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Dr.Madhu Andhiwal

Inspirational

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Dr.Madhu Andhiwal

Inspirational

वन्दे मातरम्

वन्दे मातरम्

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आतंक का बोल वाला था । सीमा से लगे इस क्षेत्र में सभी लोग डरे सहमे से रहते थे कि पता ना कब आतंकी हमला हो जाये । रिंकी,मीनू , चीना ,कुनाल,लिली सारे बच्चे बराबर TV में देख रहे थे मोदी जी का आव्हान अमृत महोत्सव चल रहा था । देश के सभी हिस्सों में नारा गूंज रहा था " घर घर झंडा फहरायेगे ,देश भक्ति की अलख जगायेंगे " । बच्चों का भी बहुत मन था कि वह भी अपने गांव में आजादी का जश्न मनायें पर उनके मां बाप कैसे भी सहमत नहीं हो पा रहे थे क्योंकि उन्हें डर था कि पता ना कौन ऐसा खबरी हो जो आतंकियों को सूचना देदे । 

अभी कुछ दिन पहले ही गांव के स्कूल में नयी शिक्षिका समिधा की नियुक्ति हुई थी । सब बच्चों की बात और मन में झंडे के प्रति इतने अच्छे विचार जान कर सोच लिया था की बिना किसी को बताये वह इस अमृत महोत्सव के कार्यक्रम को पूरा करेगी । उसने सारे बच्चों को एक दिन पहले स्कूल बुलाया और कहा कि स्कूल का मैदान गन्दा हो रहा है आज इसकी सफाई करते हैं । उसने एक डंडा और झंडे को किसी को बिना बताये शहर से मंगवाया । दूसरे दिन सब बच्चों से कहा कि कल सुबह कुछ खेल की प्रतियोगिता रखवाई हैं सबको जरूरी आना है। दूसरे दिन जब बच्चे एकत्रित हुये तो मैदान में झंडा लगा देखा । बच्चे बहुत खुश हुये वह सब अपने मां बाप के साथ आये थे । वह लोग कुछ सहमे हुये थे । समिधा ने सबको पास बुलाया और सबसे छोटी बच्ची रमिला से झंडा फहरवाया । सब बहुत खुश हुये समिधा ने कहा हम क्यों डरे अरे हमारा देश है हम आजाद भारत के नागरिक है। 

   दूर कहीं गाने की आवाज आ रही थी " अपनी आजादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं " । पूरे जोश से मैदान में आवाज गूंज रही थी " वन्दे मातरम् "।



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