कह देना पी से
कह देना पी से
अबके फागुन में सखी
आम का छोटा मंज़र महके,
कैसे बोलूं ये बावरा मन
पिया मिलन को तरसे :
आवन कह गए उह होरी में
अब और कित्ता ई तनमन तरसे,
जा रे कागा कह दे बैरी पी से अबके
फागुन में हम पै भी तो प्रेम रंग बरसे!

