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Abasaheb Mhaske

Tragedy

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Abasaheb Mhaske

Tragedy

मैं ई वी एम बोल रहा हूँ

मैं ई वी एम बोल रहा हूँ

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दुनियाभर में मेरी चर्चा हो रही हैं, मैं ऐसा हूँ, वैसा हूँ, मैं ऐसा कैसा हूँ ?

मगर सब लोग यह भूल गये की मैं एक इन्सान नहीं मशीन हूँ और वह इन्सान ने बनाई है ! मुझ मे जो कुछ भी खामियां हैं वह भी मैं मानता हूँ, पहचानता हूँ मगर आप एक बात भूल गये हैं कि मैं एक यन्त्र हूँ। 

सिर्फ आदेश सुननेवाला सच -झूठ, सही गलत तुम तुम्हारा देखो मगर आप की मतलबी दुनिया में मुझे क्यों बदनाम कर रहे हो ? मैं दिल की बात नहीं कर सकता, अन्याय चुपचाप सहता रहता हूँ ! मैं कब कहा तुम मुझे चुनाव में इस्तेमाल करो, मत करो .. मैं तो बस आदेश की स्वीकारना और पूरी ईमानदारी से पूरा करना जानता हूँ।

मेरा गलत इस्तेमाल करने वाले तुम ही हो ! मतलबी, स्वार्थ पीड़ीत, झूठे इन्सान तुमने सबकी जिंदगी नरक बनाके छोड़ा हैं !

पेड़ को काट रहा हैं ! सब नैसर्गिक संपत्ति, पशु, पंछी, जानवर ख़त्म कर रहां हैं ! और बेशर्मी से अपना पाप हम सब पर जबरदस्ती थोप रहा हैं ! तुम्हें जरा सी भी शर्म बाकी है तो खुद का आत्मपरीक्षण कर और अच्छा, सच को कबूल करके इस धरती को बचा नहीं तो तेरा विनाश अटल हैं !


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