Ved Shukla

Thriller

4  

Ved Shukla

Thriller

किनारा भाग ६

किनारा भाग ६

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Recap - पिछले भाग में आपने पढ़ा कि पुलिस की खोजबीन में मर्डर से पहले पार्टी में एमडी मैडम के होने के सीसीटीवी फुटेज बरामद हुए तथा मारने वाले ने प्रिया की लाइसेंसी पिस्तौल चोरी की थी उधर दूसरी ओर किचन में काम करती कलियां पर हमला होता है, कलियां बहुत घायल अवस्था में एमडी मैडम को सूचना देती है,मैडम तुरंत पहुंच कर कलियां को चिकित्सक के पास ले जाती हैं,कलियां बेहोश थी,कातिल अधूरा कत्ल करके फरार हो जाता है,कलियां होश में आकर शायद कुछ बता सकती?

अब आगे -

मनीषा ,मैडम और धृति तीनों डरी सहमी कलियां के होश में आने का इंतज़ार कर रही हैं,भवानी बहुत ज्यादा घबरा गया था,इंस्पेक्टर त्रिपाठी बार बार उसे समझा रहे थे,की हौसला रखो,कातिल की हिम्मत देखते हुए,दो कॉन्स्टेबल मैडम के बंगले पर सुरक्षा में तुरंत लगाए गए, एफएसएल टीम ने किचन की पूरी पड़ताल की।लेकिन अधूरा कत्ल ,और अधूरी प्यास ,कातिल को फिर खींच सकती है,घबराई सूरतों में खौफ स्पष्ट सा दिखने लगा,फिर अगर घरमें हमला हुआ तो जरूर कुछ ऐसा भी होगा जिसकी तलाश में खूनी है,लेकिन इन सब सवालों की संभावित जबाव कलियां,खुद जिंदगी की आखिरी सांसें बड़ी कठिनाई में ले रही है।

मनीषा अब घटनाओं को बारीकी से ले रही है,आगे संभावना है कि हत्यारा उस तक पहुंचे,क्यूंकि जिस तरीके से हमले और हत्याएं हुईं , उनका संबंध कहीं कहीं ना कहीं किसी तलाश में है,लेकिन कातिल को क्या चाहिए था,जो वो दो मौतों के बाद भी ढूंढ रहा है, मैडम अपने घर नहीं जाना चाहती अब,उनको खतरा अभी भी दिख रहा है।त्रिपाठी मैडम को सुरक्षा का पूरा भरोसा दिलाए जा रहे हैं लेकिन कलियां का हश्र देखकर उनकी रूह कांप गई।वो दहशत में हैं।

खैर जो भी था ,पर सबको अब भगवान से आशा थी ,एक वहीं है जो चमत्कार कर सकता है,इंसान तो उसका निमित्त रूप कठपुतली जैसा नाच बस सकता है, कलियां की जिंदगी बचाने के लिए सभी प्रार्थनाएं कर रहे हैं।ईश्वर ने आखिरकार पुकार सुनी , कलियां की हालत स्थिर होने लगी।

डिटेक्टिव ऋषि मैडम से मिलना चाहते थे ,मैडम इंस्पेक्टर त्रिपाठी और मनीषा को किसी जरूरी काम का कहकर ,धृति को वहीं छोड़ ऋषि से मिलने चली गईं।


स्थान- फाइव मून चौराहा(एक फैमिली रेस्तरा)

डिटेक्टिव ऋषि पहले से वहां एक टेबल पर बैठे हुए थे,मैडम को आया देख वो और सुदृढ़ होकर बैठ गए,मैडम उनके सामने बैठ गईं।"मैडम बहुत परेशान थीं,और ऋषि बहुत रिलैक्स ,शायद जासूसी का पेशा ऐसा ही आशा रखता है।

पापोरी-" मुझे एकदम से यहां आने को क्यों कहा?मैडम ने कल वाली घटना से भी डिटेक्टिव ऋषि को अवगत करा दिया।"

ऋषि -"शायद आप घबराई हुई हैं मैडम! ऋषि ने मैडम को एक हल्की सांत्वना देने की कोशिश की,जो शायद इन हालातो में एक संजीवनी बूटी की तरह थी।लेकिन मैडम वापस हॉस्पिटल जल्दी जाना चाहती थीं,इसलिए ऋषि ने आगे कहना शुरू किया,

ऋषि - "मैंने आज पड़ताल की,कुछ जरूरी सबूत मेरे हाथ लगे,पर अधूरे सबूत शक पैदा करते हैं,जो शायद अच्छा नहीं ।"

मैडम -" कैसे सबूत? कैसी पड़ताल,कुछ विस्तार से कहो ऋषि,वैसे भी जिंदगी एक पहेली खुद बुझा रही है।"

मैडम जरा भावुक हो उठीं,क्या करती मजबूर भी थी कहीं।

ऋषि- "गौतम फ्रेंडस वैली में एक लड़की काम करती है,शर्लिन,वो साफ़ सफाई और रख रखाव का काम वहां देखती है,उसके कहे अनुसार मनीषा कत्ल वाली रात ,कत्ल से कुछ देर पहले प्रिया के कमरे से बाहर आती दिखी थी,और फिर कुछ देर बाद प्रिया का खून हो गया,शर्लिन ने एक बैग भी उसके हाथ में देखा था, छोटा सा यलो हैंड बैग।"

ऋषि ने फिर बोलना जारी रखा,"मुझे पूरा यकीन है ,की कातिल वहीं होगी,क्यूंकि जिस सेम कॉम में उसे डायरेक्ट फायदा हुआ ,उसके लिए वजह प्रिया के मर्डर से पैदा हुई।ऋषि की बात सुनकर मैडम का दिमाग घूम गया तभी उनके फोन पर घंटी हुई।फोन धृति ने किया था।

मैडम - हैलो !! हां धृति क्या बात है?

धृति -"पापोरी , कलियां को होश आ चुका है, सर्जन और इंस्पेक्टर त्रिपाठी की उससे बात हुई,उसकी हालत में सुधार ज्यादा तो नहीं हुआ पर उसके ऊपर हमला करने वाली एक लड़की थी, लड़ते वक्त हाथों और शरीर की बनावट को उसने पहचान लिया था,शायद कजली भी सही थी, मैडम,धृति ने बात पूरी की।"

मैडम- ", कलियां होश में आ गई,मैडम के दिमाग में उठरहा ज्वार भाटा कैसे भी करके उन्होंने सम्हाल लिया,पर ऋषि की बताई बातों से,और सबसे ज्यादा कजली पर तंज कस रही मनीषा से उन्हें शायद हमदर्दी नहीं रह गई।" मैडम का चेतन मन दबे पांव अवचेतन में कातिल बन चुकी मनीषा का अब एक पल भी ऐतबार नहीं कर सकता।

मैडम - "ओके धृति, मैं कुछ देर में में हॉस्पिटल पहुंचती हूं, यू मस्ट टेक केयर!" और मैडम ने फोन काट दिया।

फोन पर हो रही बातें डिटेक्टिव ऋषि बहुत गौर से सुन रहे थे,अब सब साफ़ होने को है।लेकिन मनीषा ने ऐसा क्युं किया वजह भी शायद ज्यादा साफ़ हो गई,कंपनी में वहीं कद मैडम को भी मिल सकता था,पर प्रिया कहीं ज्यादा आगे निकल गई,और अगर मनीषा को ये गेम जीतना था,तो मैडम से पहले उनके रसूख की जड़ों को काटकर ख़तम किया जा सकता है,शायद मनीषा का मासूम चेहरा एक रक्तरंजित कातिल का लिबास ओढ़े है,जो मैडम की आंखें रह रह कर गिरा रहीं हैं।वेटर दो कोल्ड कॉफी लेकर आया।मैडम और ऋषि कॉफ़ी पीने लगे।अब आगे क्या करना ठीक रहेगा, मैडम ऋषि से मदद मांग रही हैं।

शायद अब आपको एक गेम खेलना पड़ेगा,लेकिन बहुत सावधानी के साथ, क्यूंकि यह बात की प्रिया की हत्या से थोड़ी पहले मनीषा उसके रूम से निकलती दिखी,काफी नहीं उसे जेल पहुंचाने के लिए,पर कलियां ने कुछ पुख्ता कर दिया,आप रात कहां बिताने वाली हैं,ऋषि ने मैडम से पूछा?

मैडम पहले तो अपने बंगले नहीं जाना चाहती थीं,और मनीषा के घर रुकने वाली थीं पर ऋषि की बताई बातों से उनका आत्मबल इतना घट गया कि वो मनीषा से बचने का सोच रहीं थीं,लेकिन एक जासूस बहुत दूर तक सोचता है,ऋषि की नज़रें कुछ प्लान कर चुकी थीं,पर एक खतरा भी है और वो जान का जाने का है।

ऋषि ने पापोरी को अपनी स्कीम बताई,उसके प्लान मुताबिक आखिर कुछ तो है जिसे हत्यारा भी खोज रहा है,और यदि वाकई हत्याओं में मनीषा की लिप्तता है,तो सुराग हासिल करने के लिए,मैडम को मनीषा के बंगले की तलाशी लेनी पड़ेगी,जो उनके वहां रुकने पर संभव हो सकती है,शायद कुछ सबूत भी मिलें जो ऋषि के इन्वेस्टिगेशन में मददगार साबित हों।

पापोरी में ऋषि की बातों ने कुछ हिम्मत भले पैदा की ,और उसका सोचना भी सही था,पर मैडम के दिमाग में कुछ कौंधा,उन्होंने ने ऋषि के प्लान में अपनी सहमति दे दी,पापोरी एक बेहद निडर लड़की थी,जो अब कातिल को मौका नहीं देना चाहती थी कि पीठ पर वार हो,अब चुनौती का चुनाव कातिल को करना है, सीना आगे बढ़ाकर वो खुद तैयार आगे बढ़ने वाली है। मैडम ने वहीं से इंस्पेक्टर त्रिपाठी को फोन किया,और उनके बंगले पर लगाए गए दोनों कॉन्स्टेबल मनीषा के हनुमानगंज वाले बंगले पर भेजने का आग्रह किया,इंस्पेक्टर ने सुरक्षा उपलब्ध कराने का पूर्ण प्रबंध कर दिया,मैडम का दिमाग अब आश्वस्त था।और ऋषि ने अमेजिंग !! कहकर उनकी तारीफ की।

"अब शायद कातिल को तकलीफ़ बहुत हो!" मैडम ने ऋषि की आंखों में गौर से देखकर तंज कसा।

"आमीन!!" कहकरऋषि मुस्कुराया।मैडम वापस उसी हॉस्पिटल की तरफ वापस लौटीं जहां कलियां और सभी लोग थे।बस इस बार मैडम पूरी सतर्क थीं।


स्थान - डॉक्टर सडाना क्लीनिक।

मैडम डॉक्टर से कलियां के स्वास्थ्य की पूछताछ करने लगीं,दबी नज़रें तो कहीं और गड़ चुकीं थीं,मनीषा को एकटक देखे जा रहीं मैडम ,शायद ऋषि से एक मुलाकात में आधी डिटेक्टिव बन गई थीं,धृति भूखी थी,और रात हो चुकी थी,मैडम ने धृति को हॉस्पिटल कैंटीन से कुछ खा लेने को कहा ,धृति खाने चली गई,और लौटते में थोड़ा सा खाना भवानी के लिए भी लेकर अाई जो उसने नहीं खाया।

रात के 9 बज चुके थे,मनीषा और मैडम ,एक मानसिक युद्ध अपने आगाज़ से पहले किसी भी मौके को जाया नहीं करना चाहता,मैडम ने मजाकिया अंदाज़ में बड़ी सफाई से मनीषा को बातों में लिया,और ऐसे दिखाया की उन्हे उसके बारे में कुछ भी नहीं पता।डॉक्टर सडाना ने कुछ और जांचे की, कलियां को अभी छुट्टी नहीं दी जा सकती,डॉक्टर साहब ने बताया।शायद कल ही छुट्टी मिल सके,और उसे घर शिफ्ट किया जा सके, क्युकी हॉस्पिटल के माहौल में हमला आसान होता है,लेकिन पुलिस सतर्क थीं,इंस्पेक्टर त्रिपाठी ने कलियां के रूम के बाहर पुलिस की एक टुकड़ी लगा दी,उनमें दो कॉन्स्टेबल सादी वर्दी में एक वर्दी में था।दो कॉन्स्टेबल मनीषा के बंगले पर शिफ्ट किए गए।उनके नाम भोलेराम और श्यामकुंवर थे।दोनों जवान थे और नए नए रिक्रूट हुए थे।और लाठियों से लैस थे।

इंस्पेक्टर त्रिपाठी भी पूर्ण सजग थे और मैडम तो ऋषि वाले प्लान को पूरा करने में जान जोखिम में डाल रही थीं,आखिर सबूत भी तो चाहिए था,जो रंगे हांथों कातिल पकड़वा सके,और आखिर वो यलो बैग जिसकी उन्हे तलाश थीं ये सब बिना मनीषा के संग रात बिताए संभव नहीं था,मैडम ने मनीषा को पूछा क्या उसके घर चलें वैसे भी यहां कलियां आज रात सेफ है,पुलिस है और भवानी भी यहीं रहेगा,में थोड़ा डरी हुईं हूं ,घर नहीं जाना चाहती,तो क्या:?अरे !बिल्कुल यार!ये भी कहने की बात थी,मनीषा ने मैडम को यस कहा।मैडम भीतर से गदगद थीं,की मनीषा उनके झूठे डर के अभिनय में फंस चुकी है।

धृति में नींद उतरने लगी थी वो जम्हाई लेने लगी,मैडम ,मनीषा और धृति,तीनों मनीषा के बंगले की तरफ निकल पड़े,इंस्पेक्टर त्रिपाठी,ट्रैफिक सिग्नल तक आधे रास्ते उन लोगो के साथ रहे और आधी दूरी के बाद वो भी स्टेशन वापिस चले गए।


समय लगभग ११बजने वाले थे।

स्थान - मनीषा का बंगला।

बंगले पर तैनात पुलिस कॉन्स्टेबल ने उन तीनों को भीतर जाने से रोक लिया,मनीषा ने कहा ये मेरा बंगला है,पर फिर भी वो सुनने को तैयार नहीं था,मनीषा ने इंस्पेक्टर त्रिपाठी को फोन घुमाया,इंस्पेक्टर त्रिपाठी से बात करके ,जब वो पुख्ता हो चुका था ,तभी उसने उन तीनों को अंदर आने दिया।उसका नाम श्याम कुंवर था।दूसरा कॉन्स्टेबल शांत खड़ा था। दोनों फिर से ड्यूटी देने लगे।


स्थान - मनीषा के घर के भीतर।

आखिर सब भीतर आ गए,धृति तो खाना खा चुकी थी,पर मनीषा और मैडम ने खाना नहीं खाया था,सुबह के खाने को गरम करके खाना ही संभव था,क्युकी मैडम के बंगले की तरह कलियां मनीषा के घर नहीं थी,या फिर कुछ बनाया जा सकता था।मनीषा कुकिंग की शौकीन थी,उसने फटाफट पापोरी और अपने लिए खाना तैयार किया,मनीषा ने धृति को ऊपर की मंजिल पर दहिने तरफ एक कमरे में सोने को कहा ,क्यूंकि नींद का हिन्द महासागर उसकी आंखों में हिलोरें लिए जा रहा था,पर मैडम को अपने साथ साथ धृति की भी चिंता थी,उन्होंने बहाने से उसे अपने साथ रोक लिया ऊपर नहीं जाने दिया,मैडम कहने लगीं सब साथ में सोएंगे कुछ देर यही बैठ जाओ,धृति भी मान गई।एक पैरनॉइड की तरह खुद पापोरी सोचने को विवश है,पागल इंसान कुछ भी कर सकता है,उसे ऋषि की बातें याद आईं,खाना खाते खाते वो फिर चौकन्नी हो गई।

मनीषा के घर में एक बहुत बड़ा गार्डन था,वो खाना ख़त्म करके बाहर टहलने चली गई।मैडम को एक मौका मिल गाया,उन्होंने जल्दी से अपने सामान में अपने पर्स को निकला,और अपनी पिस्टल को लोड करके सोने वाले कमरे की तकिए के नीचे रख लिया,एक पागल से कोई उम्मीद उन्हे भी नहीं थी,बस मनीषा के सोने का इंतज़ार था,मैडम ने मनीषा के कमरे में जाकर उसकी पिस्टल ढूंढ़ना आरंभ किया जो नहीं मिल सकी,क्युकी मनीषा के पास भी पिस्टल थी।एक पागल लड़की से खतरा तो था,पर मैडम कदम फूंक फूंक कर रख रहीं हैं।मनीषा टहल कर वापस आ गई।

रात के 12 बज चुके थे,मैडम ने सोने की नाटकीय इच्छा को पूर्ण बल से पूर्णता प्रदान करके ऐसा अभिनय किया की मनीषा को विश्वास हो जाए कि वो एक बार सोई तो सीधे सुबह ही उठेंगी,और ऐसा हो भी गया।ऋषि की संगत का उन पर भी असर हुआ,उनके भीतर का जासूस कुचाले मारे जा रहा है।

बैठे बैठे धृति कब सो गई खुद उसे भी नहीं पता,मैडम उसे जगाने लगीं,"धृति!!!धृति!!"

आंख मलती धृति और मैडम दोनों को मनीषा ऊपर वाले बेडरूम में छोड़ कर उसी से बगल में लगे हुए अपने कमरे में चली गई।

कमरे में धृति बमुश्किल दस मिनट जागी और घोड़े बेंच कर सो गई ,मैडम ने पिस्टल फिर से चेक की जो तकिए के नीचे ही थी।कुछ देर से मनीषा के रूम की लाइट भी बन्द हो गई।शायद वो सो गई पर उसने दरवाज़े खुले छोड़ दिए थे,मैडम का हृदय अब बहुत जोर से धड़क रहा है,रात अभी पूरी बाकी थी,और मन एक ऐसे झंझावात में सिसक रहा है जो मौत भी हो सकती है,पर अभी पड़ताल शुरू होना थी,मैडम अब आर या पार के मूड में थीं,पर कुछ देर रुक कर ही तलाशी लेना सही है, क्युकी मनीषा पर विश्वास करना उनके विश्वास में नहीं आ रहा था एक पैरनॉइड कुछ भी कर सकता है,लेकिन एक पैरनॉइड खुद जाल बनाकर नहीं फंसता,ये बात ऋषि जैसे जासूस जानते हैं,आखिर मनीषा यलो बैग के साथ प्रिया के रूम से निकली थी और फिर उसकी लाश मिली,रस्तोगी के खून में बरेटा बोर,और कातिल लड़की का कलियां पर हमला।और आज मनीषा के घर पापोरी,सच को साबित करना टेढ़ी खीर जरूर है पर असंभव नहीं ।


लगभग एक घंटे बाद -

मैडम ने ने बेसुध सो रही धृति को अच्छे से बिस्तर पर लिटा दिया,और तकिए के नीचे से पिस्टल निकल कर ,अपने गाउन में छुपा ली,और टहलने के लिए बाहर आ गईं,एक बार चुपके से मनीषा के रूम तक झांका,मैडम अब आश्वस्त हो गईं की मनीषा सो गई है।

मैडम बड़ी सावधानी से नीचे की तरफ आईं,नीचे उतरकर वो एक एक कर सभी कमरे की तलाशी लेने लगीं,उन्हे वो यलो बैग नहीं मिला,एक पर्स जरूर मिला पर वो व्हाइट कलर का था,मैडम को कोई सबूत भी नहीं मिले जो मनीषा ही कातिल है,साबित कर रहे हों,लेकिन आखिरी में मैडम की किस्मत काम कर गई वो यलो बैग एक अलमारी में उन्हें मिल गया,उन्होंने बड़ी सावधानी से उसे खोला,मैडम दंग रह गईं उस बैग में पिस्टल और एलएसडी थी,मैडम की आंखें फैल गईं,मैडम ने जल्दी से मैगज़ीन चेक की वो खाली थी।उनकी जान में जान आई,जल्दी जल्दी उन्होंने बैग गाउन में छुपाया और बाहर की तरफ आकर फिर से बेडरूम की तरफ चल पड़ीं,इसी बीच उनकी नजर गार्डन पर गई।और सामने देखकर उनका कलेजा फट गया

सामने मनीषा गार्डन की बेंच पर बैठी हुई दिखी।

क्रमश*(शेष अगले अंक में)


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