खत
खत
डियर तुम,
आज कई दिनों बाद तुम्हारे बारे में लिख रहा हूँ। ऐसा नहीं है की मैंने तुम्हें सोचना बंद कर दिया है ? लेकिन...अब थोड़ा खुद को भी वक्त देने लगा हूँ शायद।
हाँ, शायद तुमने भी खुद को वक्त देना शुरू कर दिया है या फिर गुजरे पलों को भुलाने की कोशिश कर रहे होंगे।
शायद, अब तुम जहाँ भी होंगे खुश होंगे।
लेकिन अब तुम्हे किसी अपने से घंटों तक मुस्कुराते हुए बातें करने का मौका नही मिलता होगा ?
जैसे पहले तुम मेरा नाम सुनते ही मुस्कुराने लगते थे, अब शायद मेरा नाम किसी और से सुन कर भी तुम नजरअंदाज कर देते होंगे।
"सितारों के बीच से सुरज बनने तक के सफर में कुछ अपने ही नुकसान हुआ करते हैं।"
तुम्हें पता है, लोग कहते हैं मैं आजकल बहुत मुस्कुराता हूँ।
मतलब, लोग मुस्कुराने पर भी जाने क्यों सवाल करते हैं ?
लोग कुछ भी कहते हैं न ?
पर तुम्हें तो पता है न कि तुम्हारे जाने के बाद ये मुस्कान तो बस इक नकाब है।
और जानते हो, अब न मैं किसी को परेशान भी नहीं करता।
वो जैसे तुम्हें किया करता था....।
खैर....अकेला हूँ, और शायद खुश भी।
अच्छा सुनो...तुम न, अब वापस मत आना।
क्योंकि तुम्हारे जाने से आने तक के सफर में मैं खुद को हार जाता हूँ।