Sajida Akram

Tragedy

1.5  

Sajida Akram

Tragedy

ख़ोफनाक रात

ख़ोफनाक रात

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हम सिक्किम घूमने गए हुए थे, वहां की एक टुरिस्ट स्पाट देखने जाने को हमने गाडी हॉयर की और सुबह-सुबह निकले हमें वहां के बारे में कुछ भी पता नहीं था। वहां के खौफनाक रास्ते और साथ में बारिश का क़हर देखते ही देखते हमारे रास्ते में जगह-जगह सड़कें टूटी हुई, हम लोग गाड़ी स्ललो चलाने की बार-बार नसीहत करते रहे मगर वो पायलट निकला।

टूरिस्ट स्पाट करीब पहुंच ने में 20किलोमीटर बचा था और रास्तें में हमारी गाड़ी के पहले एक मोड़ पर पहाड़ टूटकर गिरते देखा और हमारे रोंगटे खड़े हो गए। हम मैदानी क्षेत्र के रहनेवाले हम खौफ से थरथर कांपने लगे।

सड़क सुरक्षा बल वालों ने ट्रेफिक डॉयवर्ड कर दिया जिस रास्ते पर हमारी गाड़ी चढ़ रही थी वो कच्ची पगडंड़ी थी।

उस पर बारिश और अंधेरी डरावनी रात और घना जंगल और फिसलन भरा रास्ता गाड़ी वालों ने सब सवारियों को उतर दिया कहा वजन होने से गाड़ी उपर नहीं चढ़ पा रही हैं। हम सब उस घने जंगल में फिसलन भरे रास्ते सांप, बिच्छू और वहां के लोकल लोगों ने साथ चल रहे थे उन्होंने बताया कि यहां हमेशा सीलन बारिश की वजह से खून चूसने वाले कीड़ें बहुत होते है शरीर से चिपक जाते हैं।

हमारी तो जान पर बन आई जैसे-तैसे पूरी रात चल-चल कर हमारे पैर सूज गए और भूख-प्यास से बेहाल रात को चार बजे पहुंचे।

होटल वाले ने जो सराय बुक की थी गाड़ी वाले ने हमें वहां छोड़ा तो हमने सुकून की सांस ली ही भर थी कि हमारी जान पर बन आई ।इतनी डरावनी या भूता हवेली थी के हम कमरे में जाने के साथ ही वापस बाहर आ गए ,सिलन भर बदबू दार कमरा बिस्तर भी गंदा सा ...।

वहां लाईट का कोई ठिकाना था,भी कभी आती भी है कि नहीं इतना डर कभी नहीं लगा हम जैसे-तैसे सोने के लिए लेटे थके हुए थे मगर वहां की हवेली की चमगादड़ों की खौफनाक आवाजें, अंधियारी रात की सांय-सांय करती तेज़ हवाएं, रोंगटे खड़े कर देने वाली सर्द रात रीढ़ की हड्डियों को भी सिहर देने वाली रात में हम दोनों पति-पत्नी उस डरावने कमरे में सुबह होने का इंतज़ार करते रहे सुबह के वक़्त थोड़ी सी नीद का झोका आया तो डरावनी सूरत सपने में दिखने लगी और उसकी पायल झंकार साथ में अजीब सा पहाड़ी गाने की आवाज़ जैसे वो अपने किसी बिछड़े प्रेमी को दर्द भरी आवाज़ में अपने गीतों में अपने प्रेमी को पुकार रही हो हम दोनों नीद से जाग गए मगर वो डरावनी आवाज़ें बंद नहीं हुई।

अब हमारी जान सुखी जा रही थी और ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे कि जैसे ही सुबह हो ,हम अपने ड्राइवर और गाड़ी को बुलाकर यहां से निकलने का जुगाड़ करें मगर फंस गए थे रास्ते बंद थे हमने सोच लिया था कैसे भी हम इस डरावनी हवेली को छोड़कर कहीं और कमरा ले लेगें।

मगर वो ख़ौफनाक रात जैसे ख़त्म ही न होने को तैयार थी !


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