Sonnu Lamba

Tragedy

5.0  

Sonnu Lamba

Tragedy

खत जो कभी

खत जो कभी

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वो हर रोज एक खत लिखा करती थी और उसे अपने ही पास रख लेती, उन खतो में उसकी सीधी सच्ची भावनाओं का ज्वार भाटा था,

जैसा दिन गुजरता वैसा ही खत..सारे खत निखिल के ही नाम और उसी के लिए, सोचती थी जब शादी हो जायेगी तब इन सबको एक सुन्दर सी फाइल में सजा कर उसे उपहार में दूंगी , कितना खुश हो जायेगा।

वो नही जानती थी कि वह दिन कभी आयेगा ही नही, आज उसकी शादी तो होने जा रही थी लेकिन निखिल से नही, साल भर पहले वो एक रोड एक्सिडेंट में दुनिया से चला गया..तब से अब जाकर हिम्मत कर पायी इन खत़ों को जलाने की, जब वही नहीं रहा तो उसकी यादों को भी मुक्त कर दिया आज उसने.. बस अब वह मासूम याद बन कर उसके दिल में रहेगा हमेशा।


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