Priyanka Gupta

Tragedy

4  

Priyanka Gupta

Tragedy

काश वह अतीत बदल पाती Prompt 4

काश वह अतीत बदल पाती Prompt 4

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ट्रिंग... ट्रिंग...ट्रिंग....ट्रिंग...

सुहानी के फ़ोन की घंटी बज रही थी| 4-5 बार पूरी-पूरी घंटी बजने के बाद फ़ोन अपने आप कट गया था| ऋषि अपने ऑफिस जा चुका था और सुहानी ने आज की लीव ले रखी थी| लीव का फायदा उठाते हुए सुहानी ने काफी दिनों बाद अच्छे से शॉवर लेने का प्लान किया था| लेकिन बार-बार बज रह फ़ोन ने उसकी पूरी योजना चौपट कर दी थी| वह जल्दी-जल्दी शॉवर लेकर बाहर आ गयी थी| सुहानी का मूड ऑफ हो गया था| 

बाहर आते ही उसने अपना मोबाइल चेक किया "अरे, यह तो मम्मी की मिस्ड कॉल है"? ऐसा सोचते हुए सुहानी ने मम्मी को फ़ोन किया।

ट्रिंग ... एक घंटी जाते ही उधर से मम्मी ने फ़ोन उठा लिया था| "क्या हुआ, मम्मी ? कहाँ आग लग गयी ? शावर ले रही थी, आप तो फ़ोन करते चले जाते हो?" सुहानी ने नाराज़ होते हुए कहा| 

"बेटा, शैलजा अब इस दुनिया में नहीं रही, उसने आत्महत्या कर ली" मम्मी ने सुबकते हुए कहा।

शैलजा सुहानी की दूर के रिश्ते की बुआ की लड़की थी| जिस लड़के विनायक से शैलजा की शादी हुई थी, उसी विनायक से पहले सुहानी की शादी होने वाली थी|


"क्या?" सुहानी के हाथ से फ़ोन छूट गया था और सुहानी धम्म से सोफे पर बैठ गयी थी|

सुहानी ने फर्श पर से गिरा हुआ फ़ोन उठाया और कहा, " मम्मी, क्या अब हम अतीत में जा सकते हैं? काश हम कृष्णा बुआ को समझा पाते कि विनायक शैलजा के लिए सही नहीं था।"

"काश ऐसा हो पाता । ",मम्मी ने ठंडी सांस भरते हुए कहा और फ़ोन रख दिया था।

मम्मी ने तो फ़ोन रख दिया था, लेकिन सुहानी के दिल और दिमाग में गहरी उथल पुथल प्रारम्भ हो चुकी थी। उसके दिल के सागर में विचारों की लहरें एक के बाद एक उसके दिमाग के किनारों से टकराकर आ और जा रही थी।

शैलजा की मृत्यु से उसका मन बड़ा आहत था,वहीँ उसकी बात न सुनने के कारण कृष्णा बुआ पर उसे आज बहुत गुस्सा आ रहा था।बुआजी के अहंकार और ज़िद की कीमत उनकी बेटी शैलजा को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी| बुआजी ने सुहानी के फैसले पर उंगली उठाई थी और उसे बड़बोली, कुसंस्कारी, बिगड़ी हुई लड़की और भी न जाने क्या -क्या बोला था ?

खैर आज तो सभी यह कह रहे हैं कि बुआजी को सुहानी के निर्णय का सम्मान करना चाहिए था।विनायक के बारे में उसने सही कहा था| कल तक जो लोग उसके फैसले पर ऊँगली उठा रहे थे, आज वही लोग उसके फैसले को सही बता रहे थे| सुहानी ने सही समय पर विनायक से शादी न करने का फैसला कर लिया था, नहीं तो आज शायद शैलजा की जगह सुहानी होती। शैलजा से पहले सुहानी की ही तो विनायक से शादी होने वाली थी।


सुहानी के चाचाजी ने मेजर विनायक का रिश्ता सुहानी के लिए बताया था। उधर सुहानी को यूनिफार्म सर्विसेज हमेशा से ही आकर्षित करती थी। वह स्वयं भी आर्मी में जाना चाहती थी, लेकिन NCC की सफल कैडेट रही सुहानी अपने अथक प्रयासों के बाद भी SSB का एग्जाम क्लियर नहीं कर सकी थी।

विनायक लम्बा-चौड़ा, आकर्षक व्यक्तित्व का धनी और उसके बाद सोने पर सुहागा यह कि वह आर्मी में था, सुहानी को विनायक पहली ही नज़र में ही भा गया था। उसने मम्मी पापा की पसंद को सहज ही स्वीकृति दे दी। दोनों की सगाई कर दी गयी। शादी की डेट २ महीने बाद की तय की गयी।

सुहानी के तो पैर जमीन पर ही नहीं पड़ रहे थे। उसे उसके सपनों का राजकुमार जो मिल गया था । उसने विनायक के साथ अपने ख़्वाबों की एक अलग दुनिया ही बसा डाली थी।सुहानी के मन की ख़ुशी से उसका चेहरा चमक उठा था। उसकी ख़ुशी छुपाये नहीं छुप रही थी। लेकिन विनायक से बातें करते हुए सुहानी को धीरे धीरे महसूस होने लगा कि विनायक बहुत ही लालची और मनी माइंडेड है।


सुहानी तब एक प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रही थी। उसकी सैलरी कोई बहुत अच्छी नहीं थी। बातों- बातों में एक दिन विनायक ने उससे उसकी सैलरी पूछी। सुहानी ने जब बताया कि, "15000/- ",तो विनायक ने जवाब दिया, "इतने रुपयों में तो मेरे एक जोड़ी जूते ही आते हैं। "विनायक की हर बात में अपने पैसे और पद को लेकर अहंकार झलकता था। वह सुहानी को नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था, वास्तव में मौके ढूंढ़ता रहता था।

एक बार सुहानी ने बड़े प्यार से एक शर्ट ख़रीदकर विनायक के लिए भेजी थी| जब सुहानी ने विनायक से गिफ्ट के बारे में पूछा तो विनायक ने कहा, "ऐसी लोकल शर्ट्स मैं नहीं पहनता| कम से कम टर्टल की शर्ट तो भेज ही सकती थी| लेकिन तुम्हारा तो टेस्ट ही एकदम चीप है| " विनायक ऐसा कहकर ज़ोर -ज़ोर से हँसने लग गया था| 

सुहानी को समझ ही नहीं आ रहा था; वह क्या करे ?अगर सगाई टूट गयी तो लोग क्या कहेंगे ?उसके मम्मी- पापा की कितनी बेइज्जती होगी ?सुहानी के चेहरे से हंसी भी जैसे गायब सी हो गयी। सुहानी की मम्मी से उसमें आ रहे बदलाव छुपे नहीं थे। उन्होंने उससे 2-4 बार पूछा भी, लेकिन वह टाल गयी थी|


"मम्मी पापा का घर छोड़ना पड़ेगा, इस कारण भी कई बार लडकियां थोड़ा दुखी हो जाती हैं। जैसे -जैसे शादी के दिन नज़दीक आते हैं, वैसे -वैसे अनजाने घर में अनजाने लोगों के साथ रहने की कल्पना मात्र लड़कियों में घबराहट पैदा कर देती है। यही घबराहट कभी- कभी चेहरे पर दुःख के रूप में दिखाई दे जाती है। लड़कियों की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी, जो इतनी आसानी से दूसरी जगह पर रच बस जाती है। यही शायद सुहानी के साथ भी हो रहा है ." सुहानी की मम्मी ने यह सोचकर उसे ज्यादा कुरेदा भी नहीं।

ऐसे ही एक दिन विनायक ने सुहानी से उसके पापा की प्रॉपर्टी के बारे में पूछा और कहा कि," लड़कियों का प्रॉपर्टी में आधा हिस्सा होता है। उसे भी अपने पापा की प्रॉपर्टी में से हिस्सा मिलना चाहिए। "

सुहानी ने जवाब दिया, "ये तो मम्मी पापा की इच्छा पर है, उनकी प्रॉपर्टी किसी को भी दें। "

सुहानी के प्रत्युत्तर ने विनायक को बौखला सा दिया। दूध में जैसे उबाल आता है, वैसे ही विनायक में भी उबाल आ गया था, " तुम तो एकदम ही बेवकूफ हो। भगवान् ने बस शक्ल ही दी है, अक्ल तो देना भूल ही गए। तुम अपना हिस्सा ऐसे कैसे छोड़ दोगी?तुम नहीं लड़ सकती तो, मैं लडूंगा। लेकिन अपना हिस्सा तो हर कीमत पर लेकर ही मानूंगा। अगर तुम्हारी शक्ल इतनी अच्छी नहीं होती, तो तुमसे भला कौन शादी करता। मेरे लिए तो लड़कियों की लाइन लगी हुई है, अभी भी। "


सुहानी ने तब तो आवाज़ ठीक से सुनाई नहीं दे रही है, ऐसा कहकर फ़ोन काट दिया। विनायक की बातों ने सुहानी के मन और मस्तिष्क में एक तूफ़ान सा ला दिया था। उसने जो सुना था, वह क्या था? उसे विनायक की बातों में दम्भ, लोभ, लालच, अहंकार सभी की तो गंध आ रही थी और यह गंध इतनी तीव्र थी कि कहीं उसका दम ही न घुट जाए। जिस इंसान से फ़ोन पर बात करना उसके लिए दूभर हो रहा है, उसके साथ पूरी ज़िन्दगी कैसे बताएगी। जो इंसान अभी से केवल उसकी शक्ल के कारण उससे शादी कर रहा है, अगर उसकी खूबसूरती कम हो गयी तो यह तो उसकी तरफ देखेगा भी नहीं। जो शादी से पहले ही उसे इतना अपमानित कर रहा है, शादी के बाद तो उसे अपने पैर की जूती ही मानेगा।

उसने फैसला कर लिया था कि वह यह सगाई तोड़ देगी। उसने अपने मम्मी- पापा को विनायक से हुई सारी बातचीत बताते हुए कहा, "मम्मी -पापा इस इंसान से शादी करना हमारी शायद सबसे बड़ी गलती होगी। लेकिन अगर आप फिर भी कहोगे कि शादी की सब तैयारियां हो गयी है, 15 दिन बाद लोग पूछेंगे कि सुहानी की शादी तो इसी महीने होने वाली थी न, तो आपकी ख़ुशी और सम्मान के लिए मैं यह शादी कर तो लूंगी, लेकिन कभी खुश नहीं रहूंगी। "


"नहीं बेटा,तुम्हे जीते जी नरक में नहीं धकेलेंगे। हम आज ही विनायक के मम्मी पापा को फ़ोन करके इस रिश्ते को तोड़ देंगे। तुम हमें पहले ही बता देती तो तुम्हे इतनी घुटन और तकलीफ से तो नहीं गुजरना पड़ता। हमें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है, कि वह कभी कोई गलत फैसला नहीं ले सकती। "मम्मी -पापा ने उसे गले लगाते हुए कहा।

"तुम किसी अक्ल वाली लड़की को ढूंढ़कर उसी से शादी कर लेना, वैसे भी तुम्हारे लिए तो लम्बी लाइन लगी हुई है। तुम दुनिया के आखिरी लड़के भी होगे तो मैं तुमसे शादी नहीं करूंगी। मुझे दुनिया से भी ज्यादा परवाह अपने आत्म-सम्मान की है, जो मैं तुम्हारे जैसे अहंकारी और मतलबी इंसान के लिए तो नहीं खो सकती। " सुहानी द्वारा विनायक को यह अंतिम शब्द कहे गए और रिश्ता हमेशा -हमेशा के लिए तोड़ दिया गया|

उसके बाद सुहानी की शादी ऋषि से हो गयी थी। सुहानी की ही दूर की कृष्णा बुआ ने सब जानते हुए भी अपनी बेटी शैलजा की शादी विनायक से कर दी थी . अपनी व्यस्तता के चलते सुहानी शैलजा की शादी में नहीं जा पायी थी। आज उसे शैलजा के लिए दुःख था,अगर उसकी बात को बुआजी सुनती तो शैलजा हमारे बीच होती .अगर संभव होता तो सुहानी अतीत में जाकर शैलजा की शादी विनायक से होने से रोक लेती|



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