हिन्दी हमारा अभिमान है
हिन्दी हमारा अभिमान है


सुरभि ने कुछ दिन पहले ही इन्टरमीडियेट गांव के कालिज से प्रथम श्रेणी में पास किया था । उसने अपने मां पापा से शहर में पढ़ने की इच्छा जाहिर की । उसके पापा श्याम जी की भी इच्छा थी कि बिटिया आगे इसी तरह से अच्छे से अपनी शिक्षा पूरी करे और उनका नाम रोशन करे । सुरभि शहर आ गयी वहां उसने डिग्री कालिज में एडमीशन ले लिया । गाँव के और शहर के कालिज के माहौल में बहुत अन्तर था ।
यह कालेज शहर के सबसे अच्छे कालेज की श्रेणी में आता था क्योंकि अधिक तर छात्र धनाढ्य वर्ग के तथा अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों से आये थे । सुरभि हिन्दी माध्यम के कालेज में पढ़ी थी व बहुत ही मध्यम परिवार की साधारण लड़की थी । वह तो प्रथम श्रेणी में बहुत अच्छे नम्बरों से पास हुई थी इसलिये बहुत आसानी से एडमीशन मिल गया । सभी क्लास में उस पर कटाक्ष करते क्योंकि वह उनकी तरह अंग्रेजी नहीं बोल पाती थी पर उसे अध्यापकों का पूरा सहयोग मिलता था और उसने भी सोच लिया था कि उसे अच्छे नं. से पास होना है। किसी की बातों से उसे कोई लेना देना नहीं । कुछ दिन में कालेज के वार्षिक फंक्शन का समय निर्धारित हो गया। प्रोग्राम में शिक्षा मन्त्री का आना तय हुआ । एक प्रोग्राम " हिन्दी हमारी मातृभाषा है उसका हमारे जीवन में महत्व " पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन होना था । सभी छात्रों से नाम मांगे गये । कुछ छात्रों ने अपने नाम दिये पर सुरभि को स्टेज पर जाने और बोलने में डर लगता था । अध्यापकों ने उससे कहा कि तुम्हारी हिन्दी तो बहुत अच्छी तुमको उसमें बोलना है।
आज प्रोग्राम होना था । कार्यक्रम शुरू हुआ शिक्षा मन्त्री आ चुके थे । जब विषय पर अन्य छात्रों ने बोलना शुरू किया तो वह शुद्ध हिन्दी नहीं बोल पा रहे थे क्योंकि अंग्रेजी बोलते बोलते शुद्ध हिन्दी तो कहीं पिछड़ ही गयी थी । जब सुरभि का नाम बोला गया वह डरते डरते स्टेज पर पहुँची । उसने हिन्दी का महत्व बताना शुरू किया वह बोली हम हिन्दुस्तान में रहते हैं और हमारी मातृ भाषा हिन्दी है तब हम अंग्रेजियत का लबादा क्यों ओढ़े हुये हैं । हमें तो अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए । हिन्दी हमारी पहचान है हमारा अभिमान है। जैसे आकाश में चांद चमकता है वैसे ही यह भारत माता के ललाट पर बिन्दी की तरह चमकती है ।मुझे अपनी मातृभाषा पर गर्व था गर्व है और रहेगा । अंग्रेजी या दूसरी भाषा सीखनी जरूर चाहिये पर हिन्दी भाषा को नकार कर नहीं । शिक्षा मन्त्री सुरभि के विचारों से बहुत प्रभावित हुये ।