काश ! दो दिल होते ...

काश ! दो दिल होते ...

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काश ! दो दिल होते सिने मे ...तो कितना मजा आता जिने मे...

एक भलेही तडपता युंही जिंदगीभर मगर..दुसरा तो खुशनशिब होता ! काश ! तुम समझ पाती मेरे दुःख -दर्द..मजबुरी मेरे अरमान सबकुछ ...

तो यह वीरांन सी जिंदगी ...मेरे किस्मत मेरे नहीं होती अगर तू साथ देती !

जब कभी मै तुझे भूलने की कोशिश करता हुं ...जाने क्यूँ ... हर बार नाकामयाब होता हुं !

बस... शुरु ही किया था कहीं और दिल लगाने का तो ..

याद आता वो सबकुछ ... मिलकर हमने कुछ सपने बुने थे !

काश ! तू युंही मुझे अकेला छोडकर ना जाती ...

जातेसमय यादे भी अपनी साथ ले जाती !...

तू होती तो क्या क्या होता ?.. तू नहीं हैं तो ...

अजबसी उदासी ...जैसे दुनिया सारी रुख सी गई !

तू यह कहेती, वो ना कहेती हमेशा कि तरह मुझे सताती ...

जो कुछ भी हैं दिल मे सबकुछ बताती, हसती, रोती बिलगती !

तू जिंदगी, दोस्त, प्यार ढेर सारा, तू हि तो थी सबकुछ मेरा...

सुख, चैन, निंद वो सारे सपने ..मेरे अपने चक्काचूर हो गये !

तुझे भुलना तो चाहा बहुत लेकिन... भुला ना पाया कभी ...

दिल मेरा काबू मे न था, ना हैं ...ना रहेगा, मैं भला क्या करता ?

दिल तो दिल हैं .. तू ही संगदिल सनम भूगतना तो मूझेही हैं ...

तेरा क्या तुने तो बसाया होगा घर अपना .. मै युंही तडपकर मरता !


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