जन्म जन्म का साथ
जन्म जन्म का साथ
आज सुबह से मन विचलित था। पति पत्नी जब दोनों नये जीवन की शुरुआत करते हैं तब बहुत उमंग होती है। बच्चों की कल्पना सबसे ही दिल उल्लासित होता है। मेरे पड़ोस में मि. सुधांशु और उनकी पत्नी रीमा रहती हैं। मैं जब इस घर में बहू बन कर आई उसी समय से अंकल आंटी से मेरा परिचय था। दोनों उच्च शिक्षित थे। जब मैं उनसे मिली उनके दोनों बेटे कम्पटीशन की तैयारी कर रहे थे। दोनों का सलैक्शन हो गया। मां बाप की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था आंटी अंकल दोनों बहुत अच्छी सर्विस में थे। बहुत हंसी खुशी वाले माहौल में दोनों बेटों की शादी हुई।
उसी समय बड़ा बेटा U.S चला गया। दूसरा भी बाहर जाने की तैयारी में था। दोनों ने विदेश जाकर वहां की नागरिकता के लिये विदेशी लड़कियों से शादी कर ली। कुछ दिनों से अंकल का स्वास्थ्य अच्छा नहीं था। दोनों बेटे सूचना पर देखने तो आये पर घर पर ना ठहर कर होटल में रुके। रीमा आंटी को ये बात बहुत चुभी, इतना बड़ा अपना मकान फिर भी घर पर ना रुकना। बेटे दो दिन रुकने के बाद छुट्टी ना मिलने के कारण जा चुके थे, पर एक दुखद कसक मां बाप के दिल में छोड़ गये।
अचानक एक रात अंकल की बहुत तबीयत खराब हुई, दोनों बेटों को सूचना दी पर छुट्टी ना मिलने का बहाना बना दिया। अंकल का देहान्त हो गया। दोनों बेटे नहीं आये। आंटी से सबने पूछा दाह संस्कार कैसे होगा। वह चुपचाप उठी और सारी प्रक्रिया पूरी की उसके बाद उनके निर्णय ने सबको द्रवित कर दिया उन्होंने अग्नि अपने हाथ से दी पर एक दम से चक्कर खा कर गिरी और उठ ही नहीं पाई क्योंकि वह तो जन्म जन्म का साथ निभाने पति के साथ अन्तिम यात्रा को निकल चुकी थी।