gajendra kumawat

Crime

4.3  

gajendra kumawat

Crime

नेकलेस चोर

नेकलेस चोर

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बैंक में साइरन बजा, सुरक्षाकर्मी ने बैंक मैनेजर का आदेश होते ही दरवाज़ा बंद कर दिया और देखते ही देखते बैंक के बाहर बहुत सारी भीड़ एकत्रित हो गई, सब एक - दूसरे से एक ही सवाल कर रहे थे कि क्या हुआ है ? 

चारों और बहुत शोरगुल हो रहा था, सबके मन में संशय था कि अचानक बैंक में क्या हो गया। इतने मे मैनेजर किशोर कुमार अपने केबिन से बाहर आये और सबसे कहा (चुकी बैंक के अंदर भी बहुत भीड़ थी )-कि आप सभी को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। मेरे पास यह महिला (ज्योति ) आयी है जिसका कहना है कि उसके पर्स से एक लाख पैंतालीस हजार रूपये का नेकलेस चोरी हो गया है, इसलिए आप सभी की एक बार तलाशी ली जाएगी।

और कहा कि जिसने भी चोरी की है, अभी वापस लौटा दे नहीं तो पुलिस को सूचित कर दिया गया है, पुलिस कुछ देर में आती ही होगी। सभी लोगों में भय का सा माहौल हो गया। सभी लोग एक दूसरे को शक की नजर से देखने लगे। मैनेजर किशोर ने ज्योति से पूछा :तुम्हें किसी पर शक है? 

ज्योति :नहीं सर, 

किशोर कुमार :अच्छे से याद कर लो।

इतने में पुलिस आ गई, सारा का सारा वाक़या उन्हें बताया गया।

पुलिस : ज्योति जी आप हमें बताये कि जब आप बैंक में आयी किसी और को पता था कि आपके पास नेकलेस है? 

ज्योति : नहीं सर, केवल मुझे ही पता था, मैंने पर्स में संभाल के रखा था।

पुलिस : तो आपको कब और कैसे पता चला कि आपका नेकलेस चोरी हो गया? 

ज्योति : सर मैंने बैंक से निकाले हुए पैसों को जैसे ही पर्स में डालने के लिए पर्स की चैन खोली तो नेकलेस वहाँ नहीं था।

पुलिस ने सबसे कहा : कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा और ज्यादा होशियारी दिखाई तो... जब तक सब की तलाशी नहीं होती सब शांत रहेंगे और कांस्टेबल को तलाशी के लिए कहा। सब घबरा रहे थे और बैंक के अंदर सन्नाटा सा छा गया, कांस्टेबल ने तलाशी शुरू की।


बैंक के बाहर, परिजनों और अन्य लोगों की काफी भीड़ हो गयी, लेकिन किसी को भी बात का पता नहीं चला।

कांस्टेबल ने एक -एक की तलाशी लेकर छोड़ना शुरू किया, उन्होंने जाकर बाहर के लोगों को चोरी होने की बात कही। बैंक में जैसे -जैसे लोग कम हो रहे थे और नेकलेस नहीं मिल रहा था, पीछे रहे लोगों में और भी घबराहट होने लगी। अंत में बैंक में बैंककर्मियों के अलावा तीन लोग बचे। जिनमें एक लड़के ने काफ़ी दाढ़ी-मूँछें बढ़ा रखी थी और शक्ल से मवाली लगता था, एक लड़की,(जो ज्योति की पड़ोसन थी ) और एक बूढ़ा आदमी। बूढ़े आदमी की तलाशी शुरू हुई उसने कांस्टेबल से कहा : बेटा में बुढ़ापे में ऐसा क्यूँ करूँगा। 

पुलिसवाले ने उसे कहा : हमें अपना काम करने दो।

और फिर उसे भी छोड़ दिया, उसके बाद लड़के का नंबर आया, 

पुलिस को पक्का विश्वास हो गया की इसी ने चुराया है, क्योंकि वो लड़का घबरा रहा था, उसकी तलाशी ली गई लेकिन कुछ नहीं मिला, कांस्टेबल ने दो तमाचे गाल पर रसीद कर दिए और कहा बता कहाँ रखा है, और अंत में बची लड़की ज्योति के पास आ जाती है और

कहती है : दीदी मुझे तो लगता है इसी ने चुराया है और ज्योति को सांत्वना देने लग जाती है।

पुलिस, बैंक मैनेजर किशोर कुमार काफ़ी सोच में पड़ जाते है, सभी की तलाशी हो गयी लेकिन किसी के पास भी नेकलेस नहीं मिला।

पुलिस एक बार फिर उसे सख़्ती से पूछती है, वो घबराहट में कुछ भी न बोल पाता है।

पुलिस अब ज्योति से पूछती है, 

पुलिस : हाँ ज्योति जी आप बताईये की आपने नेकलेस कब और कहाँ से ख़रीदा? 

ज्योति : सर, मैंने यहाँ से 1.5 किमी. नाला बाजार में माही ज्वेलर्स की शॉप से बनवाया था, जो मैं आज उससे लेकर आयी थी।

पुलिस को माजरा समझ में नहीं आया।

एक स्पेशल क्राइम ब्राँच ऑफिसर प्रकाश वर्मा को बुलाया गया।

उन्होंने आते ही लड़के से पूछा :हाँ भाई तू मुझे ऐसे ही बताएगा या और ट्रीटमेंट दूँ।

लड़का घबरा गया और हड़बड़ाते हुए बोला : साब मैंने कुछ नहीं चुराया, प्रकाश वर्मा को यकीन हो गया कि इस लड़के ने नेकलेस नहीं चुराया, उसको जाने दिया।

प्रकाश वर्मा ने वहाँ चारों और पर घूम कर देखा, उसका ध्यान पास खड़ी लड़की पर गया।

उन्होंने लड़की से पूछताछ शुरू की, लेकिन ज्योति ने उस लड़की के बारे में कहा की ये थोड़ी करेगी ये काम ये तो मेरी बहन की जैसी है, मेरे पड़ोस में रहती है। लेकिन फिर भी मैं फॉर्मल्टी करना चाहूँगा और तलाशी लेते है, उसके पास भी कुछ नहीं मिलता।

प्रकाश वर्मा भी अब सोच मे पड़ गए, कि आखिर नेकलेस चुराया तो किसने चुराया।

अब प्रकाश वर्मा माही ज्वेलर्स पर पर चले और कांस्टेबल को कहा :ज्योति और उस लड़की को साथ लेकर वहाँ पहुचे।

वो लड़की वहाँ न जाने के बहाने बनाने लगी, लेकिन उसे वहाँ जाना ही पड़ा।

प्रकाश वर्मा ज्वेलर्स से बातचीत करने लगे, 

प्रकाश वर्मा : आपसे कुछ देर पहले ज्योति नाम की एक महिला नेकलेस बनवा कर लेकर गयी थी।

ज्वेलर्स :हाँ सर, बनवाया था अभी लेकर गयी थी

प्रकाश वर्मा : हाँ सर, वो चोरी हो गया।

ज्वेलर्स : क्या???, वो मेरे सबसे अच्छे ग्राहकों में से एक है और थोड़े रूपये कम पड़ गए थे तो वो बैंक से रूपये लेने गयी थी।

प्रकाश वर्मा : क्या उनके साथ और कोई था??

ज्वेलर्स : नहीं सर, मेरे पास वो अकेली ही आयी थी।

अब प्रकाश वर्मा का शक उस लड़की पर घूमने लगा।

इतने में ज्योति और वो लड़की( प्रीति ) दोनों ज्वेलर्स की दुकान पर पहुंच गए।

कांस्टेबल ने पूछा : सर कुछ सुराग मिला? 

प्रकाश वर्मा ने ना में गर्दन का इशारा किया।

प्रकाश वर्मा को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।

इतने में ज्योति के पति आ गए और उन्होंने बताया की ज्योति कभी-कभी बातें भूल जाती है।

प्रकाश वर्मा : लेकिन ज्योति ज्वेलर्स से नेकलेस तो लेकर गयी थी। रास्ते में वो कहाँ रुकी उसे कुछ याद नहीं है 

आखिर उसने एक योजना बनाई 

प्रकाश वर्मा से फेक कॉल करवाता है और कहता है : क्या, मिल गया नेकलेस।

प्रीति के चेहरे पर पसीना आ जाता है और प्रकाश वर्मा का शक यकीन में बदल जाता है, 

तब प्रीति बताती है कि ज्योति जब नेकलेस लेकर जा रही थी तब मैंने बातों में लगाकर उससे नेकलेस चुरा लिया और फिर उसे घर में रखकर आ गयी, पर मुझे ये न पता था कि ज्योति भी बैंक ही जा रही है मुझे भी बैंक में काम था तो मैं नेकलेस रखकर बैंक में आ गई कि किसी को पता न चलेमुझे इस बात का पहले से ही पता था कि ज्योति भुलक्कड़ है, और अपने किये पर रोने लगी।



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