पूस की ठंडी रात
पूस की ठंडी रात


पूस की ठंडी रात हाड़ कंपकंपाने वाली हवा । रोमा खिड़की में खड़ी प्रवीन का इंतजार कर रही थी । प्रवीन उसका छोटा भाई घर के सब सदस्यों के लिये निकम्मा आवारा पर रोमा के लिये सबसे अधिक लाडला । रोमा एक स्कूल में अध्यापिका है शादी के तुरन्त बाद पति का एक दुर्घटना में देहान्त होगया । ससुराल वालों ने बेटे की मौत का जिम्मेदार बहू को माना और मायेके भेज दिया वह तो पढ़ी लिखी थी । तब से वह सर्विस कर रही थी । इतनी देर में बाहर अन्धेरे किसी की आकृति के आने का अहसास हुआ । देखा प्रवीन लड़खड़ाते पैरों से चला आ रहा था । वह नीचे पहुँची देखा उसकी गोद में एक नव जात शिशु था ।प्रवीन बोला दीदी यह झाड़ियों में था । पता ना कौन छोड़ गया मैं ले आया नहीं तो मर जाता । रोमा ने प्रवीन को देखा और रो कर बोली इतने अँधेरे में भी तुम्हें यह बच्चा दिखाई दे गया । हां और सोफे पर गिर कर सो गया । रोमा को वह ठंडी रात याद आ गयी जब कोई फाटक के पास एक बच्चे को छोड़ गया । वह छोटी थी और रोने की आवाज सुन कर बाहर आई देखा एक प्यारा बच्चा बाहर कपड़े में लिपटा रो रहा है। वह उसे अन्दर ले आई मां पापा दादी और बड़ी बहनें सब नाराज हुई पर उसने उसे नहीं छोड़ा सबकी डांट खाते और रोमा के प्यार के साये में पला वह बच्चा प्रवीन था ।
आज फिर वही इतिहास दोहराया गया । उसने प्रवीन से वह बच्चा ले लिया और कहा इसे किसी को दे देंगे पर प्रवीन कहा कि नहीं दीदी मैं अनाथ था तब आपने मां से अधिक मुझे प्यार दिया । अब यह मेरी जिम्मेदारी है।