मैं ये रोज़ सोचा करती हूँ ,कि आज तुम्हे बुला ही लूँगी! मैं ये रोज़ सोचा करती हूँ ,कि आज तुम्हे बुला ही लूँगी!
और यूँही चलते चलते खुद का साथ तुम्हे फिर मिल जाएगा.. और यूँही चलते चलते खुद का साथ तुम्हे फिर मिल जाएगा..
मखमली पर्दों की सिलवटों की गर्त में छुपे हुए राज की हकीकत से रूबरू होती खामोशी।" मखमली पर्दों की सिलवटों की गर्त में छुपे हुए राज की हकीकत से रूबरू होती खामोशी।"
जीवन भला कब सीधा सपाट हुआ करता है. दुःख वहीं से मिलता है अक्सर जिन्हें धूप-ताप से बचाने में हमने खुद... जीवन भला कब सीधा सपाट हुआ करता है. दुःख वहीं से मिलता है अक्सर जिन्हें धूप-ताप स...