काश उसे दोस्त बनाया होता2
काश उसे दोस्त बनाया होता2
आज भी रोहन अपनी मम्मी रीना को बहुत बदतमीजी से जवाब देकर घर से निकल गया। कई दिनों से रीना उसके व्यवहार में आए हुए बदलाव को महसूस कर रही थी। ना वो ठीक से बात करता और ना उसका ध्यान घर में रहता। ऋषि से भी रोहन की कई दिनों से ठीक से बात भी नहीं हो पाई थी। पहले तो वो ऑफिस के टूर पर थे और वापस आने के बाद तीन चार दिन से रोज ऑफिस से रात को ग्यारह बजे ही लौट पाते। तब तक या तो रोहन सो चुका होता या अपना कमरा बंद करके कुछ काम कर रहा होता। सुबह ऋषि के ऑफिस जाने तक तो को सोकर ही नहीं उठता था। रीना बैचेनी से घर में टहलने लगी। उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था। जैसे तैसे उसने घर के काम निपटाए।
"रोहन अभी तक नहीं आया। कहां रह गया ये लड़का। कुछ खाया भी नहीं है अब तो ढाई बजने को आए" - उसकी ममता कुलबुलाने लगी।
उसने दरवाजे के बाहर कई बार जाकर देखा पर रोहन अभी तक आया नहीं था। इसी तरह इंतजार करते हुए शाम हो गई। अब तो उसका मन घबराने लगा। उसने उसके कई दोस्तों को फोन किया पर किसी को उसके बार में कुछ पता ही नहीं था।
"ऋषि जल्दी घर आओ। सुबह से रोहन अपने दोस्तों के साथ खेलने जाने का बोलकर गया है पर अभी तक आया नहीं है। खाना भी नहीं खाया उसने"- रीना ने ऋषि को घबराते हुए फोन किया।
"अरे तुम बेकार की चिंता करती हो। बच्चा नहीं है वो। आ जाएगा और किसी दोस्त के घर कुछ खा पी लिया होगा"
"नहीं ऋषि मेंने उसके सभी दोस्तों को पूछा पर किसी को भी उसके बारे में कुछ पता नहीं है" - रीना रोने लगी।
"उसका फोन ट्राई किया"
"हां कबसे लगा रही हूं पर स्विच ऑफ आ रहा है" "अच्छा तुम चिंता मत करो आ रहा हूं" - उसने रीना को किसी तरह दिलासा दिया पर अब तो ऋषि को भी थोड़ी चिंता होने लगी।
"कहां रह गया ये लड़का। बहुत ज्यादा ही लापरवाह हो गया है। आज उसको अच्छे से बैठकर समझाना ही पड़ेगा।" - ऋषि ऑफिस से लौटते हुए रोहन के कई दोस्तों से मिला पर किसी ने भी पिछली शाम के बाद से रोहन को देखा ही नहीं था। ऋषि घर आया तो रीना का रो रोकर बुरा हाल था। जहां जहां रोहन के होने की संभावना थी सब जगह देख लिया यहां तक कि सभी रिश्तेदारों से भी पूछा।
रोहन के करीबी दोस्तों ने बताया कि कई दिनों से वो उनके साथ भी नहीं रहता है। घर के पास की पान की दुकान के दुकानदार ने बताया कि कई दिनों से एक आदमी उसकी दुकान के पास आकर खड़ा होता था और फिर उसके साथ रोहन कहीं चला जाता था और कई घंटों बाद ही वापस आता था। उस आदमी को उसने पहले कभी नहीं देखा था।
ऋषि ने रोहन की गुमशुदगी और अपहरण की रिपोर्ट लिखवाई, अखबारों और टीवी पर विज्ञापन भी दिए पर उसका कहीं कोई पता नहीं चला। रीना तो जैसे विक्षिप्त ही हो गई। वो हर पल दरवाजे पर टकटकी लगाए रोहन के आने की प्रतीक्षा कर रही है। ऋषि को आज भी बहुत अफसोस है कि काश !उसने समय पर रीना की चेतावनी पर ध्यान दिया होता। रोहन के साथ बचपन से ही मित्रवत व्यवहार रखा होता। काश! उसने रोहन के बहकते क़दमों को पहले ही पहचान लिया होता।
और रीना को लगता है कि काश! उस दिन उसने रोहन को इतना डांटा ना होता। शायद इसीलिए वो उसे छोड़कर घर से हमेशा के लिए चला गया।
दोस्तों हम अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं उनकी परवरिश में कोई कसर नहीं रखते। जब प्यार करते हैं तो डांटने का हक भी तो रखते हैं ताकि उन्हें अच्छे बुरे सही गलत की पहचान हो सके। बच्चों को भी समझना चाहिए कि माता पिता उनके दुश्मन नहीं है। बच्चों से हमेशा मित्रवत व्यवहार रखने से उनके मन की बाते जान सकते हैं।
