Dr.Madhu Andhiwal

Inspirational

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Dr.Madhu Andhiwal

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खिलते रंग

खिलते रंग

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आज होली का त्योहार है। कहते हैं कितने भी गिले शिकवे हो होली पर सब खत्म हो जाते हैं। मधुरिमा सोच रही थी काश ऐसा होता। सोच कर बीते दिनों की भूली दांस्ता याद आने लगी। उसके ससुर भूपेन्द्र सिंह और रतीराम जी पड़ोसी ही नहीं जिगरी दोस्त भी थे। शाम को जब अपने व्यापार से फ्री होते तब एक साथ बैठ कर ही चाय पीते और दुनिया जहां की बातें होती। दोनों के परिवार में एक प्यार भरा अपनत्व था। धीरे धीरे दोनों के बच्चे भी बड़े हो रहे थे। भूपेन्द्र सिंह के दो बेटे रमन और सुमित व एक बेटी प्राची थी।

रती राम जी के एक बेटा शमन व एक बेटी श्यामा थी। रमन की शादी मधुरिमा से हो गयी थी। बेटी प्राची की शादी भी हो चुकी थी बस सुमित अभी शादी करने के मूड में नहीं था। रतीराम के दोनों बच्चों की शादी नहीं हुई थी। मधुरिमा और श्यामा में बहुत अच्छी दोस्ती थी। श्यामा के लिये भी रतीराम सम्बन्ध ढूंढ रहे थे। बस कोइ अच्छा सा लड़का मिले और वह उसके हाथ पीले करें पर किसी को पता नहीं था कि कब श्यामा और सुमित में प्यार का अंकुर पनपने लगा। जब मधुरिमा को पता लगा तब उसने दोनों को बहुत समझाया कि दोनों के घर वाले राजी नहीं होंगे क्योंकि भूपेन्द्र सिंह ठाकुर थे वह किसी अन्य वर्ग में अपने बेटे शादी नहीं करेंगे पर प्यार तो अन्धा होता है दोनों अपनी जिद पर अड़े रहे जब ठाकुर भूपेन्द्र सिंह को पता लगा तब वह रतीराम के यहाँ पहुंचे और कड़क आवाज में कहा कि अपनी बेटी को समझाओ नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

रतीराम थोड़ा सहम गये।उन्होंने श्यामा पर पूरी बन्दिशें लगा दी। अब दोनों के मध्य एक दरार आगयी। एक दिन श्यामा और सुमित घर से गायब होगये। बहुत ढूंढा पर दोनों का पता ना लगा। कितनी होली निकल गयी दोनों परिवार एक दूसरे के दुश्मन थे। शमन की भी शादी हो गयी। मधुरिमा और शमन की पत्नी रमा दूर से ही एक दूसरे को देख कर मुस्करा लेती थी। दोनों के सास ससुर और दोनों के पति बिलकुल एक दूसरे को दुश्मन समझते थे। दोनों के एक एक लड़का था दोनों हम उम्र थे। वह शुरू से देखते थे कि सब आपस में मिलते जुलते हैं पर हमारे घर वाले क्यों नहीं मिलते और दोनों बच्चो ने प्लान बनाया। होली वाले दिन दोनों बच्चे बाहर गुस्सा होकर बैठ गये। जब दोनों के दादा दादी मनाने गये तब बड़ी मुश्किल से माने पर शर्तों पर कि पहले दोनों के दादा गले मिलेंगे व सुमित और श्यामा को घर बुलाएगे नहीं तो वह भी घर नहीं आयेगे। बच्चों के हट के आगे रतीराम और भूपेन्द्र सिंह हार गये। होली जलाने के बाद दोनों गले मिले व गुलाल लगाया। दोनों ने रमन और शमन को सुमित और श्यामा को बुलाने भेजा। मधुरिमा और रमा गले मिल कर हंस रही थी रमा बोली मधुरिमा दीदी हम दोनों का प्लान हमारे बच्चों ने आसान कर दिया। दोनों परिवारों में खुशी का माहौल था आज मधुरिमा बहुत खुश थी क्योंकि श्यामा पहले सहेली थी पर अब देवरानी बन कर रहेगी।

दूर कहीं गाना बज रहा था, "होली के दिन दिल खिल जाते हैं , रंगो में रंग खिल जाते हैं।"


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