Praveen Gola

Romance

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Praveen Gola

Romance

ज़रूरी है

ज़रूरी है

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कितने दूर हो गए हम अब ,

तन्हाई में पता चलता है ,

जब दिन रात गुजर जाते हैं ,

और ख्यालों का वक़्त भी ,

कम पड़ने लगता है।


मैं ये रोज़ सोचा करती हूँ ,

कि आज तुम्हे बुला ही लूँगी ,

अपने प्यासे अरमानों मे ,

तुम्हारे अरमानों को मिला ,

 एक नई हवा दूँगी।


पर ये वक़्त भाग जाता है ,

और मैं हाथ मल रह जाती हूँ ,

और फिर घिर कर तन्हाई में ,

तेरे साथ बिताए उन लम्हों को ,

अपने भीतर ही खींच लेती हूँ 


प्यार में मिलना ज़रूरी है ,

नहीं तो बढ़ जाती एक दूरी है ,

फिर तन्हाई में ही ढूंढते रह जाते हैं ,

उन खोए हुए लम्हों को ,

जिनकी सुगंध अभी भी अधूरी है।



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