STORYMIRROR

Praveen Gola

Inspirational

4  

Praveen Gola

Inspirational

अपने दिल की आवाज़

अपने दिल की आवाज़

2 mins
385


मुझे लोगों के दिल पढ़ना बहुत अच्छा लगता था। कभी-कभी कुछ लोग मेरी इस आदत से मुझसे नाराज़ भी हो जाते थे, परंतु ज्यादातर लोग मेरी इस आदत को पसंद करते थे और मेरे सामने वो सब कुछ खोल कर रख देते थे जिन्हें वो कभी किसी को बता पाने में झिझक महसूस करते थे। धीरे-धीरे मुझे भी इस दिल को पढ़ने के खेल में आनंद आने लगा और फिर एक दिन अचानक...


मैं एक नए शहर में गई थी , जहाँ किसी को भी मैं नहीं जानती थी । वहाँ के लोग मेरे लिए अजनबी थे और उनकी भावनाएँ भी अनजानी। मैंने अपने हुनर का इस्तेमाल वहाँ भी करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे लोगों से मिलते-मिलाते, उनके दिल पढ़ते-पढ़ते मैंने एक किताब लिखने का निर्णय लिया। एक ऐसी किताब, जिसमें हर इंसान के दिल की सच्चाइयाँ, उसकी उलझनें, उसकी खुशियाँ और दर्द सजीव हो उठें।


किताब लिखने का सिलसिला चल पड़ा। रोज़ नए-नए लोग, नई कहानियाँ। लेकिन जैसे-जैसे मैं दूसरों के दिल पढ़ती गई , मुझे एहसास हुआ कि मैंने कभी खुद के दिल को पढ़ने की कोशिश नहीं की। मेरे अंदर भी तो कई उलझनें, कई सवाल थे। क्या मैंने अपने आप को समझा भी था?


फिर एक रात, जब मैं अपनी किताब का आखिरी पन्ना लिखने 

बैठी , तो कलम अचानक रुक गई। मुझे समझ आ गया कि मैं दूसरों के दिल तो पढ़ती रही , पर खुद के दिल को अनदेखा करती  रही । मैंने उस रात खुद से बातें कीं, अपने दिल की आवाज़ को सुना। और तब समझ पाई कि असली आनंद दूसरों के दिल पढ़ने में नहीं, बल्कि अपने दिल को समझने में है।


किताब का अंत बदल गया। वो अब सिर्फ दूसरों की कहानियाँ नहीं थी, बल्कि मेरे अपने दिल की भी कहानी थी। उस रात मैंने पाया कि जो खुशी मैं दूसरों में ढूंढती रही , वो हमेशा मेरे अपने दिल में ही छिपी हुई थी।









Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational