आज तुम याद आ रहे हो
आज तुम याद आ रहे हो
सुनो, एक बात कहूँ ?
आज न, तुम बहुत याद आ रहे हो।
मतलब, वो होता है न कभी कभी कि
आप किसी के बिना रहना तो सीख लेते हो
पर शायद उसकी यादें
आपको रहने नहीं देती
हाँ, आज तुम बहुत याद आ रहे हो।
तुम्हें याद है तुमने जाते वक्त कहा था
कि तुम मुझसे मिलने आओगे।
मैं उस दिन से हर रोज
तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ,
पर अब तक तुम्हारी
झलक तक नहीं दिखी।
मेरी हर शाम को तुम्हारे संग
गुजारने की वो आदत,
अब भी कहीं तुम्हारा साथ तलाशती हैं।
जब तुम्हें पिछली दफा देखा था मैंने
हाथ में महन्दी लगाये हुए,
पैरों में पायल, माथे पे बिंदिया
और शादी के जोड़े में।
आँसू तो थे पर ख़ुशी भी थी,
तुम्हारी नयी जिंदगी की।
कभी मिलो तो सुनाऊँगा तुम्हें
हर वो कहानियाँ, हर वो किस्से जो मैंने
तुम्हारे जाने के बाद
अकेलेपन में लिखी थी।
जिसमे एक किरदार झलकता है
तुम्हारी यादें बिलकुल दिए की लौ की तरह हैं,
फड़फड़ाने के बाद थोड़ी देर के लिए
शांत तो हो जाती हैं पर
तड़पन ख़त्म नहीं होती।
सारे किस्से सुनाऊँगा तुम्हें
कभी मेरे संग चाय पर मिलो तो सही।
जमाने के रिवाजों के बाद आ रहे हो
आज तुम बहुत याद आ रहे हो
तुम्हारे ख्यालों के लश्कर एक साथ आते हैं
मुद्दतों की बातों के बाद आ रहे हो।
आज तुम बहुत याद आ रहे हो,
आज तुम बहुत याद आ रहे हो।