कहानी
कहानी
एक कहानी लिखने की इच्छा यदा-कदा दिल और दिमाग पर जोर मारती है। लेकिन सोचने की क्षमता कहो या शब्दों की कमी लाख कोशिश करने के बावजूद भी मैं सिर्फ सोच कर रह जाता हूं कि एक कहानी लिखनी है। खुद पर लिखूं या किसी और विषय वस्तु पर, यह बात कभी मेरी समझ में नहीं आती। 20 25 कहानियां लिखने के बाद ही किसी किताब के बारे में सोचा जा सकता है। भले ही एक कहानी तक ना लिख पाया हूं अब तक, लेकिन यह तय है कि मुझको अभी कई किताबें लिखनी है।
क्योंकि मैं जानता हूं कि जब काम बड़ा हो तब वक्त तो लगता ही है। कभी-कभी डर लगता है कि आखिर ऐसा भी क्या वक्त की जो कभी आए ही नहीं। बूंद बूंद करके घड़ा भरता है लेकिन उस स्रोत का फूटना भी जरूरी है जहां से बूंद निकलेगी। अब ऐसी भी क्या जबरदस्ती है कि कहानी लिखनी ही है। यूं भी स्पीड से सराबोर दुनिया में किताबें पढ़ने का वक्त है किसके पास, जब इंटरनेट पर किस्से -कहानियों का भंडार पड़ा हो। बस मन की संतुष्टि के सिवाय और कुछ नहीं है कि एक कहानी लिखनी है।