Avinash Agnihotri

Tragedy Classics Inspirational

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Avinash Agnihotri

Tragedy Classics Inspirational

खोटे सिक्के

खोटे सिक्के

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घर मे प्रवेश करते हुए अपने पिता का उदास चेहरा देख राकेश भी आज बड़ा आश्चर्यचकित हुआ।फिर उसने जब अपनी पत्नी से इसका कारण पूछा,तब उसने बताया कि बड़े भाई साहब की छुट्टी फिर केंसल हो गई है।

जिसके कारण वह इस बार भी दुर्गा पूजा में घर नही आ सकेंगे।पत्नी की बात सुन , उसे याद आया कि एक मल्टीनेशनल कम्पनी में नोकरी और शादी के बाद भय्या को घर नही आए अब पूरे पांच साल हो गए थे।

और इसीलिए शायद उसे ये समझते देर नही लगी कि महानगर में रहने वाले उसके भाई ने यहां कस्बे में आने से बचने के लिए इस बार यह युक्ति अपनाई है।

वह फिर एक बार पिताजी के समीप गया,और उनकी इस उदासी को दूर करने की नीयत से बरसात में भीगा अपना सर पोछते हुए बोला।

अरे निर्मला आज चाय के साथ थोड़े गिलकी के भजिए भी बना दो भई ,पता है ना बाबूजी को गिलकी के भजिए बहुत पसंद है।


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