चित्रा ने बड़ी फुर्ती से टूटे काँच के टुकड़े समेटे, बिखरी चाय साफ की और जाते-जाते कह गई ''साढ़े नौ बजे ... चित्रा ने बड़ी फुर्ती से टूटे काँच के टुकड़े समेटे, बिखरी चाय साफ की और जाते-जाते ...
एक रेशमी धागा तोड़ आई हूँ दोस्त आज की रात एक रेशमी धागा तोड़ आई हूँ दोस्त आज की रात
गाँव में मिलनेवाला अपनापन भी कुछ अजीब लगता है जो शहरोँ में हमे कही देखने को भी नही मिलता है..... गाँव में मिलनेवाला अपनापन भी कुछ अजीब लगता है जो शहरोँ में हमे कही देखने को भी न...
,पता है ना बाबूजी को गिलकी के भजिए बहुत पसंद है। ,पता है ना बाबूजी को गिलकी के भजिए बहुत पसंद है।
इस देश में जहाँ कुछ लोग पिज़्ज़ा बर्गर में ख़ुशी तलाशते हैं वहीँ कुछ लोग सूखी रोटी को तरसते हैं इस देश में जहाँ कुछ लोग पिज़्ज़ा बर्गर में ख़ुशी तलाशते हैं वहीँ कुछ लोग सूखी रोटी ...
कहते हैं न आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है । कहते हैं न आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है ।