खूंखार भेड़िया
खूंखार भेड़िया
रात करीब 10:46 का समय, अचानक से महेश दौड़ता हुआ आया (महेश काफी डरा हुआ, चेहरे पर आश्चर्य के भाव और सारा शरीर पसीना - पसीना ) और हकलाते हुए बोला - श... श... श्याम।
साहिल अचानक से खड़ा हो जाता है और पूछता है कि क्या हुआ श्याम को?
रजनी को नींद आ गई थी सारा दिन घूमने से थकान हो गई थी, श्याम गेस्ट-हॉउस से यह कहकर निकला था कि बाहर की ठंडी हवा का आनंद लेकर आता हूँ, उसके बहुत देर तक वापस नहीं आने पर महेश और साहिल परेशान हो जाते है, महेश साहिल को रजनी के पास उसका ध्यान रखना कहकर श्याम को ढूँढ़ने बाहर निकल जाता है बाहर सुनसान रास्ता जानवरों की भयानक आवाजें, लेकिन महेश आगे बढ़ता जाता है और पीछे साहिल को दिन भर की थकान के कारण नींद आ जाती है।
साहिल, महेश, श्याम और रजनी बचपन से ही एक साथ खेले-कूदे और साथ ही पढ़ाई करते थे। अभी चारों B.sc 3rd year की परीक्षा देकर घर से कुछ दिन घूमने निकले थे कि छुट्टियों में कहीं नयी जगह चलते है, कुछ तूफानी करते है चूंकि सभी दोस्तों का आपस में व्यवहार बहुत अच्छा था तो सभी के परिवार वाले उन्हें मना नहीं करते थे। साहिल थोड़ा शर्मीला लेकिन पढ़ाई में होशियार था। महेश पढ़ाई में थोड़ा कमजोर लेकिन निडर, दौड़ में सबसे अव्वल और दोस्तों के लिए किसी से भी उलझ जाता था। श्याम एक भोला-भाला लड़का जिसे अपनी पढ़ाई और दोस्तों की बहुत चिंता रहती है पर थोड़ा डरपोक था। रजनी की तीनों लड़कों के साथ बचपन से रहने के कारण सारी हरकतें लड़कों सी हो गयी थी वो पढ़ाई में होशियार तो थी पर बाकी हरकतें महेश वाली थी।
महेश बहुत घबराया हुआ लग रहा था, आज तक उसे ऐसी स्थिति में कभी नहीं देखा था। साहिल अपनी आँखें मसलते हुए पूछता है कि क्या हुआ श्याम को?
महेश : साहिल वो श...श... श्याम
साहिल : अरे क्या हुआ, बता ना श्याम को..? क्यूँ टेंशन दे रहा है।
महेश :वो श्याम, भयानक जानवर जैसी हरकतें कर रहा है, उसका शरीर एक जानवर की भाँति बदल रहा था। श्याम बहुत भयानक तरीके से एक भालू की तरह आवाजें निकाल रहा है, मैंने देखा कि वो जमीन पर लेटा हुआ है। उसके हाथों पर धीरे-धीरे बाल आना शुरू हुए, फिर उसके हाथों के नाखून खूंखार जानवर की जैसे हो गये, वो बहुत तेज आवाजें निकाल रहा था, धीरे-धीरे उसका सारा शरीर एक खूंखार भेड़िये में परिवर्तित हो रहा है, उसकी आँखें मुझे खाने के लिए मानो दौड़ रही थी, जो बहुत ही डरावना दृश्य था। मेरे कदम वहीं धरती में समा गये, जैसे-कैसे मैं वहाँ से भाग कर आया हूँ।
(इतना कहते ही साहिल बहुत काफी डर गया )
साहिल : क्या... क्या कह रहे हो।
हाँ साहिल मैं सच बोल रहा हूँ मैंने अपनी आँखों से देखा है।
साहिल सुन्न हो जाता है।
इतने में रजनी की आँख खुलती है, महेश सारा वाक़या रजनी को बताता है।(रजनी बहुत परेशान हो जाती है और डर जाती है।
साहिल : मैंने कहा था कि कुछ दिन बाद चलेंगे घूमने, लेकिन मेरी बात तो किसी ने भी नहीं मानी। (साहिल रोने लगा )
महेश : रजनी तुम्हें कुछ पता है क्या, श्याम में ऐसा परिवर्तन कैसे आया?
रजनी : नहीं, इसके बारे में तो ऐसा तो नहीं पता पर इसकी कुंडली के बारे में ऐसा जरूर सुना था कि बीस वर्ष की उम्र में इसके साथ ऐसा कुछ घटेगा कि उसमें इसकी जान भी जा सकती है।
महेश : क्या? तब तो बहुत बड़ी मुसीबत है, उसे बचाना ही पड़ेगा।
साहिल : (गुस्से से, रोते हुए )सब पर मुसीबत आ गई है, अकेले घर भी नहीं जा सकते।
रजनी : उसे बचाने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा।
महेश : कुछ तो करना पड़ेगा वो भी बहुत जल्दी, लेकिन इतनी रात को कौन हमारी मदद करेगा, जब इस गेस्ट हॉउस के दूर-दूर तक किसी भी आदमी का नामों-निशान तक नहीं है।
साहिल : जब हम यहाँ आ रहे थे तो इस जंगली रास्ते के शुरू में ही एक मंदिर देखा था शायद वहाँ से कुछ मदद मिल जाये, लेकिन वो यहाँ से लगभग 3 से 4 किलोमीटर दूर है और रात का समय है, सुबह चलते है।
महेश और रजनी : नहीं, उठो अभी वहाँ चलते है।
तीनों मंदिर के लिए रवाना हो जाते है (बाहर वहीं खतरनाक आवाजें गूंजती सुनाई पड़ती है, तीनों हिम्मत करके मंदिर में पहुंचने वाले ही होते है कि उन्हें कुछ सुनाई देता है )तीनों चुपचाप सांस को भी बंद करके झाड़ियों में छिप जाते है क्योंकि उनके सामने एक खतरनाक भेड़िया था। जो उन तीनों को एक पल में ही मार सकता था। वे तीनों भेड़िये के जाने का इंतजार करने लगे। भेड़िये के जाने पर वे तीनों धीरे-धीरे मंदिर में पहुँचे।
मंदिर के पुजारी जी को जगाया। पुजारी जी तीनों को इतनी रात में देखकर हैरान हो गये। तीनों को मंदिर के अंदर लिया (तीनों घबराहट और पसीने से तरबतर थे )|
पुजारी जी : तुम तीनों इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे हो? और कहाँ से आये हो?
रजनी :(जोर - जोर से सांस लेते हुए ) हमारा दोस्त....
और पुरी घटना बताती है।
पुजारी जी : अच्छा, क्या तुम्हें यहाँ के बारे में पता नहीं था?
महेश : क्या, पुजारी जी।
पुजारी जी : कि आज आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा है और आज के दिन जंगल में एक वनमानुष भेड़िया किसी भी मनुष्य का शिकार कर उसमें अपनी प्रजाति का भेड़िया प्रकट करता है, वह मनुष्य के गर्दन पर आज के दिन जो भी उसके सम्पर्क में आता है उसे वह काट देता है और वो भेड़िया बन जाता है।
साहिल :(रोते हुए)पुजारी जी, हमारे दोस्त को बचा लीजिए। हम आपके पैर पकड़ते है, उसे बचाने का उपाय बतायें।
पुजारी जी : उसे बचाने का बस एक ही उपाय है, अभी समय क्या हुआ है?
रजनी : 11:39 हुआ है पुजारी जी।
पुजारी जी : तुममें से किसी एक की जान भी जा सकती है|
महेश और साहिल : आप बताओ बचाने का तरीका, हमें बस हमारे दोस्त को बचाना है।
पुजारी जी : ठीक है फिर मैं पूजा की तैयारी करता हूँ तुम दोनों में से एक को जंगल में जाकर उस खूंखार भेड़िये को यहाँ तक लेकर आना पड़ेगा। वो भी अभी 12:00 बजने से पहले...
महेश : मैं जाता हूँ दौड़ में मैं शेर से भी तेज दौड़ता हूँ।
(महेश जंगल की तरफ जाता है, महेश भेड़िये को ढूँढ़ने में लग जाता है तथा उसका ध्यान बंटाने के लिए जोर से आवाजें करने लगता है।)
(भेड़िया उसे देख बहुत ख़ुश होता है और महेश की तरफ दौड़ने लगता है महेश अपनी पूरी जान लगा देता है दौड़ में, ये दौड़ उसकी ही नहीं बल्कि दो जिंदगियों की दौड़ थी, एक उसकी और दूसरी उसके दोस्त की।)
(भेड़िया ये समझ नहीं पाता कि ये दौड़ उसे फँसाने के लिए है )
महेश पूरी जी-जान से दौड़ता है और 11:59 भेड़िये को मंदिर में पहुंचा देता है। पुजारी जी पूजन कार्य में लगे हुए थे )
जैसे ही भेड़िया मंदिर में घुसा, घुसते ही हवन की अग्नि में भस्म हो गया।
पुजारी जी : महेश तुम्हारी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी जो तुमने अपनी जान पर खेलकर तुम्हारे दोस्त की जान बचाई।
(उधर श्याम के शरीर से भेड़िये का रूप उतरने लगा, और वो भी हवन के प्रभाव से मंदिर में आ गया।
तीनों दोस्त श्याम को देखकर बहुत प्रसन्न हुए और पुजारी जी को बहुत - बहुत धन्यवाद दिया।
और शपथ खायी कि कभी भी घूमने से पहले उस जगह के बारे में जानकारी जरूर लेंगे।