Latika Batra

Inspirational Others

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किलकारी

किलकारी

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(नेहा अपनी मम्मी को वीडियो कॉल लगाती है )


नेहा ..".मॉम "


मां..." क्या बात है बिट्टू, रो क्यों रही हो ?"


नेहा..." मॉम, इस बार फिर से वही हुआ। बताओ मैं क्या करूं ? "

(फूट-फूट कर रोती है)


 मां ..." देखो बच्चा  ऐसे रोते नहीं हैं। दिल छोटा मत करो। देखन , आज नहीं तो कल, सब ठीक हो जाएगा और फिर तुम यह मुश्किलों भरे दिन चुटकियों में भूल जाओगी ।"


 नेहा ..." मॉम , पाँच साल ....तुम समझ सकती हो ना कितना लंबा समय होता है पाँच साल। हर बार आशा की किरण जागती है और फिर वही घनघोर अंधेरा छा जाता है ।" 


मां ..".मेरी जान, यूं निराशा भरी बातें करके खुद को तकलीफ नहीं देते। आजकल तो टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो गई है।"


 नेहा ..." आपकी एडवांस टेक्नोलॉजी भी तो काम नहीं कर रही मॉम। डॉक्टर कहते हैं एंडोमेट्रियोसिस की वजह से सक्सेस नहीं मिल रही, तभी बार-बार आईवीएफ भी फेल हो रहा ह " 


मां ..." कुछ तो हल होगा बेटा। किसी और अच्छे डॉक्टर से सलाह करके देखो ।" 


नेहा...." सलाह जो देते हैं ना डॉक्टर, मॉम, उसे सुनकर तो आप ही सबसे पहले हिल जाओगे ।वह कहते हैं यूटरस ट्रांसप्लांट करवा सकते हैं या पता नहीं कोई स्टेम सेल की बारे में बता रहे थे। पता है कितना रिस्की है यह सब। आलोक तो कभी नहीं मानेंगे । वह कहते हैं बच्चा चाहिए ही क्यों। हम दोनों है ना एक दूसरे के लिए ।"


(रोती है )


मां ...." बच्चे के बिना, बेटा, कितना सूना लगता है जीवन मैं समझ सकती हूं। " ( आस भरती है । फिर कहती है ) नेहा, पारुल दीदी का फोन आ रहा है बीच में। " 


 नेहा ..." अच्छा , कॉन्फ्रेंस पर ले लो मॉम, दीदी को। मैं तो अपनी ही उलझनों में उलझी रही। उनसे बात ही नहीं हो पाई कितने दिन हो गए।"


( मां पारुल को जोड़ती है )


पारुल ..." अरे वाह , आज तो मेरी किस्मत खुल गई मौसी , आप के साथ-साथ नेहा से भी बात हो जाएगी ।" 


नेहा ..." हैलो दी ' कैसी हो आप ।"


पारुल ...." मैं ठीक हूं बहना, पर तू इतनी उदास क्यों लग रही है । आंखें देख अपनी कैसे सूजी हुई है ।रो रही थी क्या ?


मां ...." पारुल क्या बताएं बेटा, जब मन ही अच्छा ना हो तो चेहरा भी तो ऐसा सा हो जाता है ।"


नेहा ...." दी ' बार-बार वही सब डॉक्टरों के चक्कर, ट्रीटमेंट और अंत में रिजल्ट जीरो। मन और तन दोनों ही टूट गए हैं अब तो ।" (रोती है )


पारूल ...." ना ना मेरी सोना , मन छोटा नहीं करते देखना जल्दी ही तुम्हारी आज पूरी होगी मेरा मन कहता है। ( फिर कुछ सोच कर ) अच्छा सुन तुम लोगों ने सरोगेसी के बारे में नहीं सोचा। मैंने तो बहुत सुना है सरोगेसी के बारे में। क्या प्रोसीजर होता है इस में ?" 


 नेहा ...( एक उदास दर्द भरी हंसी हंस कर ) दी' असल में आईवीएफ के जरिए बच्चा चाहने वाली मां के ऐग और पिता के स्पर्म को मैच करवा कर एम्ब्रियो डवेलप किया जाता है। जिसे सेरोगेट के यूट्रस में ट्रांसप्लांट करवाया जाता है। पर क्या बताऊं आपको कमर्शियल सरोगेसी तो अब करवा नहीं सकते जब वक्त खराब होना तो कोई चीज काम नहीं आती ।" 


पारुल..." ऐसा क्यों कह रही है नेहा ।"


नेहा ..." अरे दी' दुनिया भर के कपल्स ने किराए की औरतों को पैसे देकर सरोगेसी से बच्चे पैदा करवाए हमारी बारी आई तो सरकार ने नियम कानून ही बदल दिए।" 


 पारुल ..." अच्छा !" 


 नेहा..." हां दी' अब नए कानूनों के मुताबिक अपने परिवार की या रक्त संबंधी कोई महिला की सरोगेट मदर हो सकती है। और तुम तो जानती ही हो मेरे ससुराल में आलोक के ना तो कोई भाई बहन है ना ही कोई ऐसे रिश्तेदार जो ये काम कर सके , और मायके में भी मां और तुम्हारे सिवा और है ही कौन। " 


 ( पारुल कुछ सोच में डूब जाती है)


मां..."  काश मैं ही तेरे लिए कुछ कर सकती तुझे भी तो जना था अपनी कोख से तेरे बच्चे को भी रख सकती थी नौ महीने कोख में। " 


 नेहा..." कैसी बातें करती हो मां। वैसे भी कानून के मुताबिक यंग लड़की ही कर सकती है यह का , जो लगभग तीस से पैंतीस साल उम्र की हो और वह भी जिसने पहले कम से कम एक बच्चा पैदा किया हो।" 


 पारुल..." नेहा मैं तो यंग भी हूं और एक बच्चे की मां भी। मेरे बारे में क्या ख्याल है तुम्हारा?"


 मां ..." यह क्या कह रही है पारुल तू ?"


पारुल ...." ठीक कह रही हूं मौसी।" 


 नेहा .."दी' आपको पता भी है कि आप क्या कह रही हो।"


 पारुल ....." मौसी, एक बात बताओ, जब कार एक्सीडेंट में मेरी मां और पापा की डेथ हुई तो आप ही थी ना जिन्होंने मुझे संभाला था । मैं तो कुल तैरह साल की बच्ची थी तब ।आपने मां बनकर मुझे संभाला , पढ़ाई पूरी करवाई , शादी करवाई अब यदि मैं कुछ करना चाहूं तो हर्ज क्या है ।" 


मां..." हर्ज और फर्ज की बात करती है पगली , मैंने जो किया वह ना तो कोई एहसान था और ना ही मैंने कभी तुझे नेहा से अलग समझा। तू और नेहा दोनों मेरे जिगर के टुकडे हो , पर जो तू करने को कह रही है , सोचा है समाज क्या कहेगा तुझे गर्भवती देखकर । कितने लांछन लगेंगे तुझ पर। किस - किस को सफाई देती फिरेगी कि यह बच्चा किसका है । किस-किस का मुंह बंद करेगी।" 


 पारुल...( सिसक उठती है ) दुनिया का डर नहीं है मुझे मौसी। कौन से लोग और किन बातों का डर रखूँ मैं ।(उत्तेजना में बोलती है ) जब राकेश ने मुझे तलाक दिया और दूसरी शादी रचा कर बैठ गया, तब कौन आया था मेरा दुख बांटने , मुझे सहारा देने जो अब मैं किसी के डर के मारे अपना फर्ज पूरा ना कर सकूं , अपनी बहन को एक छोटी सी खुशी ना दे सकूं।" 


 नेहा..." दी' आप आप जो कह रही हो क्या सच में ऐसा हो सकता है ? पर यह कैसे संभव है। चलो मैं आपकी बात मान भी लूं, तो हो सकता है एक बार में काम ना बने, आपको बार-बार दिल्ली से बेंगलुरु आना जाना पड़ेगा ।" 


पारुल ..." इसकी तो चिंता ही नहीं है नेहा। चारु अभी कुल दो साल की ही है। उसके स्कूल इत्यादि की तो कोई समस्या है ही नहीं अभी, और अपने घर की पहली मंजिल पर मैंने जो गर्ल्स पीजी बना रखा है उसकी देखभाल करने वाली मारिया ऊपर छत पर ही तो रहती है, वह बस बहुत अच्छे से संभाल लेती है, तो घर की भी कोई चिंता नहीं मुझे। मैं एक-दो दिन में सारी व्यवस्था करके तेरे पास ही रहने आ जाती हूं। मुझे झेल लोगे ना तुम दोनों मियां बीवी साल भर के लिए। " ( हंसती है )


नेहा ...( प्रसन्नता से मुस्कुराते हुए ) कैसी बातें करती हो दीदी।"


 मां...( ममत्व से आंखें भर कर ) पारुल मैं तो तेरी यशोदा मां ही थी, पर  नेहा के बच्चे के लिए तो तो देवकी भी तू और यशोदा भी तू । " 



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