Praveen Gola

Children Stories

4.2  

Praveen Gola

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टमाटरों की नाही - नाही

टमाटरों की नाही - नाही

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" नाही - नाही ..... टमाटरों की नाही - नाही " - "नाही - नाही ..... टमाटरों की नाही - नाही "। ऊपर से आती हुई आवाज को सुनकर नोनू दौड़कर ऊपर भागती है और अपनी बड़ी ताईजी के पास जाकर रसोईघर में खड़ी हो जाती है। रसोई में हमेशा की तरह उसकी ताईजी बरतन धोने के सिंक में पानी चलाकर साप्ताहिक बाजार से लाई हुई सब्जियाँ एक - एक करके धो रहीं थी और अब टमाटरों की बारी थी। ताईजी को भी पता था कि नोनू को वो लाल रँग के टमाटर नहाते हुए बहुत अच्छे लगते हैं इसलिये ताईजी जब भी टमाटर धोती तो यही गाना जोर - जोर से गाती जिसे सुनकर उनकी प्यारी नोनू दौड़कर ऊपर आती और फिर दोनो टमाटरों को पानी में जोर - जोर से उछालकर वही गाना बार - बार दोहरातीं ..... " नाही - नाही ..... टमाटरों की नाही - नाही " - "नाही - नाही ..... टमाटरों की नाही - नाही "।

नोनू की मम्मी नौकरी करती थी जिसकी वजह से उनके पास इतना समय नहीं होता था कि वो बाजार से सब्जियाँ लाकर पहले उन्हे धोये , सुखाये और उसके बाद फ्रिज में रखे। वो बाजार से सब्जियाँ लाकर ऐसे ही थैलियों के साथ फ्रिज में ठूस देती थी जिसकी वजह से नोनू बहुत दुखी रहती थी। वो भी ये चाहती थी की उसके फ्रिज की सब्जियाँ नहायें। एक दिन नोनू बीमार पड़ गई। रात को उसे सपने में दिखा कि जैसे उसके फ्रिज में रखे हुए टमाटर उससे कह रहे हों , नोनू तू हमे बिना नहलाये फ्रिज में रखती है ना .... अब देख हम सबमें धूल - मिट्टी लगी हुई थी ....और तेरी मम्मी ने उन्हे जल्दी से धोया और काट कर तुझे सलाद बना कर दे दिया। तभी तो तू बीमार हो गई .... अब खा रोज़ कड़वी - कड़वी दवाईयाँ।" अचानक से नोनू की आँख खुल गई। रात के तीन बजे थे ...उसकी मम्मी थककर सोई हुई थी। बेचैन सी नोनू अपने बिस्तर से उठकर इधर - उधर घूमने लगी। थोड़ी देर बाद उसने अपना फ्रिज खोला और टमाटरों की थैली हाथ में पकड़कर सीधा ऊपर बड़ी ताईजी की मंजिल में दौड़ पड़ी।

" ताईजी .... ओ ताईजी ..... ओ मेरी प्यारी बड़ी ताईजी " .... नोनू आवाज़ लगाती उनका दरवाजा खटखटाने लगी। इतनी रात को नोनू की आवाज़ सुनकर ताईजी भी घबरा गई।" क्या हुआ नोनू ? ", ताईजी ने अपनी मधुर आवाज़ में पूछा।" ताईजी आपको पता है मैं बीमार क्यूँ पड़ी , क्योंकि मेरे फ्रिज के टमाटर नहाये नहीं थे और मैं उन्हे बिना नहलाये ही खा गई। अब मैं तभी ठीक हो पाऊँगी जब उनकी भी हम नाही - नाही करेंगे।" , भोली और मासूम सी नोनू ने जवाब दिया।

ताईजी ने नोनू के माथे पर हाथ रखा , तनाव के कारण उसका माथा अब भी बुखार से जल रहा था।ताईजी ने उसके हाथ से टमाटरों की थैली ले ली और उनको सिंक में डाल दिया। पानी चलते ही नोनू खुश हो गई और दोनो एक साथ जोर से वही गाना गाने लगीं ....." नाही - नाही ..... टमाटरों की नाही - नाही " - "नाही - नाही ..... टमाटरों की नाही - नाही "। 

इधर पानी नल में सारे टमाटरों की धूल साफ कर रहा था और उधर नोनू के जलते बदन से सारा ज्वर अपने आप  उतर रहा था।

शिक्षा -

 1. बच्चों को सब्जियाँ धोने की महत्त्वपूर्ण बात से अवगत कराना।

2. अत्यधिक तनाव भी ज्वर का कारण बनता है।

3. गाने से बच्चे जल्दी सीख जाते हैं।


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