दिल का रिश्ता
दिल का रिश्ता
एक आत्म विश्वास से पूर्ण चेहरा मोनू कभी नहीं भूल पाता गांव की चौपाल उस पर शीत की प्रातः की बेला में हुक्का गुड़गुड़ाते रामधन काका । भरा पूरा परिवार खेती वाड़ी सबसे बड़ी पूंजी उनकी सहृदयता । बच्चे हो या बड़े जो भी चौपाल पर आता चूल्हे पर बनती हुई चाय का स्वाद और खेत के भुने आलू का स्वाद तो काका की आज्ञा से खा पीकर जाता ।
मोनू के पापा वहाँ पर सरकार की ओर से ग्राम पंचायत में नियुक्त थे । जब उनका तबादला शहर हो गया तब मोनू भी शहर आ गया और धीरे वह यादें भी धूमिल होने लगी । गांव से सम्बन्ध ही टूट सा गया । मोनू ने शिक्षा पूरी करने के बाद प्रोपर्टी का काम शुरू कर दिया दो दोस्तों की पार्टनर शिप में । जब उसके दोस्तों ने एक नक्शा दिखाया और उस गांव में मल्टीप्लेक्स सोसायटी बनाने का प्लान बताया क्योंकि वहाँ पर बहुत सरकार बड़े बड़े औद्योगिक प्लान लग गये थे । गांव वालों को उस जमीन के बदले मुआवजा दे दिया गया था । जब मोनू वहाँ पहुँचा तब पूरा बचपन उसके आँखों के सामने आगया पूरा नक्शा ही बदल गया था पर सामने एक छोटे से चबूतरे पर एक बहुत बुजुर्ग एक छोटे से चूल्हे पर कुछ बना रहे थे पास में बस चार पाई थी । मोनू वहाँ पहुँचा देखा अरे ये तो रामदीन काका हैं अकेले चाय बना रहे थे हाथ कंपकंपा रहे थे । मोनू ने कहा काका चाय मै भी पीयूंगा । काका ने चेहरा उठा कर देखा बोले "बिटवा तुम कौन हो?" मोनू ने कहा "काका मैं उन्हीं सरकारी बाबू का बेटा हूँ जो ग्राम पंचायत का काम देखते थे ।" काका बहुत खुश हुये बोले देखो सब चले गये धन का लोभ कितना बुरा है मेरे बच्चे भी सरकार से मुआवजा लेकर शहर में चले गये पर मेरे को कोई रखने को तैयार नहीं अब यह जगह भी शायद आज कोई खरीदने आ रहा है। मोनू को बहुत दुख हुआ उसने तुरन्त अपने पार्टनरों से उसका सौदा करने को कहा । मोनू तुरन्त काका से बोला मै भी आपके बेटे समान हूँ । आप यहीं रहेंगे और मै इसको एक चाय स्टाल बनवाता हूँ आप केवल देख रेख करेगे और उसका नाम होगा " काका टी स्टाल " । "रामदीन काका ने भावुक होकर कहा बेटा रिश्ता खून का ही नही दिल का भी होता है ईश्वर करे तुम खूब तरक्की करो ।