कोरोना महामारी - एक व्यंग्य
कोरोना महामारी - एक व्यंग्य


इस समय सारा विश्व कोरोना नाम की महामारी से जूझ रहा है लेकिन यह बीमारी है कि थमने का नाम नहीं ले रही। इस महामारी का जन्मस्थान छोटी आँखो का देश चीन है, मतलब इन छोटी आँख वालो ने विश्व भर की आँखें खोल कर रख दी। लेकिन इस पर भी न वो सुधरने का नाम नहीं ले सकते।
हिन्दुस्तान भी इस महामारी से लड़ रहा है। एक तो, भारत देश न विभिन्न प्रतिभाओं का देश है। यहां बीमारी लॉन्च होने से पहले उसकी दवाएँ और टोटके लॉन्च हो जाते हैं। अरे, हमारे यहां तो पीलिया और मलेरिया जैसी कई बीमारियों को भी झाड़ फूंक से ठीक करने में महारथ हासिल करने वाले महारथी है।
तो अब कोरोना को कैसे छोड़ देते...।
व्हाट्स एप जैसे सोशल मीडिया में डॉक्टर्स और विद्वानों की कमी भी नहीं है। सारा विश्व जिसे पढ़ पढ़कर किसी निर्णय तक नहीं पहुंच पाते है...वहां हमारे व्हाट्स एप विश्वविद्यालय के महारथ हासिल किए हुए वैज्ञानिक और प्रोफेसर एक दिन में पहुंच जाते हैं और किसी भी असाध्य बीमारी का इलाज़ निकाल लेते हैं। और इस विश्वविद्यालय में आपको प्रोफेसर बनने के लिए आपका बेकार, निकम्मा और मूर्ख होना सबसे जरूरी डिग्री है। अगर आप के अन्दर ये तीनों गुण है तो आप भी बन सकते हैं।
कोरोना वायरस भारत में भी अपना कदम रख चुका था...
मैं सुबह सुबह जगा की घरवालों ने कहा कि आज के बाद एक एक घंटा धूप में बैठना होगा।
मैंने पूछा - क्यूँ ??
अरे ऊ कारोना आबा हैं न ता उआ घाम नहीं सहय और मरी जात है । - जवाब मिला
एक महाशय मिले, बोले - बेटा,
पूरे देश में न शनि का प्रकोप है, हम बोले थे मोदीजी को ट्वीट करके हवन करवा लेओ लेकिन हमारी सुने ही नहीं। अब देखो सबको भुगतना पड़ रहा है न ?
मैं - नि:शब्द
जितने मुंह उतनी बातें हुई जा रही हैं। देश मुश्किलों में है लेकिन लोगों के टोटके विज्ञान से भी ऊपर है।
और आमजन इस टोटके को मानने भी लगते हैं। हिन्दुस्तान में शायद भोले लोग बहुत हैं।
अब ऐसे में हमारे राजनीति वाले लोग पीछे कैसे रहते - कहा, की कांग्रेस होती तो कोरोना न फैलता।
हम कहे थे चाचा - ई मोदी के बस का बात नाहीं हैं।
हम पहिलेन कहे थे कि नाही संभाल पाएंगे।
चचा जबतक इस देश में लोग आवाज़ नहीं उठाएंगे इन नेताओं के खिलाफ़ कोरोना नाही जाएगा, ऊ ठान के आया है।
मैं एकदम मौन होकर, ये सारे वार्तालाप सुन रहा था।
सुनने के बाद लौट ही रहा था कि देखा - कुछ लोग नारेबाज़ी की तैयारी कर रहे हैं। झंडे और कार्डबोर्ड पर ' Go Corona, Go Corona' लिख कर एक ऐसी चीज के खिलाफ प्रदर्शन करने जा रहे थे..जिसका कोई अपना शरीर नहीं लेकिन वर्चस्व है क्यूंकि वो शरीर बदलने की अद्भुत प्रतिभा रखता है।
ये सब देख कर मैं हैरान होने के अलावा कुछ न कर सकता था, न कर सकता था।
कुछ लोग हवन भी कराए जा रहे थे।
मैं बस हैरान होकर ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था कि इन्हें इनकी मासूमियत कहें या कुछ और....
तभी आया तो सोचा देखते हैं - देश की खबर क्या हैं ?
तो, बताया कि सरसों के तेल से कोरोना चला जाएगा।
फिर किसी ने कहा - अदरक और लहसुन से चला जाएगा।
अब मरता क्या न करता।
ये टोटके भी लोग करते रहते हैं इसलिए नहीं कि वो ज़ाहिल या मूर्ख है।
बल्कि इसलिए क्योंकि वो भोले है और अपने देश के लोगों पर भरोसा करते हैं।
देश के बाकी लोगों की क्या जिम्मेदारी है बस ये समझने की जरूरत है।
विश्व में चल रहे हालात आपके इंसान होने का और इंसानियत दोनों का प्रमाण मांग रहे हैं।
और सभी से निवेदन है कि इस संकट की घड़ी में सरकार के नियमों का पालन करें।
टोटके में न पड़े, ऐसा करना आपकी अज्ञानता का प्रतीक है। सुरक्षित रहें, सतर्क रहें।