टर से कलियां की प्रोग्रेस पूछी और कुछ देर भवानी संग कलियां से बात की, कलियां अब काफी बात कर पा रही है।डॉक्टर ने कहा बस दो या एक दिन में कलियां को छुट्टी मिल सकती है,घाव भी काफी हद तक भर चुके हैं।

"थैंक यू,डॉक्टर।"मैडम ने अपने निजी घावों को छुपा कर कहा,उनकी जिंदगी ने भी कुछ घाव उन्हे दे रखे हैं,जो शायद डाक्टरी दवाई नहीं भर सकती है।

मैडम कुछ देर बाद वहां से निकल आईं,आज उन्हे ऑफिस नहीं जाना,शाम को वापस आने का उन्होंने भवानी को कहा,और सीधे फाइव मून चौराहा आ गईं,उन्हे ऋषि की मौत ने तोड़ सा दिया,उसके संग बिताए लम्हे उनके लिए जिंदगी का डोज थे,वहीं उन्हे चाहिए था,पर आज अकेले ही वो उस फैमिली रेस्त्रां में चली आईं,पर ऋषि कहां मिलना था,ये उनका भी मन बखूबी जानता था।


स्थान - फैमिली रेस्तरां (फाइव मून चौराहा)

मैडम रेस्त्रां के भीतर एक टेबल पर बैठ गईं,और एक कोल्ड कॉफी ऑर्डर की,ऋषि को कोल्ड कॉफी बहुत पसंद थी।और प्रेम की मधुर अनुभूति में डूब गईं,सहसा उनकी नजर अपने मोबाइल पर गई।शायद हॉस्पिटल के रश (भीड़ भाड़) में वो देखना भूल गईं,की एल्विस के नंबर पर छोड़ा मैसेज डिलीवर हो गया है ,और रिप्लाई में कुछ और भी मैसेज आए हैं।मैडम ने फटाफट इनबॉक्स ओपन किया, एल्विस के नंबर से कुछ मैसेज उसमे थे।

मैसेज- मुझे बार के पीछे वाली सड़क के बाद बने एलिजा टॉवर्स पर ब्लॉक नंबर सेवन में मिलो। नीचे एल्विस लिखा हुआ था।

फिर एक मेसेज था,

"क्या हुआ?" फिर नीचे एल्विस लिखा हुआ था।

एक और मैसेज था,

" मैंआज रात में 8 बजे तुम्हारा इंतज़ार करूंगा।"

एल्विस-

मैडम को इस अनजान शक्स से ना जाने क्यों अजीब सा महसूस हुआ,क्योंकि जिस जगह का पता है,वो लगभग बीस किलोमीटर दूर थी,और जिस बार का जिक्र उसमे था,वो एक लंबे समय से बन्द था,लेकिन एलिजा टॉवर्स ब्लॉक नंबर सेवन अभी भी उनकी आंखों में चल रहा था।

वेटर कॉफी ले आया,मैडम वो पीने लगीं।अचानक उन्हे पता नहीं क्या हुआ,उन्होंने फिर से एल्विस का नंबर सर्च किया और एक मेसेज किया।

"ओके ,आई विल कम।"

मैडम अब और नहीं भागना चाहती थीं,क्यूंकि यदि ये वाकई मनीषा का ही बिछाया जाल है तो आज उसका भी खेल ख़त्म होगा,उन्होंने अपने पर्स से अपनी पिस्टल को एक बार चेक किया ,जो फुल भरी हुई है,और एल्विस से मिलने के लिए आज रात का सोचने लगीं,लेकिन यादें फिर ऋषि को खींच लाईं,वो कहते हैं सच्चा प्रेम और प्रेमी असर छोड़ जाते हैं,और दिल को बहुत याद आते हैं,पर दिल की जबान के अल्फ़ाज़ नहीं होते बस भाव होते हैं,मैडम का भी यही हाल है।

पर क्या वाकई एल्विस है?मैडम को पता नहीं क्यों एक शक है।और वो कुछ पूरा पुख्ता करना चाहती हैं।उन्होंने धृति को फोन किया,और घर पहुंच कर जब भी मनीषा घर आए,तो वो उन्हे इनफॉर्म करे,ऐसा कहा।देखते देखते शाम के छह बज गए,धृति का फोन नहीं आया ।अचानक एक मेसेज आया,

"तुम आओगी ना?आज रात।"

एल्विस -

मैडम ने तुरंत धृति को कॉल किया,क्या मनीषा आ गई है,धृति मैडम को इनफॉर्म करना भूल गई थी,पर मनीषा घर पहुंच गई थी।मैडम अब आश्वस्त होकर रेस्त्रां से एलिजा टावर्स की तरफ चल पड़ीं,आखिर मनीषा अगर घर पर है तो एल्विस मनीषा नहीं हो सकती,लेकिन फिर एल्विस कौन होगा,ये राज़ मैडम को सुलझाना है।बीस किलोमीटर कोई बड़ी दूरी नहीं थी,लेकिन बार के बाद सड़क इतनी संकरी सी थीं कि मर्सडीज जैसी बड़ी गाड़ी आगे नहीं जा सकती थी,ड्राइवर ने मैडम को गाड़ी आगे नहीं जा सकती कहा।मैडम ने ड्राइवर को गाड़ी के पास इंतज़ार करने का कहा और पैदल चलने लगीं।

अब मैडम के सामने एक यक्ष प्रश्न था,अगर मनीषा के जाल में वो भी फंस गईं,तो?

उन्होंने एक बार फिर से धृति का नंबर मिलाया,और मनीषा कहां है पूछा,वो न्यूज देख रही है धृति ने कहा,पर तुम हर बार उसके बारे में इंक्वायरी क्यों कर रही हो,धृति की बात सुनकर मैडम ने बाद में बताती हूं कहकर फोन काट दिया।बार से अंदर कुछ गलियों को पार करके दूसरी तरफ एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग दिखी,यही एलिजा टॉवर्स थी।मनीषा की तरफ से मैडम अब निश्चिंत थीं,पर सतर्क जरूर थीं।

अपने मोबाइल से उन्होंने एक मेसेज किया " मैं पहुंच गई।"

कुछ देर में एक मेसेज आया।

"ब्लॉक नंबर सेवन।"

एल्विस -

मैडम ने पर्स से पिस्टल को अपने लिबास में छुपा लिया और बिल्डिंग में दाखिल हुई। ब्लॉक नंबर सेवन।

एक जगह लिखा हुआ है,मैडम आगे बढ़ीं पर पूर्ण सतर्क।दरवाज़ा खुला हुआ है,अंदर एक गैलरी बड़े कमरे तक ले आई,मैडम ने अंदर पहुंच कर एल्विस!!!

हैलो !! एल्विस!!

पुकारा।

कोई जवाब नहीं आया।कुछ देर में कमरे की लाइट चली गई।मैडम घबरा गईं,उन्होंने खुद को सम्हाला,पिस्तौल हाथों में लेके जमीन पर बैठ गईं,किसी के चलने की आवाज़ हुई।क़दम गैलरी के तरफ आ रहे हैं,जो बस कुछ सेकंड्स में उसी कमरे में आने वाले हैं,जहां मैडम छिपी हैं,दरवाज़ा बन्द होने की आवाज़ भी आई थी।अचानक वो जूतों की आवाज़ें उसी कमरे तक पहुंच गईं,की तभी लाइट आ गई।मैडम गोली चलाने वाली थीं कि ठिठक गईं,

सामने डिटेक्टिव ऋषि खड़े थे।

"ओह !! माइ गॉड!!!"

मैडम ने पिस्तौल लॉक करके वापस पर्स में रखी,और पास में पड़े सोफे पर बैठ गईं।अगर लाइट सही समय ना आती तो मुझसे ना जाने क्या अनर्थ हो चुका होता,ऋषि तुम ज़िंदा हो?तो वो टाइम्स की खबर की फ्लिकडेटेक्टिव एजेंसी के मोस्ट ब्रिलियंट डिटेक्टिव ऋषि का खून?"

"वो मैंने जानबूझकर छपवाई थी,ताकि किलर को थोड़ा मौका मिले और वो कोई गलती करे।"टाइम्स के ब्यूरो चीफ मेरी एजेंसी के पुराने कस्टमर हैं,उनके कई ऑफिस केस हमारी एजेंसी सम्हाल रही है।"

मैडम ऋषि के करीब जाकर बैठ गईं।उन्हे ऐसा लगा जैसे उनके रोते हृदय की पीड़ा को स्वयं ईश्वर ने सुन लिया है,जिस प्रकार सावित्री सत्यवान को काल से छीन कर ले आई थीं,मैडम को ऋषि मिल गया,प्रेम की प्रत्यंचा पर तीर सही जगह लगा था,ऋषि की तरह मैडम को भी ऋषि से प्रेम है,जो कली कहीं मुरझा कर सूख गई,वो पल्लवित होकर फिर खिल उठी।

"लेकिन एल्विस?"मैडम ने ऋषि से पूछा?

"एल्विस मेरा कोड नेम है जो हर एक डिटेक्टिव को फ्लिक से मिलता है,"

"और आई लव यू ?"

"वो मेरा सच है ,पापोरी"

मैडम को मस्ती सूझी,वो बोलीं "मुझे सोचने के लिए कुछ टाइम चाहिए,लेकिन तुमने कुछ तफ्तीश की,बुलेट्स आदि की,कुछ मिला तुम्हें?"

अपने प्रेम को अधूरा हुआ देख ऋषि शायद खामोश खड़ा सोच रहा है।मैडम बोलीं ठीक है,ठीक है,जो भी हो मुझे बताना ऋषि,नहीं नहीं ,एल्विस,और वापस जाने लगीं।

उनको जाता देख ऋषि का दिल भर गया,वो बोला "इस से अच्छी तो वो खबर थीं ना पापोरी"मैडम दरवाज़े से बाहर ही जाने वालीं थीं कि अचानक ऋषि के शब्दों ने उन्हे स्तब्ध और मायूस कर दिया,वो दौड़ कर वापस लौटीं,और ऋषि से लिपट गईं,खबरदार जो दोबारा ऐसा कहा, मैं तुम्हें गोली मार दूंगी उनके हाथों में पिस्टल थी।

ऋषि और पापोरी प्रेम के मनोरम दीपक की तरह रोशन फिर चमकने लगे,प्रेम लौ की जो बाती मैडम के भीतर घुटी जा रही थी ,वो जी उठी कहीं।शायद डिटेक्टिव का प्रेम प्रस्ताव भी रहस्यमय था,जो पापोरी को छू गया।

एल्विस का रहस्य पापोरी ताउम्र नहीं भूलेगी,पर असली खूनी असली खेल खेलेगा, कहीं ना कहीं ये बात, ऋषि और मैडम दोनों जानते हैं।

 क्रमशः(शेष अगले भाग में)**


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