Praveen Gola

Inspirational

4.3  

Praveen Gola

Inspirational

जुनून और सपने

जुनून और सपने

3 mins
227


"मैं, प्रवीण गोला , दिल्ली शहर के एक छोटे से घर में पैदा हुई। माता - पिता को लड़के की चाहत थी परंतु तीसरी लड़की होने के कारण बचपन से ही उनका प्यार दुलार मिलना बंद हो गया क्योंकि मेरे बाद एक छोटा भाई जो आ गया था। बी .कॉम . पास करते ही मेरी शादी एक मध्यमवर्गीय परिवार में हो गई। पति ने आगे की पढ़ाई एम . ए . तो करा दी परंतु बाहर जाकर प्राईवेट नौकरी करना उन्हें किसी भी सूरत में गंवारा नहीं था। मैंने हाथ - पैर भी मारे पर सब विफल रहा। अंत में थक हार के मैंने घर पर ही छोटे बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया परंतु वो काम भी ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाया और मैं एक घरेलू स्त्री बनकर ही रह गई।

शादी के बाद पन्द्रह साल मैंने सिर्फ अपने बच्चों को बड़ा करने में ही लगा दिये। मगर एक खालीपन मुझे हमेशा ही कचोटता रहा जो मेरी खराब होती हुई शिक्षा के लिए ज़िम्मेदार था। मैं अक्सर सोचा करती कि एक पढ़ी लिखी महिला होने के बावजूद भी मैं इस तरह से बंद कमरे की चारदीवारी में आखिर कैद क्यूँ हूँ ?

वर्ष 2010 में हमने एक कम्‍प्‍यूटर खरीदा और बस वहीं से मैंने अपने आप को एक नई दुनिया से जोड़ लिया। पहले मैंने एक शिक्षा संबंधी फोरम में कई साल काम किया जहाँ रात भर जाग -जाग के मैं युवा पीढ़ी को उनके कैरियर के नए मार्ग सुझाती थी और बदले में मुझे अपने इंटरनेट के खर्चे जितना रूपया भी नहीं मिल पाता था पर मैं फिर भी खुश थी कि कम से कम मेरी शिक्षा बेकार तो नहीं जा रही। मगर धीरे - धीरे पति फिर ताना देने लगे और मुझे फोरम छोड़ना पड़ा।

मैं अपने खालीपन को भरने के लिए अब फिर से इंटरनेट पर सर्फिंग करने लगी। धीरे - धीरे मैं बहुत सी वेबसाईटों से जुड़ गई। मैं वहाँ लिखती और लोग मेरे लेखों को पसंद करते। कुछ सालों बाद मुझे अपने अंदर छिपी हुई प्रतिभा का एहसास हुआ जब मेरा नाम एक लेखिका के रुप में छपने लगा। मेरी लिखी कविताएँ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पढ़ी जाने लगीं।

आज मैंने एक लेखिका, आर्टिस्ट, फोटोग्राफर, कैरियर काउन्सलर , ब्लॉगर आदि के रुप में इंटरनेट पर अपनी पहचान बनाई है।

इन सबके लिए मुझे कोई पैसा नहीं दिया जाता है मगर फिर भी मैं बस अपने जुनून को ज़िन्दा रखने के लिए ये सब कार्य करती हूँ और एक लेखिका के रुप में अपनी एक नई पहचान के साथ जानी जाती हूँ।

मैं स्टोरीमिरर की तहे दिल से आभारी हूँ जो उन्होंने "सेलिब्रेटिंग हर" का हिस्सा बनने के लिए हम जैसी साधारण महिलायों को आमंत्रित किया है जिनके पास आज अपनी ही लिखी हुई रचनायों की किताब छपवाने के भी पैसे नहीं है .... अगर कुछ है तो बस एक जुनून और कुछ सपने।

मैं अपना नाम एक ऐसी ही लेखिका के रुप में लिखा जाना चाहूँगी जो पिछले कई सालों से साहित्य में एक बंद कमरे से अपना योगदान बना रही है और हर दायरों को तोड़ ये साबित कर रही है कि महिलायें आज भी पुरुषों की तरह ही सक्षम और प्रतिभाशाली हैं। |


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational