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जब मैं मायूस होता हूँ

जब मैं मायूस होता हूँ

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जब मैं मायूस होता हूँ, वहाँ हो आता हूँ जहाँ हम अक्सर मिला करते थे, (पहली बार मिले थे ) गुलशन में फूल खिले थे ! अंजान दोनों दिल मिले थे ! फिर मिलते रहे ! देखते-देखते ही अच्छे दोस्त बने ! और फिर भी एक दूसरे को चाहने लगे ! दोस्ती कब मोहब्बत में बदल गई पता ही न चला ! मिलते रहे, एक दिन उस डाल पर बैठे तोता-मैना कि जोड़ी को देखकर तू बोली थी, "कितनी अच्छी होती है ना इन पंछियों की जिंदगी, जब चाहे उड़ान भर सकते हैं ! जो जी में आये वह कर सकते हैं ! आज वह मैना बिलकुल अकेली बैठी है मायूस मेरी तरह, कि कहाँ ही गया होगा तोता ? कब लौटेगा ? जिंदा होगा भी की नहीं ? कि तेरी तरह तोता भी सबकुछ भूल चुका होगा घर लौटना! उसने दूसरा घोसला बना लिया होगा ? उसे अकेला छोड़ के।"

मुझे आज भी याद है वह सबकुछ, वो जी भरके की बातें, सारी मुलाकातें, तेरा यूँही शरमाना, गले लग जाना हाथ पकड़कर दिनभर भटकना से लेकर, जब हम बिछड़े की घड़ी, तेरी मासूम-सी सूरत, रोनी सी सहमी-सहमी तू खड़ी थी होठ थर्रा रहे थे, आँखे भर आई थीं, बोलने की क्या जरुरत थी ! तेरी आँखे सबकुछ बयान कर रहीं थीं ! वह जिंदगी हसीन लम्हें, मैं कभी भूल नहीं पाया ! न भूल सकूँगा ! क्या तुम भूल पाओगी ? तेरी याद बहुत आती है, तो मैं अक्सर यहाँ आता हूँ, यहाँ आ कर मुझे सुकून भी मिलता है और तू ना होने कारण मायूसी भी, जब तेरी याद सताती है तो मैं यहा खुद को खीच ले आता हूँ, तेरी मुलकात होने का आभास जाने क्यूँ होता है ? तुम कैसी हो ? क्या तुम, किसी मोड़ पे मिलोगी ? बस तुझे जी भरके देखना है, जहाँ भी रहो, खुश रहो, मेरी उमर भी तुझे लगे तू नहीं मिली तो क्या हुआ, तेरी यादें, वो मुलाकते, वो लम्हे हर वक्त मेरे साथ हैं, मेरे जीने का सहारा हैं।


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